आधार डाटा को चुनाव प्रचार में इस्‍तेमाल करने की आरोपी पुडुचेरी भाजपा के खिलाफ आपराधिक जांच हो : मद्रास हाई कोर्ट

:: न्‍यूज मेल डेस्‍क ::

पुदुचेरी में स्थानीय मतदाताओं के मोबाइल नंबर एकत्र करने के मामले में भाजपा की पुदुचेरी इकाई के जवाब से असंतुष्ट मद्रास उच्च न्यायालय ने बृहस्पतिवार को भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) और चुनाव आयोग से मामले की जांच करने को कहा। डेमोक्रेटिक यूथ फेडरेशन ऑफ इंडिया (DYFI) की पुदुचेरी इकाई के अध्यक्ष ए। आनंद की जनहित याचिका पर मुख्य न्यायाधीश संजीव बनर्जी और जस्टिस सेंथिलकुमार राममूर्ति की पीठ ने सुनवाई की। पीठ ने कहा, ‘प्रतिवादी नंबर छह (भाजपा) द्वारा आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर चलाया गया प्रचार अभियान गंभीर उल्लंघन मालूम देता है। 
यहां बतायें कि NewsMailIndia ने 29 मार्च 2021 को अपने Daily Bulletin : के अंक 20 में यह मामला प्रकाशित किया था, शीर्षक था- 'वोटर्स के आधार कार्ड की जानकारी हासिल कर व्‍हाट्सऐप ग्रूपों के जरिये पुदुचेरी चुनाव को प्रभावित करने में जुटी है भाजपा'। 

बहरहाल, मद्रास हाई कोर्ट की सुनवाई के दौरान UIDAI द्वारा इन आरोपों से इनकार किया गया कि केंद्रशासित राज्य में 6 अप्रैल को होने वाले चुनाव के प्रचार के लिए पार्टी को कोई आधार डेटा, खास तौर पर मतदाताओं के मोबाइल नंबर दिए गए। उधर, भाजपा की पुदुचेरी इकाई के वकील ने कहा कि भाजपा ने कोई मोबाइल फोन डेटा नहीं चुराया। उन्होंने कहा, ‘यह (डेटा) एक लंबी अवधि के दौरान पार्टी कार्यकर्ताओं द्वारा इकठ्ठा किया गया था। कोरोना महामारी के दौरान मतदाताओं को बूथ स्तर के वॉट्सऐप ग्रुप्स से जुड़ने का एसएमएस भेजने के  इस नए तरीके का इस्तेमाल किया गया था।’

हालांकि अदालत ने इस तर्क को नहीं माना और कहा कि पार्टी कार्यकर्ताओं का इस तरह नंबर जुटाना ‘पूरी तरह अस्वीकार्य’ है और UIDAI को इस बारे में जवाब देना चाहिए कि डेटा कैसे साझा हुआ। अदालत ने कहा कि UIDAI को मामले को रफा-दफा करने का प्रयास किए बिना निजता को बनाए रखने में उल्लंघन के मामलों पर गौर करना चाहिए।

अदालत ने कहा कि चुनाव आयोग को मुद्दे को बिना किसी रुकावट के आचार संहिता के उल्लंघन के तौर पर लेना चाहिए और पार्टी के खिलाफ अलग से आपराधिक जांच करनी चाहिए। याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया है कि भाजपा के स्थानीय उम्मीदवारों ने UIDAI से मोबाइल नंबर हासिल किए और लक्षित प्रचार के लिए अपने संबंधित निर्वाचन क्षेत्रों के व्हाट्सऐप ग्रुप तैयार किये।

याचिकाकर्ता ने कहा कि चुनाव आयोग से जरूरी मंजूरी के बिना प्रचार के लिए यह तरीका अपनाकर अनुचित राजनीतिक फायदा उठाने के अलावा नागरिकों की निजता का भी गंभीर उल्लंघन हुआ।

पीठ ने कहा कि मामले का यह व्यापक पहलू राजनीति के शोर-शराबे में गुम नहीं होना चाहिए। पीठ मामले पर छह हफ्ते बाद 11 अप्रैल को चुनाव हो जाने के बाद सुनवाई करेगी।

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