नई दिल्ली: बिहार में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) में सीटों की साझेदारी में उपेक्षा से नाराज राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (रालोसपा) प्रमुख और केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा ने सोमवार को लोकतांत्रिक जनता दल के अध्यक्ष शरद यादव से मुलाकात कर भाजपा के नेतृत्व वाले गठबंधन से अलग होने के संकेत दिए। कुशवाहा की पार्टी से जुड़े लोगों के मुताबिक, भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने उन्हें मिलने के लिए बुलाया था, लेकिन उन्होंेने मिलने का समय नहीं दिया।
शरद यादव-कुशवाहा मिलन से एक दिन पहले, रविवार को बिहार के मुख्यमंत्री व जद (यू) प्रमुख नीतीश कुमार और रालोसपा प्रमुख के बीच जुबानी जंग इस स्तर तक बढ़ गई कि उन्होंने नीतीश पर रालोसपा विधायकों को तोड़ने का आरोप लगा दिया।
बिहार में ताजा राजनीतिक घटनाक्रम से एक पखवाड़ा पहले भाजपा और जद (यू) ने घोषणा की थी कि प्रदेश में लोकसभा चुनाव में दोनों दलों के बीच बराबर की सीट साझेदारी रहेगी। उसी समय से अटकलें तेज हो गई थीं कि रालोसपा राजग से अलग हो सकती है।
कुशवाहा ने ट्वीट के जरिए कहा कि शरद यादव से उनकी मुलाकात एक 'शिष्टाचारिक भेंट' थी।
लेकिन इस बात की अटकलें लगाई जा रही हैं कि दोनों नेताओं के बीच बिहार के ताजा राजनीतिक हालात पर बातचीत हुई होगी।
कुशवाहा इससे पहले राष्ट्रीय जनता दल (राजद) नेता और बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव से मुलाकात की थी।
रालोसपा के दो विधायकों के जद (यू) में शामिल कराए जाने की तैयारी की खबरों के बीच कुशवाहा ने रविवार को कहा था, "नीतीश कुमार को दूसरी पार्टी के विधायकों को तोड़ने में महारत हासिल है।
मीडिया रिपोर्ट में दावा किया गया है कि रालोसपा विधायक सुधांशु शेखर (मधुबनी जिला स्थित हरलाखी से विधायक) और ललन पासवान (रोहतास जिला स्थित चेनारी से विधायक) को प्रदेश सरकार में मंत्री पद की पेशकश की गई है।
रालोसपा सूत्रों ने आईएएनएस को बताया कि कुशवाहा के साथ भाजपा जिस तरह का व्यवहार कर रही है उससे वह खुश नहीं हैं। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को 2014 में प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किए जाने से पहले ही उनकी उम्मीदवारी का समर्थन किया था।
पार्टी सूत्रों ने कहा कि भाजपा नीतीश कुमार को ज्यादा अहमियत दे रही है, जबकि उन्होंने मोदी को भाजपा का प्रधानमंत्री उम्मीदवार बनाए जाने पर राजग से पल्ला झाड़ लिया था।
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