आम बजट में निवेश और उपभोग बढ़ाने पर जोर

:: न्‍यूज मेल डेस्‍क ::

अगले पांच साल में देश की अर्थव्यवस्था को 5,000 अरब डॉलर का बनाकर न्यू इंडिया के सपने को साकार करने के मकसद से मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल के पहले बजट में निवेश और उपभोग पर काफी जोर दिया गया है। वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को लोकसभा में वित्तवर्ष 2019-20 का पूर्ण बजट पेश किया।

वित्तमंत्री ने अपने पहले बजट भाषण में कहा, 'हम 2014 में जब सत्ता में आए थे तब हमारी अर्थव्यवस्था तकरीबन 1,850 अरब डॉलर की थी। पांच साल के भीतर यह 2,700 अरब डॉलर की हो गई और हमारा लक्ष्य अगले पांच साल में इसे 5,000 डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने का है।'

बजट में बुनियादी ढांचा निर्माण के लिए निजी निवेश पर काफी भरोसा जताया गया है। बुनियादी ढांचे के निर्माण की लागत अगले पांच साल में 100 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा होगी। इससे विनिर्माण में तेजी आएगी और निर्यात को प्रोत्साहन मिलने के साथ-साथ ज्यादा रोजगार के अवसर पैदा होंगे।

बजट में आगे देश के विभिन्न क्षेत्रों के लिए एफडीआई (प्रत्यक्ष विदेशी निवेश) खोलने और अन्य विदेशी व अनिवासी भारतीयों के निवेश के लिए नियमों में सहूलियत प्रदान करने का प्रस्ताव किया गया है।

पीडब्ल्यूसी इंडिया के लीडर (पब्लिक फाइनेंस एंड इकॉनोमिक्स) रानेन बनर्जी ने कहा, 'एफपीआई (विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों) को आकर्षित करने और बीमा मध्यवर्ती में एफडीआई के मानकों को भी आसान बनाने के साथ-साथ निजी क्षेत्र को खुश करने के मकसद से एकल ब्रांड खुदरा कारोबार में स्थानीय साधन की जरूरत में ढील देने के लिए पूंजी बाजार के मोर्चे पर कई सराहनीय कदम उठाए गए हैं।'

बजट में सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों की हिस्सेदारी का विनिवेश करके और सॉवरेन बांड विदेशों में जारी करके धन जुटाने का प्रस्ता किया गया है।

वित्तमंत्री ने बुनियादी ढांचा क्षेत्र को लंबी अवधि का धन प्रदान करने का मार्ग तलाशने के लिए विशेषज्ञों की एक समिति का प्रस्ताव दिया है जो इस पर अपना सुझाव देगी।

सरकार को 2019-20 में भारतीय रिजर्व बैंक से लाभांश के रूप में काफी धन मिलने की उम्मीद है। सरकार के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा है कि इस वित्त वर्ष में केंद्रीय बैंक से 90,000 करोड़ रुपये मिलने की उम्मीद है। लेकिन धन की व्यापक जरूरतों को देखते हुए यह पर्याप्त नहीं होगा, क्योंकि वित्तवर्ष 2019 में उम्मीद से कम जीएसटी संग्रह एक बड़ी निराशाजनक बात रही है।

बजट में हालांकि निजी निवेश बढ़ाने और उपभोग को प्रोत्साहन देने के लिए सभी कोशिशें की गई हैं। कंपनियों को भरपूर कर रियायत की पेशकश की गई है और बुनियादी ढांचे के लिए सार्वजनिक खर्च में वृद्धि करने के साथ-साथ कारोबार के विस्तार के लिए साख प्रवाह सुनिश्चित की गई है।

आर्थिक सर्वेक्षण के सुझावों के अनुरूप वित्तमंत्री ने निजी क्षेत्र की अगुवाई में निवेश, रोजगार, निर्यात और उपभोग पर जोर दिया है।

बजट में उड्डयन, बीमा मध्यवर्ती, एनिमेशन और मीडिया के क्षेत्र में एफडीआई को खोलने का प्रस्ताव दिया गया है। वित्तवर्ष 2018-19 में भारत में एफडीआई के रूप में 64.375 अरब डॉलर की रकम आई, जो पिछले साल के मुकाबले छह फीसदी अधिक है।

बजटीय प्रस्ताव के अनुसार, सरकार ऊंची रेटिंग वाली एनबीएफसी की संपत्तियों की खरीद के लिए एक लाख करोड़ रुपये तक की वन-टाइम छह महीने की क्रेडिट गारंटी प्रदान करेगी।

कर्ज प्रोत्साहन के मकसद से वित्तमंत्री ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को 70,000 करोड़ रुपये प्रदान करने का प्रस्ताव किया है।

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