बंगाल भाजपा में टूट की खबरें आ रही हैं। बताया जा रहा है पिछले विधानसभा चुनावों से पहले जो लोग टीएमसी छोड़ भाजपा में गये थे अब दोबारा रूलिंग पार्टी टीएमसी में लौटना चाहते हैं। यहां तक कि भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष मुकुल राय के पुत्र सुभ्रांशु राय को लेकर भी यही चर्चा गर्म है। हालांकि बंगाल भाजपा के वरिष्ठ नेता ऐसी किसी आशंका से इंकार कर रहे हैं।
भास्कर डॉट कॉम की एक खबर के अनुसार दावा किया जा रहा है कि 33 विधायक तो टीएमसी के संपर्क में हैं ही, इसके अलावा बीजेपी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष मुकुल रॉय के बेटे सुभ्रांशु भी तृणमूल जॉइन करना चाहते हैं। हालांकि भाजपा प्रवक्ता शमिक भट्टाचार्य ने इसे अफवाह करार देते हुए कहा कि यह दावा झूठा है। दरअसल, सुभ्रांशु के टीएमसी में जाने की अटकलें तब तेज हुईं थीं, जब उन्होंने अपनी एक पोस्ट के जरिए केंद्र सरकार को निशाने पर ले लिया था। उन्होंने फेसबुक पर लिखा था कि जनता द्वारा चुनी गई सरकार की आलोचना करने के बजाय आत्मनिरीक्षण करना बेहतर है। बतायें कि सुभ्रांशु रॉय को बीजेपी ने बीजपुर से टिकट दिया था, लेकिन वे हार गये थे।
इसके अलावा ऐसे कई विधायक हैं जो टीएमसी में जाने की बात खुलकर कह रहे हैं। आदिवासी नेता सरला मुर्मु, पूर्व विधायक सोनाली गुहा और फुटबॉलर से नेता बने दीपेंदू विश्वास ने साफ कर दिया है कि वे दोबारा टीएमसी ज्वाइन करना चाहते हैं। मुर्मु को टीएमसी ने हबीबपुर से टिकट दिया था। इसके बावजूद उन्होंने पार्टी छोड़ दी थी। इसी प्रकार पूर्व विधायक सोनाली गुहा भी घर वापसी के इंतजार में हैं। उन्होंने ममता बनर्जी को पत्र लिखकर कहा है, 'जिस तरह मछली पानी से बाहर नहीं रह सकती, वैसे ही मैं आपके बिना नहीं रह पाऊंगी, दीदी'। वहीं फुटबॉलर से राजनेता बने दीपेंदु विश्वास ने भी ममता को पत्र लिखकर टीएमसी में शामिल होने की इच्छा जताई है।
वहीं ऐसी चर्चा है कि टीएमसी भाजपा विधायकों को दोबारा पार्टी में शामिल करने के मामले में जल्दबाजी नहीं करना चाहती। टीएमसी सांसद शुखेंदु शेखर राय के अनुसार शनिवार को दोपहर 3 बजे पार्टी कार्यालय में मीटिंग है। उसमें इस मुद्दे पर भी बात हो सकती है। बतायें कि बंगाल की 294 में से 213 सीटें टीएमसी ने जीती हैं। वहीं 77 सीटों पर बीजेपी को जीत मिली है। चुनाव के कुछ महीनों पहले टीएमसी के 50 से अधिक नेताओं ने बीजेपी का दामन थाम लिया था। इसमें 33 तो विधायक थे। उन्हें पूरी उम्मीद थी कि इस बार भाजपा ही जीतेगी। जबकि कई की उम्मीद बीजेपी में आने के बाद भी पूरी नहीं हो पाई थी, क्योंकि पार्टी ने उन्हें टिकट ही नहीं दिया। अब टीएमसी के जीतने के बाद बीजेपी का दांव उलटता दिखाई दे रहा है। हालांकि अब देखना रोचक होगा कि ममता बनर्जी इन आयाराम-गयाराम चेहरों की चाहत पर क्या रूख अख्तियार करती हैं। जानकारों का तो यह भी मानना है कि केंद्र की भाजपा सरकार ने अबतक टीएमसी और ममता बनर्जी के साथ जो बैर जारी रखे हुआ है टीएमसी इसे उनकी पार्टी तोड़कर जवाब दे सकती है। बंगाल के मुख्यसचिव अपपन बंधोपाध्याय पर केंद्र सख्ती भी इस बात को हवा दे रही है, जिसे अब ममता ने अपना सलाहकार बना लिया है।