31 फीसदी मुस्लिम वोट शेयर वाले बंगाल में ओवैसी के आने से नये समीकरण बन सकते हैं। फिलहाल तो वहां मुकाबला भाजपा और ममता के टीएमसी का दिखाई दे रहा था। कांग्रेस-लेफ्ट गठबंधन पीछे थी। इधर, फुरफुरा शरीफ दरगाह के पीरजादा अब्बास सिद्दीकी के साथ ओवैसी के आने की चर्चा थी। ऐन वक्त पर बात बिगड़ गई और ओवैसी कांग्रेस के साथ चले गए। लेकिन एक नई खबर आ रही है कि पहले से कांग्रेस के साथ गंठजोड़ करने वाल अब्बास सिद्दीकी कम सीटें मिलने से नाराज हैं। इधर ओवैसी द्वारा चुनाव में उतरने की घोषणा के बाद मुस्लिम वोटरों में हलचल मच सकती है जिसका खामियाजा ममता बनर्जी को उठाना पड़ सकता है। ओवैसी ने फिलहाल यह नहीं बताया है कि उनकी पार्टी बंगाल में कितनी सीटों पर चुनाव लड़ेगी। ओवैसी ने कहा है कि 27 मार्च की जनसभा में इसके बारे में बोलूंगा। एक बार फिर से बतायें कि बंगाल के 31 प्रतिशत मुस्लिम वोटर किंग मेकर की भूमिका में रहते हैं।
इधर भाजपा के खेमे से भी खबर है। खुद को कोबरा बतानेवाले मिथुन दा का टिकट कट गया लगता है। जिस रासबिहारी सीट पर बीजेपी उन्हें चुनाव लड़ाने की तैयारी कर रही थी, उस सीट पर अब सुब्रत साहा को दावेदार बनाया गया है।