विरोध की आवाज दबायी गई तो लोकतंत्र खतरे में पड़ जाएगा

:: न्‍यूज मेल डेस्‍क ::

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कहा कि विरोध की आवाज को दबाया नहीं जा सकता, नहीं तो लोकतंत्र खतरे में पड़ जाएगा। साथ ही कोर्ट ने यह भी जानना चाहा कि क्या कांग्रेस पार्टी के अंदर लोकतंत्र मौजूद है। दरअसल, शीर्ष अदालत ने यह टिप्पणी राजस्थान विधानसभा स्पीकर सीपी जोशी की याचिका की सुनवाई के दौरान किया। राजस्थान उच्च न्यायालय ने सचिन पायलट व 18 बागी कांग्रेस विधायकों को दल-बदल नोटिस पर जवाब देने के लिए समय अवधि बढ़ा दी है, जिसके विरोध में जोशी सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए।

न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा, बी.आर. गवई और कृष्णा मुरारी की पीठ ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए मामले की सुनवाई की।

जोशी के प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल से न्यायमूर्ति मिश्रा ने पूछा, विरोध की आवाज को दबाया नहीं जा सकता..नहीं तो लोकतंत्र खतरे में पड़ जाएगा। आखिरकार वे जनता द्वारा चुने गए हैं। क्या वे अपनी असहमति नहीं जता सकते।

सिब्बल ने इसपर तर्क देते हुए कहा कि अगर विधायकों को अपनी आवाज उठानी है तो पार्टी के समक्ष उठानी चाहिए।

इसपर न्यायमूर्ति मिश्रा ने कहा, पार्टी के अंदर लोकतंत्र है या नहीं।

पीठ ने सिब्बल से पूछा कि क्या पार्टी की बैठक में शामिल होने के लिए एक व्हिप दिया गया था।

सिब्बल ने कहा कि जोशी ने बैठक में शामिल होने के लिए व्हिप जारी नहीं किया था, बल्कि यह केवल एक नोटिस था।

न्यायमूर्ति मिश्रा ने सिब्बल से पूछा कि क्या यह वह मामला नहीं हैं जहां पार्टी के सदस्य अपनी ही पार्टी के खिलाफ आवाज नहीं उठा सकते?

सिब्बल ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि यह निर्णय स्पीकर को करना होता है कि बैठक में शामिल नहीं होने पर क्या यह अयोग्य ठहराए जाने का मामला है। लेकिन यह बैठक में शामिल नहीं होने से ज्यादा पार्टी-विरोधी गतिविधि का मामला है।

पीठ ने जानना चाहा कि क्य प्रमाणिक व्हिप को पार्टी बैठक में शामिल होने के लिए जारी किया जा सकता है। पीठ ने कहा, क्या व्हिप केवल विधानसभा बैठक में शामिल होने के लिए वैध है या इसके बाहर भी बैठक में शामिल होने के लिए वैध है।

सिब्बल ने जोर देकर कहा कि यह एक व्हिप नहीं है, बल्कि यह पार्टी के मुख्य सचेतक द्वारा जारी किया गया एक नोटिस है।

पीठ ने इसका जवाब देते हुए कहा कि इसका मतलब पार्टी बैठक में शामिल होने का आग्रह किया गया था और अगर कोई बैठक में शामिल नहीं होता तो क्या यह अयोग्य ठहराए जाने का आधार हो सकता है?

पीठ ने कहा कि स्पीकर क्या निर्णय करेंगे यह कोई नहीं कह सकता। मामले की सुनवाई जारी रहेगी।

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