चुनाव जीतने के लिये कोई पार्टी किसी भी हद तक जा सकती है। अगर मौजूदा सत्ता उसके इशारों पर चल रही है तो दूसरे सरकारी विभागों के तंत्र और सूचनाओं का भरपूर दुरूपयोग किया जा सकता है। मद्रास उच्च न्यायालय में इसी मामले को इंगित करता हुआ एक मुकदमा इन दिनों चर्चा में है। लोकप्रिय वेबसाइट 'द वायर' के अनुसार, खुलासा तब हुआ जब मद्रास हाई कोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि उन आरोपों की गंभीरता से जांच की जरूरत है जिसमें भाजपा की पुदुचेरी इकाई के पास मतदाताओं के आधार कार्ड का विवरण उपलब्ध होने की बात कही गई है।
इस पर अदालत ने चुनाव आयोग से पूछा कि क्या जांच पूरी होने तक केंद्र शासित प्रदेश के चुनाव को स्थगित किया जा सकता है? पुदुचेरी में छह अप्रैल को विधानसभा चुनाव के लिए मतदान होना है।
अदालत के सवाल पर आयोग ने बताया कि केवल आरोप लगाने से चुनाव स्थगित नहीं किए जा सकते, हालांकि इसने अदालत को यह भी जानकारी दी कि भाजपा को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है।
मुख्य न्यायाधीश संजिब बनर्जी और जस्टिस सेंथिलकुमार राममूर्ति की पीठ ने डेमोक्रेटिक यूथ फेडरेशन ऑफ इंडिया की पुदुचेरी इकाई के अध्यक्ष ए. आनंद की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए आयोग से यह सवाल किया।
इस पूरे प्रसंग में विधि विषयों के जानकार कहते हैं, हो सकता है कि भाजपा की पुदुचेरी ईकाई ने मतदाताओं की निजी जानकारी प्राप्त कर उसका चुनाव प्रचार में इस्तेमाल किया हो।
ऐसे में न्यायालय को यह भी कहना पड़ा कि राजनीतिक पार्टी (भाजपा, पुदुचेरी) ने ऐसे चुनावी प्रचार को अपनाया जिसकी मंजूरी आदर्श आचार संहिता के तहत नहीं मिली है।
हाईकोर्ट की एक और टिप्पणी: हाईकोर्ट ने 26 मार्च को हुई सुनवाई के दौरान कहा कि ये बेहद ‘दुर्भाग्यपूर्ण’ है कि भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) ने मतदाताओं की निजी जानकारी लीक होने के आरोपों का पता लगाने की बजाय याचिकाकर्ता पर ही उलटे आरोप लगाया कि उन्होंने इस मामले को संबंधित अथॉरिटी के सामने नहीं रखा।
याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया था कि भाजपा की पुदुचेरी इकाई के पास अवैध तरीके से मतदाताओं के आधार कार्ड का विवरण उपलब्ध है और ऐसे में भाजपा ने संबंधित सीटों पर चुनाव प्रचार के लिए सैकड़ों वॉट्सऐप ग्रुप बनाए हुए हैं.
हाईकोर्ट की पीठ ने चुनाव आयोग को निर्देश दिए कि वह इस मामले में जांच जारी रखे और 31 मार्च को स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करें।