प्रशांत किशोर ने एक टीवी चैनल के साथ इंटरव्यू में कहा है कि बीजेपी को हराने के लिए 2-3 महीने की मेहनत काफी नहीं है। उन्होंने कहा कि कोई कितना भी करिश्माई नेता हो, 2-3 महीने पहले जाग कर बीजेपी को हराया नहीं जा सकता है।
इंडिया टुडे से बात करते हुए चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने कहा कि यूपी में सपा के हारने के एक प्रमुख कारण हैं। प्रशांत किशोर ने कहा कि उत्तर प्रदेश में कोई काउंटर नैरेटिव नहीं था। इस इंटरव्यू में जब हाल के विधानसभा चुनावों के परिणामों पर उनसे सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा- “राज्यों में क्या हुआ है? विपक्ष या चुनौती देने वाले नेता, एक मजबूत और भरोसेमंद नेता जनता के सामने रखने में नाकामयाब रहे”।
यूपी विधानसभा चुनाव के संदर्भ में उन्होंने कहा कि समाजवादी पार्टी का अभियान पूरी तरह से भटका हुआ रहा। उन्होंने कहा कि आप बंगाल देख लीजिए, ममता बनर्जी दिन रात लगी रही, वो भी एक-दो महीने नहीं, 2-3 साल, मजबूत चुनावी कैंपेन रहा, तब बीजेपी को हराया जा सका।
प्रशांत किशोर ने कहा- “यूपी में, आपके पास एक मजबूत पार्टी सपा एक चुनौती के रूप में थी। अखिलेश के रूप में उनके पास एक चेहरा है। लेकिन काउंटर नैरेटिव नहीं था”। उन्होंने आगे कहा- “चुनाव से दो महीने या तीन महीने पहले जागने का यह पारंपरिक तरीका अब सफल नहीं है, चाहे आप कितने भी करिश्माई नेता हों, आपकी पार्टी कितनी भी मजबूत क्यों न हो, अगर आप दो-तीन महीने पहले जागते हैं। चुनाव में जाकर 200 जनसभा करेंगे और भाजपा को कोसते रहेंगे, यह काम नहीं करेगा, इसके पर्याप्त सबूत हैं”।
चुनावी रणनीतिकार ने आगे कहा कि अगर आप यूपी में मोदी-योगी को हराना चाहते हैं तो मजबूत प्रतिवाद जरूरी है और यह चुनावी अभियान से पूरी तरह से गायब था। हमें चुनावी रैलियों को एक अभियान के रूप में देखने की गलती नहीं करनी चाहिए। नहीं तो यूपी जैसा परिणाम देखने को मिलते रहेगा। नेताओं को जमीन पर उतर कर हमेशा लड़ते रहना होगा।