नई दिल्ली: भारत के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई रविवार को औपचारिक रूप से रिटायर हो जाएंगे। चीफ जस्टिस के रूप में उनका कार्यकाल करीब साढ़े 13 महीने का रहा। इस दौरान उन्होंने कुल 47 फैसले सुनाए, इनमें से कई फैसले ऐतिहासिक रहे, इन फैसलों के लिए उनको हमेशा ही याद किया जाएगा। इनमें अयोध्या विवाद, तीन तलाक, चीफ जस्टिस का दफ्तर आरटीआई के दायरे में, सरकारी विज्ञापन में नेताओं की तस्वीर पर पाबंदी लगाने जैसे फैसले शामिल थे। इसके अलावा तीन तलाक पर भी किया गया फैसला शामिल है। उन्होंने अक्टूबर 2018 में भारत के 46वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ ली थी।
जस्टिस रंजन गोगोई एक सख्त जज के तौर पर जाने जाएंगे। साल 2016 में जस्टिस गोगोई ने सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज मार्कंडेय काटजू को अवमानना का नोटिस भेज दिया था। अवमानना नोटिस के बाद जस्टिस काटजू सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए और उन्होंने फेसबुक पोस्ट के लिए माफी मांगी। यही नहीं वह उस का पीठ का हिस्सा रहे, जिसने लोकपाल अधिनियम को कमजोर करने के सरकार के प्रयासों को विफल कर दिया था। वह उस पीठ का भी हिस्सा रहे जिसने कोर्ट की अवमानना के लिए कोलकाता हाई कोर्ट के न्यायाधीश सी एस कन्नन को भी पहली बार जेल में डाल दिया।
रंजन गोगोई सुप्रीम कोर्ट में बैठे 25 न्यायाधीशों में से उन ग्यारह न्यायाधीशों में शामिल रहे जिन्होंने अदालत की वेबसाइट पर अपनी संपत्ति का सार्वजनिक विवरण दिया। इससे उनके पारदर्शी होने को और बल मिला।
सीजेआइ पर भी सुप्रीम कोर्ट की एक पूर्व महिला कर्मचारी ने अक्टूबर 2018 में यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था। उनको जब आरोपों के बारे में बताया गया तो उन्होंने इसे सिरे से खारिज कर दिया। इस मामले की जांच करने के लिए तीन सदस्यीय कमेटी बनाई गई, कमेटी ने जांच पड़ताल की तो उनको भी कुछ खास हाथ नहीं लगा। इसके बाद उनको इस मामले में क्लीन चिट दे दी गई।
गोगोई के ऐतिहासिक फैसले
1. अयोध्या मामला :- अयोध्या विवाद मामले में उन्होंने अपनी बेंच के साथ फैसला सुना दिया। उनकी अध्यक्षता वाली पांच जजों की बेंच ने विवादित जमीन राम लला विराजमान को देने का फैसला सुनाया है। इसी के साथ सीजेआई रंजन गोगोई ने कहा कि मंदिर निर्माण के लिए ट्रस्ट बनाया जाए, साथ ही केंद्र सरकार तीन महीने में इसकी योजना तैयार करे। सुन्नी वक्फ बोर्ड को पांच एकड़ जमीन देने का भी फैसला सुनाया। सीजेआई ने कहा कि ये पांच एकड़ जमीन अयोध्या में कहीं भी दी जाए।
2. सबरीमाला मामला :- सुप्रीम कोर्ट ने सबरीमाला मंदिर पर अपना फैसला सुनाते हुए महिलाओं के प्रवेश पर फिलहाल रोक लगाने से इनकार कर दिया है। उनकी ओर से अब इस मामले को 7 जजों की बड़ी बेंच को रेफर कर दिया गया है। अब सात जजों की बेंच इस मामले में अपना फैसला सुनाएगी। दो जजों की असहमति के बाद यह केस बड़ी बेंच को सौंपा गया है। सबरीमाला केस की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस केस का असर सिर्फ इस मंदिर नहीं बल्कि मस्जिदों में महिलाओं के प्रवेश, अग्यारी में पारसी महिलाओं के प्रवेश पर भी पड़ेगा।
3. चीफ जस्टिस का दफ्तर आरटीआई के दायरे में :- अब तक चीफ जस्टिस का आफिस आरटीआइ के दायरे से बाहर था। मगर अब उनका आफिस भी सूचना के अधिकार कानून के दायरे आएगा। हालांकि, निजता और गोपनीयता का अधिकार बरकरार रहेगा। दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए बेंच ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट और चीफ जस्टिस का दफ्तर आरटीआई के दायरे में कुछ शर्तों के साथ आएगा।
4. सरकारी विज्ञापन में नेताओं की तस्वीर पर रोक :- चीफ जस्टिस रंजन गोगोई और पीसी घोष की पीठ ने सरकारी विज्ञापनों में नेताओं की तस्वीर लगाने पर पाबंदी लगा दी थी। सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के बाद किसी भी सरकारी विज्ञापन पर राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, राज्यपाल, मुख्यमंत्री और संबंधित विभाग के मंत्री के अलावा किसी भी नेता की तस्वीर प्रकाशित करने पर रोक लगा दी गई है। क्योंकि चुनाव के दौरान या अन्य किसी मौके पर नेताओं की तस्वीर वाले विज्ञापनों की भरमार हो जाती थी।
5. सात भाषाओं में कोर्ट का फैसला:- चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने ही सुप्रीम कोर्ट के फैसले को हिंदी और अंग्रेजी के अलावा सात अन्य भाषाओं में प्रकाशित करने का फैसला दिया था। इस फैसले से पहले तक केवल अंग्रेजी भाषा में ही फैसला प्रकाशित किया जाता था। कई बार मामले के पक्षकार अंग्रेजी भाषा को समझ नहीं पाते थे, उनकी मांग थी कि कई और भाषाओं में भी फैसले की कॉपी प्रकाशित की जानी चाहिए जिससे जिनको हिंदी, अग्रेंजी नहीं आती हो वो इस फैसले को अपनी भाषा में पढ़ सकें।
6- सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज मार्कंडेय काटजू को अवमानना का नोटिस :- उन्हीं के चीफ जस्टिस रहते हुए सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज मार्कंटेय काटजू को अवमानना का नोटिस भेजा गया, उनको ये नोटिस सोशल मीडिया फेसबुक पर एक टिप्पणी लिखने के लिए भेजा गया था।
7- कोर्ट की अवमानना पर जेल भेजा :- सीजेआइ रंजन गोगोई ने पहली बार किसी जज को जेल भेजने का भी आदेश दिया था। उन्होंने कोलकाता हाई कोर्ट के न्यायाधीश सी एस कन्नन को जेल भेजने की कार्रवाई की थी। उन्होंने कोर्ट की अवमानना की थी जिससे नाराज होकर उनके खिलाफ ये कार्रवाई की गई थी।