गिरिडीह: झार२वंड की जीन तीन लोकसभा सीटों पर भाजपा में पैच फॅसा हैा हलाकि उन तीनों पर स़स्पेंस बरकारार हैा लेकिन कोडरमा सीट को लेकर पार्टी आलाकमान क्षेत्र के पार्टी केडरों की भावनाओं एवं जातिय समिकरण को देखते हुए नये सिरे से पूर्नविचार कर रहा है।और यही कारण है कि घोषणा में विलम्ब हो रहा हैा पार्टी के आला सूत्रो की माने तो कोडरमा के सिटिंग सांसद डा० रवीन्द्र राय को फीर से टिकट देने पर मंथन चलरहा है। जानकारी के मुताविक पार्टी के कार्यकताऔ ने सोसल मीडिया और अन्य २त्रोतों से पार्टी आलाकमान को अपनी भावनाओं से अवगत कराया है जिससे कहा है कि सीटींग सांसद ने विगत पॉच सालों के दौरान क्षेत्र में लोगो के बीच २हकर एनडीए सरकार की विकास योजनाओं। को रुची लेकर सरजमीन पर उतारने का काम किया है। जिसकी लम्बी सूची है ।शिक्षा और सड़क निमार्ण के क्षेत्र में तो उल्लेखनीय कार्य हुए है ।कार्य कताओं अपनी भावनाओं में यह भी कहा है कि जिन लोगों के निहित स्वार्थ नही सधे वैसे लोगो ने क्षेत्र में हुए पार्टी सर्वे के दौरान सांसद के रिपोर्ट कार्ड को खराब करने में अहम भूमिका निभाई हैा जो पार्टीऔर संगठन हीत में कदापि उचित नही हैा इघर टिकट के लिए आशावान डा० २वीन्द्र राय ने भी शनिवार को फोन पर कहा कि गलतफमिया दूर हुई हैाहर किसी के कुछेक विरोधी भी होते है ।लेकिन उहोनें पूरी निष्ठा और इमानदारी से क्षेत्र के लोगो के सुख दुःख में खड़े साथ रहकर ।यथासंभव क्षेत्र के विकास में ढेरों काम किये हैा आगे पार्टी आलाकमान पर हैा मालूम हो कि विगत चुनाव में लगभग एक लाख वोटो के अंतर से २वीन्द्र राय कोडरमा से जीते थे। वैसे भी कोडरमा सीट पर जातीय समिकरण भूभीहार समाज के पक्ष में २हा हैा 1977 के बाद से अधिकांश चुनावों में जीतहार में अगड़ी जाती की प्रमुख भूमीका में २ही हैा
पहले से ही बीजेपी कार्यकर्ता मायुस है
गौरतलब है कि गिरिडीह जिले में कोडरमा संसदीय क्षेत्र के चार विधान सभा क्षेत्र क्रमशः धनवार,बगोदर, गाण्डेय और जमुआ पड़ते है। इनमे से घनवार छोड़कर शेष तीन सीटों पर भाजपा का कब्जा है। गिरिड़ीह के उपायुक्त ही कोडरमा के निवार्ची पदाधिकारी होते है। जबकि गिरिडीह ससंदीय क्षेत्र में जिले के दो विधानसभा क्षेत्र डुमरी और गिरिडीह पड़ते हैा भाजपा के कार्यकर्ता गिरिडीह सीट गठवधन दल आजसू को दिये जाने से पहले से ही मायुस हैा और अब कोडरमा में भी पार्टी के किसी परम्परागत कार्यकर्ता के वजाय दूसरे दल से आये किसी अन्य को टिकट दिया जाता है तो कार्यकर्ताओं की नाराजगी होना स्वभाविक है।