ठोको सरकार की रोको पॉलिटिक्स!

लखनऊ से राजेंद्र कुमार

राजनीतिक दल भीड़ देखकर खुश होते हैं तो डरते भी हैं। चुनाव नजदीक हो तो सत्तारूढ़ सरकारों में यह डर विपक्ष दल की सभाओं में भीड़ देखकर बढ़ जाता है। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार के साथ भी यही हुआ। सूबे की राजधानी लखनऊ में राहुल, प्रियंका, ज्योतिरादित्य के रोड शो में भीड़ उमड़ी। तो सूबे की ठोको नीति वाली योगी सरकार हड़बड़ा गई। और चंद घंटों बाद ही योगी सरकार ने सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष को प्रयागराज (इलाहाबाद) में छात्रों के एक कार्यक्रम में जाने से रोक करने की पॉलिटिक्स कर डाली। ठीक उसी तर्ज पर जैसा कि गुजरात के विधानसभा चुनावों के दौरान वहां की सरकार ने विपक्षी दलों के नेताओं के साथ की थी। गुजरात में जिग्नेश मेवाणी सहित तमाम विपक्षी नेताओं को एक शहर से दूसरे शहर में जाने से रोक गया था। उसी तर्ज पर सत्ता पर अपने रोब का इजहार करते हुए योगी सरकार ने अखिलेश यादव को प्रयागराज जाने से रोक दिया। ताकि सूबे में विपक्षी दलों का माहौल न बनने पाए। 
अब योगी सरकार के इस कदम की देश भर में आलोचना हो रही है। कहा जा रहा है कि सूबे की ठोको सरकार अब रोको पॉलिटिक्स पर उतरते हुए विपक्ष की आवाज को दबाने पर उतर आयी है। बसपा सुप्रीमों मायावती ने इसे अपने अंदाज में कुछ इस तरह कहा, यूपी सरकार बीएसपी-सपा गठबंधन से इतनी ज्यादा भयभीत व बौखला गई है कि उन्हें अपनी राजनीतिक गतिविधि व पार्टी प्रोग्राम आदि करने पर भी रोक लगाने पर वह तुल गई है। यह अति दुर्भाग्यपूण है। ऐसी आलोकतंत्रिक कार्रवाईयों का डट कर मुकाबला किया जायेगा। तो गुजरात के विधायक जिग्नेश मेवाणी ने ट्वीट कर लिखा, 'एक और नेता छात्रों को संबोधित करने से रोक लिया गया। मैं इसका सख्ती से विरोध करता हूं। इससे साफ है कि मोदी सरकार में बौखलाहट है। सपा मुखिया अखिलेश यादव ने भी योगी सरकार के डर का उल्लेख किया। और कहा कि यह एक ऐसी सरकार है जो छात्रों से डर गई है। जो सरकार यूनिवर्सिटी के नए छात्रों से डर जाए, उसके पास कुछ बचा नहीं है। इन्होंने उनके भविष्य के साथ खिलवाड़ किया है। इसलिए ये नहीं चाहते कि कोई जाए उनके बीच में और अपनी बात रखे। उनके सपनों को मारा है, उन्हें मजबूर कर दिया है कि बेरोजगार बने रहे। कोई नौकरी का इंतजाम नहीं किया। इसलिए यह सरकार घबरा रही है। अखिलेश, मायावती और जिग्नेश मेवाणी के आरोपों का योगी सरकार के पास कोई जवाब नहीं है। 
वैसे भी केंद्र हो या राज्यों की बीजेपी सरकारें, अब वह विपक्षी दलों के सवालों का जवाब नहीं देती। वह सिर्फ आरोप लगाती हैं। और नौकरशाहों के जरिए अपनी पॉलिटिक्स चलाने का प्रयास करने लगी हैं। यूपी में भी यही हुआ। यहां योगी सरकार ने अपनी ठोको नीति की तर्ज पर पावर पॉलिटिक्स दिखाने का प्रयास किया। और बिना किसी ठोक वजह के पहले से तय कार्यक्रम में जाने से रोक दिया। क्यों उठाया गया यह कदम? यह सवाल हुआ तो तमाम राजनीतिक विशेषज्ञों ने कहा कि वास्तव में यूपी की योगी सरकार और बीजेपी के रणनीतिकार सपा और बसपा का गठबंधन होने से खासे डर