रूपा तिर्की की मौत पर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा। आदिवासी सेंगेल अभियान के अध्यक्ष सालखन मुर्मू ने कहा है कि रूपा तिर्की मौत की जांच सीबीआई से कम बिल्कुल स्वीकार्य नहीं है। झारखंड सरकार द्वारा घोषित न्यायिक जांच के लिए गुप्ता कमीशन के गठन को उन्होंने आईवाश करार दिया। एक प्रेस विज्ञप्ति में सालखन बताते हैं कि झारखंड सरकार के मेमो नंबर -1860 तिथि- 8.6.2021 के मार्फत बोरियो थाना केस नंबर -127/ 2021 तिथि 9.5.2021 पर रूपा तिर्की, सब इंस्पेक्टर, झारखंड पुलिस की अप्राकृतिक मौत की जांच के लिए गठित जस्टिस विनोद कुमार गुप्ता कमीशन बिल्कुल अनावश्यक और तथ्यों को छिपाने और भटकाने की कोशिश मात्र प्रतीत होता है। चूँकि कमीशन की नियुक्ति के पीछे जारी तर्क कि संदिग्ध मौत पर अनेक दावे और प्रतिदावे किए जा रहे हैं तथा यह पब्लिक महत्व का विषय है, सत्य नहीं है। बल्कि दो ही दावे हैं - आत्महत्या या हत्या। सरकार, पुलिस- प्रशासन का दावा है- आत्महत्या और रूपा तिर्की के माता-पिता, सामाजिक -राजनीतिक संगठनों का दवा है- हत्या। ऐसी परिस्थिति में कोई निष्पक्ष पुलिस , फॉरेंसिक जांच, पोस्टमार्टम रिपोर्ट आदि से ही यह तय हो सकता है कि मामला आत्महत्या या हत्या का है। झारखंड सरकार द्वारा नियुक्त जस्टिस गुप्ता कमीशन 6 महीनों के अवधि के बाद भी एक रिपोर्ट ही दे सकती है, जिसे झारखंड सरकार मानने को बाध्य नहीं है। ज्ञातव्य हो कि कमीशन ऑफ इंक्वारी 1952 (धारा तीन) के तहत साधारणत: सिविल मामलों पर कमीशन का गठन किया जाता है, क्रिमिनल मामलों पर नहीं।
हेमंत सरकार सीबीआई जांच से क्यों भागना चाहती है? क्यों जांच के नाम पर टालमटोल रवैया अपना रही है? क्या जस्टिस गुप्ता कमीशन के मार्फत समय निकालने और जनाक्रोश को दबाने का कोई नयी चाल है? आदिवासी सेंगेल अभियान रूपा तिर्की और रामेश्वर मुर्मू के संदिग्ध मौत (12.6.2020) पर सीबीआई जांच की मांग पर अडिग है।