लखनऊ: नोटबंदी के दो साल पूरा होने पर केंद्र की मोदी सरकार को आड़े हाथ लेते हुए आम आदमी पार्टी (आप) ने कहा कि नोटबंदी से देश के चौकीदार के दोस्तों को फायदा और आम जनता का नुकसान हुआ है।
पार्टी के प्रवक्ता ने कहा कि नोटबंदी के बाद देश के लोगों से 50 दिन में अर्थव्यवस्था ठीक होने, लोगों को इससे फायदे का दावा करने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दो साल पूरा होने के बावजूद नोटबंदी से देश के आम लोगों को क्या फायदा हुआ, यह बताने में नाकाम रहे। नोटबंदी की वजह से बैंकों के सामने लाइनों में खड़े लोगों को पुलिस की लाठियां भी खानी पड़ी थी। कई गर्भवती महिलाओं का लाइन लगे-लगे प्रसव हो गया तो कई बुजुर्गो की मौत भी हो गई।
आप के प्रदेश प्रवक्ता सभाजीत सिंह ने आईपीएन से बातचीत में कहा कि नोटबंदी मोदी सरकार की सबसे बड़ी नाकामी है, इसी वजह से देश की अर्थव्यवस्था आज भी चौपट है। दो साल पूरा होने के बावजूद लोग संकट से उबर नहीं पाए हैं।
उन्होंने कहा कि नोटबंदी की वजह से लोगों को अपने ही पैसे के लिए दर-दर भटकना पड़ा। कई दिनों तक बैंकों के सामने लाइन में लगने को मजबूर किया गया। सौ से ज्यादा लोगों की मौत हो गई। प्रधानमंत्री या किसी मंत्री के मुंह से इन मौतों पर संवेदना के दो शब्द तक नहीं निकले। यह रातोंरात आई देशव्यापी बड़ी त्रासदी थी। यह सरकार का जनता के खिलाफ क्रूर फैसला था।
सभाजीत सिंह ने कहा कि केंद्र सरकार के इस गलत फैसले से लाखों लोगों के रोजगार चले गए, देश की अर्थव्यवस्था चौपट हुई। नोटबंदी के समय किए गए सारे दावे खोखले साबित हुए। इससे न काला धन पकड़ा गया और न ही आतंकवाद और नक्सलवाद की कमर टूटी। नकली नोटों का चलन भी बंद नहीं हुआ।
उन्होंने कहा कि मुसीबतें झेलने के बावजूद नोटबंदी का कोई फायदा आम जनता को नहीं मिला। उसका असर तो आज भी है। बैंकों के ज्यादातर एटीएम में आज भी पैसे नहीं रहते, इसलिए बहुत सारे बैंकों ने एटीएम से रकम निकासी की कम कर दी।
आप प्रवक्ता ने कहा कि नोटबंदी देश के इतिहास का सबसे बड़ा घोटाला है। सरकार अपनी नाकामियों को छुपाने के लिए नोटबंदी को लेकर नए-नए तर्क दे रही है। प्रधानमंत्री को देश की जनता को बताना चाहिए कि नोटबंदी से कितना काला धन मिला। जिन बेकसूर लोगों की लाइनों में लगने से मौत हुई, उनके परिवार को सरकार ने कुछ नहीं दिया। मुआवजा देना पड़ता, इसलिए इन मौतों को स्वीकार तक नहीं किया गया। नोटबंदी को याद कर छोटे व्यापारी, कामगार और आम जनता आज भी सिहर उठते हैं।
उन्होंने कहा कि नोटबंदी भारत के इतिहास में '8 नवंबर की त्रासदी' के रूप में जाना जाता है। नोटबंदी की वजह से देश में छोटा कारोबार तकरीबन खत्म हो गया। लाखों लोग बेरोजगार हो गए, उनकी रोजी-रोटी के संकट के लिए सरकार जिम्मेदार है।