गए हैं। यूपी में हुआ यह गठबंधन राज्य में बीजेपी की सीटें घटा देगा। वर्ष 2014 में यूपी से बीजेपी और उसके सहयोगी दलों ने 73 सीटें जीती थी। तब मात्र सात सीटे ही सपा और कांग्रेस के खाते में आयी थी। अब सपा और बसपा का गठबंधन होने से वर्ष 2014 जैसी सफलता तो बीजेपी के हाथ नहीं लगेगी। यह आंकलन सिर्फ चुनावी विशेषज्ञों का ही नहीं है, बल्कि बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह का भी यही मत है। 
बीजेपी नेताओं के अनुसार गोरखपुर, फूलपुर और मुजफ्फरनगर में हुए चुनावों में बीजेपी की हार के बाद अमित शाह ने जो सर्वे कराया था, उसमें करीब 30 सीटों पर बीजेपी की हार का संकेत किया गया था। प्रयागराज की सीट भी इन 30 सीटों में शामिल थी। ऐसे में जब सपा प्रमुख के प्रयागराज जाने की भनक सूबे के बीजेपी नेताओं को हुई तो तय हुआ कि अखिलेश को वहां राजनीतिक गतिविधियों को फैलाने का मौका ना दिया जाए। इस योजना के तहत सपा-बसपा गठबंधन से बौखलाई प्रदेश सरकार अब विपक्षी नेताओं के कार्यक्रमों को स्वीकृति देने में विलंब करने से लेकर दी गई स्वीकृति को अन्तिम क्षणों में रदद करने की रणनीति पर काम किया। कुछ समय पूर्व हुए गुजरात विधानसभा के चुनावों में बीजेपी के रणनीतिकारों ने इस फार्मूले पर अमल किया था और जिग्नेश मेवाणी सहित तमाम विपक्षी नेताओं के कार्यक्रम में अवरोध खड़े किए थे।
आज सूबे में भी इस फार्मूले के तहत कार्य हुआ। और अखिलेश यादव को प्रयागराज जाने से रोका गया। इससे बचा जा सकता था, पर सूबे की सरकार ने अखिलेश को प्रयागराज जाने से रोकने का निर्णय लिया क्योंकि यदि अखिलेश यादव का प्रयागराज में छात्रों के कार्यक्रम में शामिल होते तो पहले से ही बीजेपी से खफा छात्रों का हौसला बुलंद होता। बीजेपी को यह मंजूर नहीं था और उन्होंने सत्ताबल की अपनी पावर पॉलिटिक्स का इजहार करते हुए अखिलेश को एयरपोर्ट पर रोक दिया। परन्तु समाजवादी सोच के अखिलेश यादव ने अपने जुझारू तेवर दिखाते हुए बीजेपी का दांव ही पलट दिया। उन्होंने अपने रोक जाने को विपक्ष पर हमला बताया। तो सपा के कार्यकर्ता सड़क पर आ गए। विधानसभा के दोनों सदनों में हंगामा हो गया। इसी दरमियान बसपा मुखिया मायावती ने योगी सरकार पर हमला बोलकर ठोको सरकार की रोको पॉलिटिक्स की हवा निकाल दी। अब  यह कहा जा रहा है कि मायावती के इस तेवर और सपा कार्यकर्ताओं के जुझारु तेवरों से यही संदेश गया कि योगी सरकार तानाशाही पर उतरते हुए विपक्ष को धमकाने लगी है। सत्ता की दबंगई दिखा रही है। अब योगी सरकार यह सफाई दे रही है कि कानून व्यवस्था को लेकर अखिलेश यादव को प्रयागराज जाने से रोका गया था, पर यूपी सरकार की इस सफाई पर किसी को यकीन नहीं हो रहा है। ऐसे में जरूरी है कि सत्ता की हनक दिखाने से बचा जाए, क्योंकि कभी-कभी दांव उल्टा भी पड़ जाता है। जिसके चलते ही योगी सरकार ने अपनी रोको पॉलिटिक्स के तहत ही प्रयागराज जाने नहीं दिया ताकि छात्र अखिलेश का मनोबल ना बढ़ा सके, जैसे कि लखनऊ की जनता ने राहुल और प्रियंका के रोड़ शो में आकर उनका मनोबल बढ़ाया। 

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