स्वामी सानंद सो गए गंगा की दुर्दशा बयां करते-करते..

गंगा नदी निर्मल और अविरल हो, प्रदूषण मुक्त किया जाए, गंगा की रक्षा का कानून बने, बांधों का निर्माण बंद हो, इन मांगों को लेकर गंगा नदी के तट पर हरिद्वार में 112 दिन से अनशन कर रहे प्रो.जी.डी. अग्रवाल उर्फ स्वामी ज्ञान स्वरूप सानंद ने गुरुवार को प्राण त्याग दिए। स्वामी सानंद 109 दिन तक सिर्फ नींबू-पानी लेते रहे और 9 अक्टूबर से उन्होंने जल ग्रहण करना भी बंद कर दिया था। 

आईआईटी-कानपुर में प्रोफेसर रहे स्वामी सानंद गंगा नदी के बड़े जानकारों में से एक थे। वह गंगा की दुर्दशा को लेकर वर्षो से चिंता जता रहे थे। इसके लिए उन्होंने कई आंदोलन भी किए।

'जलपुरुष' के नाम से पहचाने जाने वाले राजेंद्र सिंह ने कहा, "स्वामी सानंद गंगा की अविरलता और निर्मलता के लिए वर्षो से लड़ाई लड़ रहे थे। नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने और उनके द्वारा खुद को गंगा का बेटा बताए जाने पर हर गंगा प्रेमी को भरोसा जागा था कि गंगा की दशा में सुधार आएगा।"

स्वामी सानंद ने केंद्र सरकार का गंगा की दुर्दशा की ओर कई बार ध्यान आकृष्ट किया, पत्र लिखे, मगर उन्हें सरकार की ओर से कोई महत्व नहीं मिला। आखिरकार उन्होंने हरिद्वार में गंगा के तट पर पहुंचकर उपवास शुरू कर दिया। वह लगातार 112 दिनों तक, प्राणांत होने तक उपवास करते रहे। इस दौरान कई बार उनकी तबीयत बिगड़ी और उन्हें अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में भर्ती कराया गया था। 

राजेंद्र सिंह ने कहा, "गंगा नदी की हालत को लेकर स्वामी सानंद बहुत चिंतित रहे। उन्हें इस बात का भरोसा था कि स्वयं को 'गंगा का बेटा' बताने वाले प्रधानमंत्री मोदी एक दिन जरूर गंगा की आवाज सुनेंगे। स्वामी चाहते थे कि गंगा सहित अन्य नदियों पर बड़े बांधों का निर्माण बंद हो, नदियों में गंदगी बहाना रोका जाए, गंगा की रक्षा के लिए कानून बने। वह गंगा नदी की सेहत को लेकर कई बार सवाल उठाते रहे, मगर हर बार अनसुना किया गया।"

स्वामी सानंद को जानने वाले 'जल जन जोड़ो' आंदोलन के राष्ट्रीय संयोजक संजय सिंह ने कहा, "डॉ. अग्रवाल के दिल और दिमाग पर अगर कुछ था, तो वह सिर्फ गंगा ही थी। उनसे जब भी जिस वक्त भी मिलो, सिर्फ एक ही विषय होता था और वह था गंगा। उनके लिए गंगा ठीक वैसे ही थी, जैसे किसी इंसान के लिए अपना परिवार और बच्चों के जीवन का सवाल।" 

स्वामी सानंद की जीवटता और गंगा भक्ति का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि हरिद्वार के जिलाधिकारी ने बुधवार दोपहर को उन्हें अनशन खत्म करने का नोटिस भेजा था, पुलिस अधिकारी जब नोटिस लेकर उनके पास पहुंचे तो उन्होंने उस नोटिस पर अपना जवाब लिखा- "मैं किसी प्रकार का इलाज नहीं कराना चाहता हूं, न हॉस्पिटल में भर्ती होना चाहता हूं, जीवन मेरा है, इस पर मेरा पूरा अधिकार है, यहां शांति भंग होने की कोई संभावना नहीं है, यह सब सरकार का षड्यंत्र है।"

गंगा की रक्षा के लिए उपवास करते हुए अपनी जान दे देने वाले स्वामी सानंद को कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी का साथ मिला था। उन्होंने स्वामी को पत्र लिखा और गंगा की स्थिति पर चिंता जताई। वहीं केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने गंगा आंदोलन के दिल्ली में आयोजित कार्यक्रम में पहुंचकर सरकार का संकल्प दोहराया था। इसके अलावा स्वामी से प्रेरणा लेकर जलपुरुष राजेंद्र सिंह गंगा सद्भावना यात्रा पर निकले।

कोई कल्पना नहीं कर सकता कि 86 साल का बुजुर्ग अपने उद्देश्य और लक्ष्य के लिए इतना अडिग हो सकता है कि उसके लिए जीवन भी कोई मायने नहीं रखता। डॉ. अग्रवाल ने साबित कर दिया है कि इस देश में गंगा की बात करने वाले तो बहुत हो सकते हैं, मगर गंगा के लिए मर मिटने वाले कम लोग ही हैं। -संदीप पौराणिक

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