राज्य और केंद्र सरकार झारखंड में भयंकर सुखाड़ के लिए दे तुरंत राहत : ज्‍यां द्रेज

Approved by admin on Sat, 09/10/2022 - 20:38

:: न्‍यूज मेल डेस्‍क ::

इस साल झारखंड में बारिश की कमी किसी से छुपी हुई नहीं है. IMD के आंकड़ों के अनुसार इस साल अभी तक राज्य में सामान्य से 25% कम बारिश हुई है. राज्य के 15 जिलों में सामान्य से काफी कम बारिश हुई है और दो जिलों (गढ़वा व पलामू) में तो भायावही स्थिति है. विदित हो कि झारखंड में मात्र लगभग 10% खेती के क्षेत्र ही सिंचित हैं. इसका सीधा प्रभाव राज्य की प्रमुख खरीफ फसल धान पर पड़ा है.
राज्य के लगभग सभी जिलों में मानसून के शुरूआती दिनों में सामान्य से बहुत कम बारिश हुई. इसलिए जिन ज़िलों में बाद में सामान्य बारिश हुई भी (जैसे पश्चिमी सिंहभूम, पूर्वी सिंहभूम, सराईकेला-खरसावां आदि), वहाँ भी स्थिति गंभीर है. सरकारी आंकड़ों के अनुसार इस साल लगभग 50% कम धान बोवाई हुई है.
झारखंड के अधिकांश किसान छोटी जोत वाले हैं जो फसल के लिए वर्षा पर पूरी तरह निर्भर हैं. कई किसान तो अपने खाने भर का धान भी उगा नहीं पाते हैं. ऐसी सुखाड़ के हालत में राज्य में व्यापक खाद्य संकट की संभावना है. ऐसे में झारखंड में कुपोषण व भुखमरी की चिंताजनक स्थिति और गंभीर हो जा सकती है. इस वर्ष दलहन की भी 30% कम बुवाई हुई है.
दूसरी तरफ केंद्र सरकार की जन विरोधी आर्थिक नीतियों के कारण झारखंड समेत पूरे देश में आम जनता के लिए महंगाई लगातार बढ़ती जा रही है. चाहे सरसों तेल हो, सब्जी हो या दैनिक इस्तेमाल के अन्य समान, महंगाई आसमान छू रही है. बेरोज़गारी जस के तस है.
इस अति विशिष्ट परिस्थिति में, जब ग़रीब जनता कोरोना महामारी से उत्पन्न बेरोज़गारी और अवसरहीनता से अभी तक जूझ रही है, इस वर्ष फसल का न होना इनके लिए अस्तित्व का संकट बन गया है. केंद्र सरकार जनता द्वारा चुने राज्य सरकारों को तोड़ने और गिराने में ध्यान लगाने के बजाए जनता के प्रति अपनी मूल जिम्मेवारी निभाए. झारखंड सरकार भी सुखाड़ में राहत को अब प्राथमिकता दे.
झारखंड जनाधिकार महासभा केंद्र व राज्य सरकार से निम्न मांग करती है: • युद्ध स्तर पर अनावृष्टि के प्रभावों का आँकलन हो, नुक़सान की भरपाई की जाए और किसानों को जल्द
से-जल्द आर्थिक सहयोग दिया जाए. प्रधान मंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना को कम-से-कम अगले 6 महीने तक बढ़ाया जाए और लोगों को दुगना राशन दिया जाए. राज्य सरकार द्वारा जन वितरण प्रणाली से जोड़े गए 20 लाख अतिरिक्त लोगों
(हरा राशन कार्ड) को भी इस योजना से जोड़ा जाए. - जन वितरण प्रणाली में सस्ते दरो पर दाल और खाद्यान तेल दिया जाए
मनरेगा का आवंटन दुगना किया जाए और हर गाँव में व्यापक पैमाने पर काम खोला जाए - आंगनवाड़ी व मध्याहन भोजन में सभी बच्चों को 6 अंडा प्रति सप्ताह दिया जाए. - खाद्यान व दैनिक इस्तेमाल के सामानों में बढ़ रही महंगाई को तुरंत रोका जाए - राज्य सरकार जन वितरण प्रणाली व मनरेगा में हो रहे भ्रष्टाचार पर पूर्ण रोक लगाए ताकि लोगों को उनका
पूरा अधिकार मिले.

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