केंद्र की शनि-दृष्टि अब देश के सबसे पुराने विज्ञान संस्‍थान पर, कहा- हिंदी भाषा लागू करो! 

:: न्‍यूज मेल डेस्‍क ::

ऐसा लगता है कि केंद्र की मोदी सरकार अपने नये-नये फरमानों को लेकर हमेशा चर्चा में बने रहना चाहती है। हालिया हमला देश के सबसे पुराने, 1876 में स्‍थापित विज्ञान शोध संस्‍थान IACS पर है। IACS यानी इंडियन एसोसिएशन फॉर द कल्‍टीवेशन आफ साइंस।
मामला यूं है.. कोलकाता से निकलने वाले अखबार द टेलीग्राफ के अनुसार, विगत 19 मार्च को गृह मंत्रालय के सरकुलर के रूप में एक फरमान आया। कहा गया है कि गृह मंत्रालय ने इस बात का संज्ञान लिया है कि भारत सरकार द्वारा तय किए गए हिंदी भाषा के लक्ष्य को पूरा करने के लिए संस्थान ‘उचित परिणाम’ नहीं दे पा रहा है।

इस सर्कुलर को संस्थान के निदेशक, डीन, अध्यक्षों, स्कूल प्रमुखों एवं अन्य विभागों में भेजा गया था और कहा गया कि पहले से ही एक हिंदी ऑफिसर की नियुक्ति हुई है, इस संबंध में उनसे मदद ली जाए। 
बतायें कि मौजूदा केंद्र सरकार 'हिन्‍दी' थोपने के लिए जानी जाती है, जिसे लेकर गैर-हिंदी भाषा-भाषी विरोध करते आये हैं। ICAS के लोगों का कहना है कि इससे पहले उन्हें कभी भी राजभाषा को सही से लागू न करने या इसके टार्गेट को पूरा करने के लिए आरोप नहीं लगाया गया था।

19 मार्च को जारी सर्कुलर में कहा गया था कि 55 फीसदी पत्राचार हिंदी में होने चाहिए और हिंदी में प्राप्त किए गए पत्र का जवाब हिंदी में ही दिया जाहिए। इसके अलावा 33 फीसदी फाइल नोटिंग्स को हिंदी में तैयार करने और फाइलों के नाम हिंदी और अंग्रेजी दोनों में लिखने के लिए कहा गया था।
हालांकि यह बताते चलें कि आ रही प्रतिक्रिया के कारण 23 मार्च को संस्थान ने एक और सर्कुलर जारी किया और 19 मार्च को जारी किए गए पिछले सर्कुलर को निरस्त कर दिया। नए पत्र में मामले को लेकर थोड़े नरम लहजे में बात की गई और कम आरोप लगाया गया है।

इसके साथ ही हर तिमाही के अंत में सभी विभागों को एक प्रोग्रेस रिपोर्ट तैयार कर हिंदी सेल को भेजने का आदेश दिया गया था। सर्कुलर में कहा गया कि इन नियमों का पालन किया जाना चाहिए ताकि भविष्य में राजभाषा विभाग का दौरा होने पर संस्थान ‘असहज परिस्थितियों’ से बचाया जा सके.

इस मामले को लेकर संस्‍थान के वैज्ञानिक कहने लगे हैं, ‘ये बेहद चिंताजनक बात है कि देश के सबसे सम्‍मानित और सबसे पुराने विज्ञान संस्‍थान से विज्ञान की जगह हिंदी भाषा पर बात किया जा रहा है.’

बतायें कि साल 1876 से ही विज्ञान की दिशा में अग्रणी भूमिका निभाते हुए IACS ने कई सारे अविष्‍कार किए हैं, जिसमें वर्ष 1928 का "रमन इफेक्ट" भी शामिल है। इसे लेकर साल 1930 में सीवी रमन को नोबेल पुरस्कार मिला था।
इस संस्‍थान की स्‍थापना इतिहास पुरूष प्रसिद्ध चिकित्सक, समाज सुधारक तथा विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान के एक जुनूनी प्रचारक डॉ महेन्‍द्र लाल सरकार ने की थी। कॉलेज स्ट्रीट और बॉउबाजार स्ट्रीट (संस्थान अब जादवपुर में है) के चौराहे पर लीज पर लिए गए एक घर में 29 जुलाई, 1876 को इंडियन एसोसिएशन ऑफ द कल्टिवेशन ऑफ साइंस की स्थापना हुई थी। सरकार अपनी मृत्यु तक संस्थान के सचिव थे। 

बतायें कि आचार्य जगदीश चंद्र बोस, आचार्य प्रफुल्ल चंद्र रे और चुन्नीलाल बसु जैसे कई प्रख्यात वैज्ञानिकों ने IACS में भाषण दिया था। 

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