मोदी सरकार ने भारत की अर्थव्‍यवस्‍था का बंटाधार कर दिया: मनमोहन सिंह

Approved by admin on Sun, 09/01/2019 - 20:51

:: न्‍यूज मेल डेस्‍क ::

पूर्व प्रधानमंत्री और जानेमाने अर्थशास्‍त्री मनमोहन सिंह ने रविवार को कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था की हालत बहुत ही चिंताजनक है। मनमोहन सिंह ने कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार के चौतरफ़ा कुप्रबंधन के कारण अर्थव्यवस्था में मंदी है। सरकार ने दो दिन पहले ही डेटा जारी किया था जिसमें अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर पिछले छह सालों में सबसे निचले स्तर पर आ गई है।

वर्तमान वित्तीय वर्ष की पहली तिमाही में जीडीपी वृद्धि दर पाँच प्रतिशत पर आकर ठहर गई है। इससे पहले की तिमाही में यह आँकड़ा 5।8 फ़ीसदी था और जून 2018 में यह वृद्धि दर 8.0 फ़ीसदी थी।

डॉ मनमोहन सिंह ने कहा, ''लगतार गिरावट जारी रही तो भारत के लिए बहुत मुश्किल स्थिति होगी। इसलिए मैं सरकार से आग्रह करता हूं कि वो प्रतिशोध की राजनीति से बाहर आए और दिमाग़ से काम लेते हुए सभी की सुने। अर्थव्यवस्था की यह हालत सरकार की ग़लतियों से बनी है।''

मनमोहन सिंह ने कहा कि जीडीपी की वृद्धि दर पाँच फ़ीसदी होने से संकेत मिल रहे हैं कि भारतीय अर्थव्यवस्था लंबी अवधि की मंदी के बीच में है। पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था में तेज़ गति से वृद्धि करने की क्षमता है।

लगातार पाँच तिमाही से अर्थव्यवस्था में गिरावट दर्ज की जा रही है। इससे पहले मार्च 2013 में भारत की अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 4.3 फ़ीसदी पर थी।

ऑटो इंडस्ट्री से लेकर एफ़एमसीजी तक में सुस्ती का दौर है और इसी वजह से हज़ारों नौकरियां भी गईं।

केंद्र की मोदी सरकार ने पिछले कुछ दिनों में अर्थव्यवस्था को स्थिर करने के लिए कई क़दम उठाए हैं। सरकार ने एफ़डीआई के नियम और आसान बनाए हैं। शुक्रवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सरकारी बैंकों में सुधार के लिए भी कई घोषणाएं की थीं।

मनमोहन सिंह ने एक वीडियो संदेश में कहा, ''सबसे ज़्यादा चिंताजनक स्थिति मैन्युफ़ैक्चरिंग सेक्टर की है, जहां वृद्धि दर 0.6 फ़ीसदी पर आ गई है। इससे साफ़ है कि हमारी अर्थव्यवस्था सरकार की ग़लतियों से उबर नहीं पाई है। जीएसटी को जल्दीबाजी में लागू किया गया। घरेलू मांगों में गिरावट आ रही है। खपत वृद्धि दर पिछले 18 महीने के सबसे निचले स्तर पर आ गई है। टैक्स को जटिल बना दिया गया। निवेशकों में निराशा है।''

मनमोहन सिंह ने कहा कि मोदी सरकार की ख़राब नीतियों के कारण जॉबलेस ग्रोथ को बढ़ावा मिल रहा है।

पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा, ''ऑटोमोबिल सेक्टर में 3.5 लाख लोगों को नौकरियों से हाथ धोना पड़ा। बड़ी संख्या में लोग असंगठित क्षेत्र में भी बेरोज़गार हुए हैं। ग्रामीण भारत की हालत बहुत ही ख़राब है। किसानों को उचित क़ीमत नहीं मिल रही है और ग्रामीण आय में भी लगातार गिरावट आ रही है। संस्थानों की स्वायत्तता ख़त्म की जा रही है। सरकार ने आरबीआई से 1.76 लाख करोड़ रुपए ले लिए लेकिन इसके इस्तेमाल की कोई योजना नहीं है।''
मनमोहन सिंह ने कहा कि इस सरकार में डेटा की विश्वसनीयता भी सवालों के घेरे में है।

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