लखनऊ: बिहार के बाहुबली नेता राजन तिवारी के बीजेपी में शामिल कराए जाने से योगी आदित्यनाथ नाराज़ हैं। उन्होंने पार्टी के अध्यक्ष अमित शाह को भी ये बात बता दी है। लखनऊ में शाह से मुलाक़ात के दौरान योगी ने अपने मन की बात की। उन्होंने कहा कि ऐसे नेताओं को साथ लेने से पार्टी की छवि ख़राब होती है। योगी ने इस बात पर भी एतराज़ जताया कि उनको बिना बताए ही राजन को बीजेपी में ले लिया गया।
बाहुबली नेता राजन तिवारी को 4 मई को चुपके चुपके बीजेपी में शामिल कर लिया गया। बिहार के नेता तिवारी को लखनऊ बुलाया गया। गाड़ियों के क़ाफ़िले के साथ वे पार्टी ऑफ़िस पहुँचे। जब भी कोई नेता पार्टी में शामिल होता है तो मीडिया को बुलाया जाता है। तस्वीरें खिंचवाई जाती हैं। लेकिन राजन तिवारी के मामले में ऐसा कुछ नहीं हुआ। यूपी के मंत्री आशुतोष टंडन और बीजेपी के प्रदेश महामंत्री आरपीएस राठौर ही इस मौक़े पर मौजूद रहे। किसी को कानों कान खबर तक नहीं हुई। फिर बिहार के नामी बाहुबली नेता राजन तिवारी बीजेपी कैंप में आ गए। केन्द्रीय मंत्री और पार्टी के यूपी प्रभारी जे पी नड्डा तक को इसके बारे में पता नहीं था।
अब आप ये भी जान लें कि ये राजन तिवारी कौन हैं? जिनके नाम से ही यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ को चिढ़ है। गोरखपुर के रहने वाले राजन को बिहार में सब जानते हैं। वहां के मंत्री रहे ब्रिज बिहारी प्रसाद की हत्या से लेकर उन पर कई तरह के अपराध के केस चले। सालों तक वे पटना के बेउर जेल में बंद रहे। लेकिन सबूत और गवाह के न होने से कई मामलों में राजन बरी भी हो गए। माफ़िया डॉन श्रीप्रकाश शुक्ल के वे दाहिने हाथ माने जाते थे। बिहार में उनके नाम से ही लोग कांपते थे। अपराध की दुनिया से राजनीति में आए राजन दो बार विधायक रहे। बिहार के गोविंदगंज सीट से वे एमएलए चुने गए थे। अभी उनके भाई राजू तिवारी गोविंदगंज से विधायक हैं। राजन 2004 में बेतिया से लेकसभा का चुनाव लड चुके हैं। लेकिन वे हार गए। इस बार भी वे इसी जगह से चुनाव लड़ना चाहते थे।
चुनाव लड़ने के चक्कर में वे आरजेडी में रहे। तेज प्रताप यादव के वे क़रीबी रहे। वे बीएसपी में भी रहे। उपेन्द्र कुशवाहा की पार्टी से भी राजन ने चुनाव लड़ने की कोशिश की। लेकिन कहीं भी टिकट न मिला। इसी लिए राजन ने सबको बॉय बॉय कर दिया। फिर वे बीजेपी में शामिल होने की जुगत लगाने लगे। कहते हैं कि बिहार के प्रभारी और बीजेपी महामंत्री भूपेन्द्र यादव यादव ने भी उनकी मदद की। पार्टी में शामिल कराने का पूरा फ़ार्मूला तय हो गया। फ़ैसला हुआ कि लखनऊ में ही राजन को शामिल कराया जाए। तो ये भी हो गया। ख़बर तो ये भी है कि जूता कांड वाले बीजेपी सांसद शरद त्रिपाठी का ये आयडिया था। शरद को टिकट नहीं मिला इसीलिए उनके पिता रमापति राम त्रिपाठी इस बार देवरिया से चुनाव लड़ रहे हैं
राजन तिवारी को बीजेपी में शामिल कराए जाने के बाद से ही हंगामा मचा है। पार्टी के नेता अंदर ही अंदर सुलग रहे हैं। इस से पहले भी जब बाहुबली नेता डीपी यादव को बीजेपी में शामिल कराया गया। तो बड़ा विरोध हुआ था। फिर डीपी को पार्टी से बाहर कर दिया गया था। बाबू सिंह कुशवाह को भी बीजेपी में लाने पर बहुत विरोध हुआ था। फिर वे पार्टी से ही बाहर कर दिए गए थे।