भोपाल:. प्रदेश में एक विधानसभा क्षेत्र के उप चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी कांतिलाल भूरिया ने जीत दर्ज की है। कांग्रेस प्रत्याशी की इस जीत के साथ ही प्रदेश में कांग्रेस सरकार की स्थिति मजबूत होने वाली है। झाबुआ सीट के कांग्रेस के खाते में जाते ही विधानसभा में कांग्रेस विधायकों की संख्या 115 हो जाएगी, जो 230 सदस्यीय विधानसभा में बहुमत 116 के आंकड़े से सिर्फ एक कम रह जाएगी।
गत वर्ष हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला था। निर्दलीय विधायकों के सहारे कांग्रेस ने सरकार बनाई थी। इसके बाद से कुछ निर्दलीय विधायक समय-समय पर कांग्रेस सरकार को आंखे दिखाते रहे। इसमें दमोह जिले के पथरिया विधानसभा क्षेत्र से बसपा विधायक रामबाई और बुरहानपुर से निर्दलीय विधायक शेरा आए दिन सरकार को आंखे दिखाने से नहीं चूक रहे थे।
विधायक रामबाई के पति पर दमोह के कांग्रेस नेता देवेंद्र चौरसिया की हत्या का आरोप लगने के बाद उनके तेवर ठंडे पड़ गए थे। कांग्रेस नेता की हत्या के बाद रामबाई करीब चार महीने तक गायब सी रहीं। इस बीच प्रदेश सरकार ने हत्याकांड की नए सिरे से जांच के आदेश दे दिए। थोड़े ही दिन बाद रामबाई के सुर बदल गए। बुरहानपुर से निर्दलीय विधायक आए दिन सरकार पर मंत्री बनाए जाने का दबाव बनाए हुए थे। एक बार तो वे खुद को कांग्रेस का प्रदेश अध्यक्ष बनाने तक का दावा ठोक चुके हैं।
झाबुआ विधानसभा उपचुनाव के नतीजों से कांग्रेस खेमे में खुशी की लहर है। यदि कांग्रेस उपचुनाव जीतती है तो कमलनाथ सरकार और मजबूत हो जाएगी। कांग्रेस की सदस्य संख्या 114 से बढ़कर 115 हो जाएगी। जो बहुमत के आंकड़े 116 से एक कम है। कमलनाथ सरकार को 4 निर्दलीय विधायक, 1 सपा और 2 बसपा विधायकों का बाहर से समर्थन प्राप्त है। निर्दलीय विधायकों में एक प्रदीप जायसवाल सरकार में खनिज मंत्री हैं, वे मुख्यमंत्री कमलनाथ के करीबी माने जाते हैं। वे चुनाव कांग्रेस से बागी होकर लड़े थे।
झाबुआ विधानसभा उपचुनाव के नतीजे से निर्दलीय एवं सहयोगी दलों के विधायकों का सरकार पर दबाव कम होगा। झाबुआ विधानसभा सीट कांग्रेस के कब्जे वाली मानी जाती है। 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को भाजपा के गुमान सिंह डामौर ने हराया था। इस चुनाव में जेबियर मेड़ा ने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ा था। जो कांग्रेस की हार का मुख्य कारण बना। पिछले चुनाव के नतीजों के अनुसार भाजपा के गुमान सिंह डामौर को 66558 मत मिले थे, जबकि कांग्रेस के विक्रांत भूरिया को 56161 वोट मिले थे। वहीं, कांग्रेस से बगावत कर निर्दलीय चुनाव लड़े जेबियर मेड़ा को 20140 वोट मिले थे। वहीं, लोकसभा चुनाव में इस सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी कांतिलाल भूरिया ने भाजपा उम्मीदवार से बढ़त हासिल की थी।