लखनऊ: देश में मुसलमानों के सबसे बड़े संगठन ऑल इण्डिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने उम्मीद जताई है कि सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या विवाद का फैसला मुसलमानों के पक्ष में आएगा। बोर्ड ने कहा कि समान नागरिक संहिता न सिर्फ मुसलमानों के लिए बल्कि अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों तथा अनेक अन्य समुदायों के लिए बड़ी दिक्कतें पैदा करेगी।
आयोध्या पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले से ठीक पहले ऑल इण्डिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की कार्यकारिणी की नदवतुल उलमा में हुई एक महत्वपूर्ण बैठक शनिवार को हुई। इसमें अयोध्या मामले पर उच्चतम न्यायालय में हो रही सुनवाई और अगले महीने सम्भावित निर्णय को लेकर चर्चा हुई। बैठक में उम्मीद जताई गई कि सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या विवाद का फैसला मुसलमानों के पक्ष में आएगा। इस बैठक में समान नागरिक संहिता और तीन तलाक संबंधी कानून पर भी विस्तृत विचार-विमर्श हुआ।
बोर्ड ने कहा कि समान नागरिक संहिता न सिर्फ मुसलमानों के लिए बल्कि अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों तथा अनेक अन्य समुदायों के लिए बड़ी दिक्कतें पैदा करेगी। बता दें कि मीडिया को इस बैठक से सख्ती से दूर रखा गया था। बोर्ड के अध्यक्ष मौलाना सैयद राबे हसनी नदवी की अध्यक्षता में हुई बैठक में महासचिव मौलाना वली रहमानी, उपाध्यक्ष फखरुद्दीन अशरफ किछौछवी, जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी, मौलाना महमूद मदनी, जफरयाब जीलानी, मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी और मौलाना खालिद रशीद फिरंगी महली समेत तमाम कार्यकारिणी सदस्य मौजूद रहे।
बता दें कि अयोध्या के राम मंदिर बाबरी मस्जिद जमीन विवाद माामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में जारी है। कोर्ट ने कहा है कि वह मामले की सुनवाई तय शिड्यूल 18 अक्टूबर से एक दिन पहले यानी 17 अक्टूबर को पूरी करेगा। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अगुवाई वाली संवैधानिक बेंच ने 37 वें दिन मामले की सुनवाई के आखिर में कहा कि मामले की सुनवाई 17 अक्टूबर को पूरी कर ली जाएगी।
मुस्लिम पक्षकार 14 अक्टूबर को दलील पूरी करेंगे और उसके बाद दो दिन हिंदू पक्षकारों की दलील के लिए मिलेगा। हिंदू पक्षकार 16 को दलील खत्म करेंगे और फिर 17 अक्टूबर को सुनवाई पूरी कर ली जाएगी। गौरतलब है कि पहले अयोध्या मामले की सुनवाई पूरी करने के लिए 18 अक्टूबर की डेडलाइन तय की गई थी। चीफ जस्टिस 17 नवंबर को रिटायर करने वाले हैं उससे पहले इस मामले में फैसला आना है।