आदिवासी सेंगेल अभियान के अध्यक्ष सालखन मुर्मू ने टीएसी नियमावली संशोधन पर सख्त प्रतिक्रिया दी है। एक विज्ञप्ति जारी कर सालखन ने बताया है कि TAC (आदिवासी सलाहकार परिषद) पर अमिताभ कौशल के हस्ताक्षर से झारखंड सरकार द्वारा जारी 4.6.2021 का नोटिफिकेशन संविधान के पांचवी अनुसूची (अनुच्छेद 244(1)) प्रावधानों के तकनीकी और आत्मा के खिलाफ प्रतीत होता है। पांचवी अनुसूची के पार्ट बी के धारा 4 की उप धारा 3 abc के तहत टीएसी के लिए रूल्स- रेगुलेशन बनाने और नियुक्ति आदि का अधिकार केवल राज्यपाल को है, मुख्यमंत्री को नहीं। यह अधिसूचना संविधान का खुला उल्लंघन है।
तकनीकी नजर पर देखें तो चूँकि TAC का मूल उद्देश्य है आदिवासी हितों की रक्षा और संवर्धन और इसलिए टीएसी में अधिकतम 20 सदस्यों में से तीन चौथाई अर्थात 15 सदस्य अनिवार्य रूप से आदिवासी रखे गए हैं। मगर इस नोटिफिकेशन ने अपनी धारा 11 की उप धारा 4 के तहत कोरम के रूप में केवल 7 सदस्यों की उपस्थिति रखा है। उसमें भी चार सदस्यों की मेजोरिटी से पारित किसी भी निर्णय को टीएसी का निर्णय बताया है। जो टीएसी के गठन और उद्देश्यों के बिलकुल खिलाफ है। खतरे का संकेत है। गलत निर्णयों के पारित होने का चोर दरवाजा हो सकता है।
नोटिफिकेशन की धारा 3 की उपधारा ए और बी के तहत मुख्यमंत्री और आदिवासी कल्याण मंत्री पदेन या एक्स ऑफिशियो टीएसी के चेयरमैन और वाइस चेयरमैन बन जाते हैं। जिसका प्रवधान संविधान में नहीं है। संविधान में केवल चेयरमैन है और उसकी नियुक्ति राज्यपाल पांचवी अनुसूची की धारा 4 के उप धारा 3 के ए के तहत करते हैं। मगर उसके लिए भी उनको पहले टीएसी की सदस्यता के लिए योग्य बनना पड़ता है। कोई व्यक्ति मुख्यमंत्री होने के नाते स्वतः TAC का चेयरमैन या अध्यक्ष नहीं बन सकता है। ठीक ऐसे ही मामले पर हमने पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास (भाजपा) के खिलाफ केस संख्या 6595/ 2016 तिथि 17 नवंबर 2016 के तहत मान्य झारखंड हाई कोर्ट में मुकदमा दायर किया था। जिसका मकसद था - जब अध्यक्ष की नियुक्ति ही गैरकानूनी और गलत है तब 3 नवंबर 2016 को टीएसी में पारित सीएनटी / एसपीटी कानूनों की गलत संशोधन कैसे जायज और कानूनी हो सकते हैं ?
झारखंड सरकार का यह नोटिफिकेशन संविधान और राज्यपाल के अधिकार क्षेत्रों को बाईपास करने जैसा है, गलत है। अन्ततः पांचवी अनुसूची में उद्धृत "शांति और सुशासन PEACE AND GOOD GOVT" के खिलाफ भी है। टीएसी के गठन और क्रियान्वयन का उद्देश्य है अनुसूचित क्षेत्रों और अनुसूचित जनजातियों के कल्याण और उन्नति को अक्षुण रखना न कि इसको बर्बाद करना है। अतः हम संविधान और जनहित में इस नोटिफिकेशन का विरोध करते हैं।