जोश में भाजपा, बिना पतवार की कांग्रेस व संसद में विरोध का एकमात्र स्वर

:: न्‍यूज मेल डेस्‍क ::

नई दिल्ली: संसद में कांग्रेस का हाल बिना पतवार की नौका जैसा दिख रहा है और विपक्ष से जो इकलौती आवाज वायरल हुई है वह तृणमूल कांग्रेस की पहली बार निर्वाचित सांसद महुआ मोइत्रा की है।लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी की शुरुआत ही बेहद खराब रही जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ ‘नाली’ की टिप्पणी को लेकर विवादों में आ गए और जिसकी वजह से राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर उनका भाषण दबकर रह गया। 

इससे ठीक उलट, 303 सांसदों के साथ भाजपा एक ऐसे संगठन के रूप में दिखी जिसकी अपनी निश्चित रणनीति है और जिसके नेतृत्व को सदन में पूरा कमान हासिल है।

पहली बार सांसद चुने गए केंद्रीय मंत्री प्रताप सारंगी को पार्टी ने राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा के दौरान पहले वक्ता के रूप में सामने कर चौंकाया। उन्होंने विपक्ष पर पांच भाषाओं में प्रहार किए जो तुरंत हिट हो गया।

सत्ता पक्ष से दूसरी वक्ता आदिवासी समाज की हीना गावित रहीं जबकि भाजपा की युवा नेता पूनम महाजन ने जम्मू एवं कश्मीर में राष्ट्रपति शासन को बढ़ाने पर पुरजोर दलीलें रखीं। 

पार्टी के उभरते चेहरों की बातों के बीच में सदन के दोनों सदनों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा का जवाब देते हुए विपक्ष पर जोरदार प्रहार किए।

भाजपा अध्यक्ष व केंद्रीय गृह मंत्री ने जम्मू एवं कश्मीर पर तीखे अंदाज में भाषण दिया और धारा 370 के खिलाफ भाजपा के लंबे समय से चले आ रहे रुख को फिर स्पष्ट किया। उनके भाषण के दौरान सत्ता पक्ष की सीटें भरी रहीं।

कांग्रेस ने अपने सांसद मनीष तिवारी के जरिए अपना पक्ष रखने का प्रयास किया लेकिन बाजी शाह के हाथ रही।

यहां तक कि प्रश्नकाल के दौरान भी भाजपा के ही सांसद अपने मंत्रियों के सामने सवाल उठा रहे हैं। मिसाल के लिए बीएसएनएल की बिगड़ती हालत के लिए भाजपा के राजीव प्रताप रूडी ने केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद से असहज करने वाले सवाल पूछे।

लोकसभा चुनाव में करारी हार का असर कांग्रेस पर लोकसभा में साफ दिखा है।

यह विपक्ष के गैर कांग्रेस सदस्य हैं जिन्होंने लोकसभा में सर्वाधिक प्रभाव छोड़ा है। तृणमूल कांग्रेस की महुआ मोइत्रा ने जिस जोरदार तरीके से सरकार की नीतियों पर हमला बोला, उससे वह रातोंरात सोशल मीडिया पर स्टार बन गईं।

पहले के दो हफ्तों में संसद में कानून बनाने की दृष्टि से काफी काम हुआ। विशेष आर्थिक क्षेत्र (संशोधन) विधेयक को संसद के दोनों सदनों ने पारित किया।

लोकसभा ने जम्मू एवं कश्मीर में राष्ट्रपति शासन की अवधि बढ़ाने को मंजूरी दी और जम्मू क्षेत्र में अंतर्राष्ट्रीय सीमा के पास रहने वालों को भी आरक्षण का लाभ देने के विधेयक को पारित किया।

सरकार ने लोकसभा में सेंट्रल एजुकेशनल इंस्टीट्यूशन्स (रिजर्वेशन इन टीचर्स कैडर) और इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (संशोधन) विधेयक पेश किए।

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