देविंदर सिंह का ड्रग माफिया से भी संबंध, अकूत सं‍पत्ति अर्जित की

:: न्‍यूज मेल डेस्‍क ::

श्रीनगर: जम्मू-कश्मीर पुलिस ने दावा किया है कि बर्खास्‍त डीएसपी देविंदर सिंह की हरकतों पर कुछ दिनों से नजर रखी जा रही थी। पुलिस देविंदर सिंह का फोन भी ट्रैक कर रही थी। अधिकारियों का दावा है कि वह कई सप्ताह से इन आतंकियों के संपर्क में था। नाम ना छापने की शर्त पर एक अधिकारी ने बताया कि उन लोगों को विश्वास था कि देविंदर किसी गलत काम में लगा है। बाद में उसके घर छापेमारी में हमारा शक पुख्ता हो गया।

अधिकारी ने कहा, 'इंदिरा नगर के पॉश एन्क्लेव में उसके घर पर छापेमारी से पांच ग्रेनेड और तीन एके -47 राइफल की बरामदगी हुई। इसमें कागजी कार्रवाई के अलावा उसके निवेश और संपत्ति का विवरण भी शामिल है, जो उपअधीक्षक को मिलने वाले वेतन से कहीं अधिक है।'

एक अधिकारी ने कहा, 'अगर वह इन आतंकवादियों के साथ दिल्ली जा रहा होता तो मसला कुछ गंभीर था। क्योंकि ऐसा नहीं होता तो उसे साथ जाने की क्या जरूरत थी?' पर, अब देविंदर ने गिरफ्तारी के बाद खुद कई बड़े खुलासे किए हैं। देविंदर ने यह भी आरोप लगाया है कि पुलिस बल में तैनात एक और वरिष्‍ठ अधिकारी आतंकवादियों के लिए काम कर रहे हैं। देविंदर सिंह ने माना कि उसने आतंकवादियों की मदद करके बड़ी गलती की है।

जांच के दौरान यह भी पता चला है कि देविंदर सिंह का ड्रग माफिया से गहरा संबंध था। देविंदर सिंह पुलवामा के त्राल का रहने वाला है। यह वही इलाका है जो हिज्‍बुल मुजाहिदीन का गढ़ माना जाता है। आतंकी बुरहान वानी और जाकिर मूसा इसी इलाके के रहने वाले हैं। त्राल में देविंदर सिंह की पैतृक संपत्ति भी है। उसका एक घर जम्‍मू में भी है। सिंह के परिवार में पत्‍नी और दो बच्‍चे हैं। उसकी एक बेटी बांग्‍लादेश से एमबीबीएस की पढ़ाई कर रही है। सिंह का बेटा श्रीनगर में पढ़ाई करता है।

जम्‍मू-कश्‍मीर पुलिस के सूत्रों ने बताया कि देविंदर सिंह को आतंकवादियों को जम्‍मू ले जाने के लिए 10 लाख रुपये दिए गए थे। उन्‍होंने कहा, 'सिंह ने दावा किया है कि एक और वरिष्‍ठ पुलिस अधिकारी आतंकवादियों के साथ मिलकर काम कर रहे हैं। जांचकर्ताओं ने कहा है कि हम इसकी पुष्टि करेंगे क्‍योंकि जांच को भटकाने का एक प्रयास भी हो सकता है।'

देविंदर शुरू में एक बहादुर जवान था। सेना के कई लोग उसे बहादुर युवा अधिकारी के रूप में याद करते हैं जो जोखिम भरे अभियानों से दूर नहीं भागता था। 1990 के दशक के दौरान उन्हें जल्द ही पुलिस के स्पेशल ऑपरेशंस ग्रुप (SOG) में शामिल कर लिया गया। यह एक अत्यधिक प्रभावी इकाई थी, लेकिन निर्मम और विवादास्पद भी। सिंह ने एसओजी में एक दशक के करीब बिताया और यहीं से इंस्पेक्टर के पद पर पदोन्नत हुआ। सिंह जितना तेजी से ऊपर गया, उतनी ही तेजी से विवादों में भी घिरा। कई आरोप लगे। ड्रग माफिया से भी संबंधों का पता चला।

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