वर्ल्‍ड ओलम्पियाड में वैशाली होंगी भारत की पहली दृष्टिहीन शतरंज खिलाड़ी

चेन्नई: दृष्टिहीन शतरंज खिलाड़ी नरेंद्र सालावकर विश्व शतरंज ओलम्पियाड में अंतर्राष्ट्रीय ब्राइले शतरंज संघ (आईबीसीए) टीम का हिस्सा बन इस टूर्नामेंट में भागीदारी करने वाली भारत की पहली महिला खिलाड़ी बनेंगी। एफआईडीई से मान्यता प्राप्त आईबीसीए ने अपनी ओपन एवं महिलाओं की टीम शतरंज ओलम्पियाड के लिए भेज दी है। 

आईबीसीए के अध्यक्ष जाधव चारूदत्ता ने शनिवार को लंदन से फोन पर कहा, "वैशाली विश्व शतरंज ओलम्पियाड में हिस्सा लेने वाली भारत की पहली दृष्टिहीन खिलाड़ी बनेंगी।"

चारूदत्त अखिल भारतीय दृष्टिहीन शतरंज महासंघ (एआईसीएफबी) की अध्यक्ष भी हैं।

एआईसीएफबी के कोषाध्यक्ष स्वप्निल शाह ने आईएएनएस से कहा, "45 साल की महाराष्ट्र की रहने वाली वैशाली बीते 20-25 साल से शतरंज खेल रही हैं। वह आठ बार की राष्ट्रीय विजेता हैं।"

वैशाली के इलो रेटिंग में 1,357 अंक हैं। 

शाह ने कहा कि स्पेन की दो खिलाड़ी ओलम्पियाड का हिस्सा नहीं है और इसलिए वैशाली को मौका मिला। 

ओलम्पियाड की आधिकारिक वेबसाइट के मुताबिक, वैशाली के अलावा ओलम्पियाड में हिस्सा लेने वाली अन्य भारतीयों में मलिका हांडा, कोनेरू हम्पी, हरिका द्रोणावल्ली, तानिया सचदेवा, कारावाडे ईशा और पद्मनी राउत के नाम भी शामिल हैं। 

वहीं चारूदत्त ने एफआईडीई से अग्राह किया है कि वह दृष्टिहीन शतरंज को बढ़ावा दे। 

चारूदत्त ने कहा, "एफआईडीई के पास स्कूल के लिए विशेष प्रोग्राम है। इन्हें दृष्टिहीन स्कूलों तक बढ़ा देना चाहिए। दृष्टिहीन स्कूल के छात्रों को आम छात्रों के स्कूलों में लगाई जाने वाली शतरंज की क्लासों में जाने की अनुमति मिलनी चाहिए।"

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