वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम की ताजा तरीन रिपोर्ट बता रही है कि जेन्डर गैप यानी लिंग अनुपात की सूची में भारत बुरी तरह पिछड़ता जा रहा है। 30 मई 2021 को जारी रिपोर्ट में बताया गया है कि महज एक साल में भारत एक बार फिर 28 पायदान और नीचे गिर गया है।
जी हां हम बात कर रहे हैं भारत में महिलाओं की बदहाली के बारे में। हमारी सरकारें-व्यवस्था लाख 'महिला सशक्तिकरण' के गीत गाती रहे, इस लिंग अुनपात सर्वेक्षण के आंकड़े बता रहे हैं कि दुनिया के 156 देशों की सूची में भारत का स्थान 140वां है। यह भी बतायें कि पिछले एक साल में भारत 28 पायदान नीचे गिरा है। 2020 में भारत 112 वें स्थान पर था।
आर्थिक भागीदारी और अवसर की सूची में भी गिरावट आई है और रिपोर्ट के अनुसार इस क्षेत्र में लैंगिक भेद अनुपात तीन प्रतिशत और बढ़कर 32.6 प्रतिशत पर पहुंच गया है. सबसे ज्यादा कमी राजनीतिक सशक्तिकरण उपखंड में आयी है. यहां महिला मंत्रियों की संख्या (वर्ष 2019 में 23.1 प्रतिशत थी जो 2021 में घट कर 9.1 प्रतिशत) यानी काफी कम हुई है.
यहां यह भी बताना जरूरी है कि दक्षिण एशिया में केवल पाकिस्तान और अफगानिस्तान सूची में भारत से नीचे हैं। भारत के पड़ोसी देशों में से बांग्लादेश इस सूची में 65, नेपाल 106, पाकिस्तान 153, अफगानिस्तान 156, भूटान 130 और श्रीलंका 116वें स्थान पर हैं।
द वायर की समीक्षा कहती है, इस जेन्डर गैप रिपोर्ट के मुताबिक, दक्षिण एशिया में बांग्लादेश का प्रदर्शन सबसे अच्छा है. इसने पुरुषों एवं महिलाओं के बीच की 71.9 फीसदी खाई को भर दिया है. वहीं भारत इस दिशा में सिर्फ 62.5 फीसदी तक ही पुरुष एवं महिलाओं के बीच की दूरी को भर पाया है.
वहीं 12वीं बार आइसलैंड पहले स्थान पर कायम रहा है. यह देश पुरुष एवं महिला भागीदारी की दिशा में सबसे समानतावादी देश है. ऐसे टॉप-10 देशों की सूची में फिनलैंड, नॉर्वे, न्यूजीलैंड, स्वीडन, नामीबिया, रवांडा, लिथुआनिया, आयरलैंड और स्विटजरलैंड हैं. इस मामले में ब्रिटेन 23वां और अमेरिका 30वें स्थान पर हैं.
रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में महिलाएं पुरुषों के तुलना में सिर्फ 20 फीसदी कमा पाती हैं, जो कि देश को इस मामले में सबसे निचले 10 देशों की सूची में डालता है. रिपोर्ट में कहा गया, ‘महिला श्रम बल भागीदारी दर 24.8 प्रतिशत से गिरकर 22.3 प्रतिशत रह गई. इसके साथ ही पेशेवर और प्रौद्योगिकी क्षेत्र में महिलाओं की भूमिका घटकर 29.2 प्रतिशत हो गई. वरिष्ठ और प्रबंधक पदों पर महिलाओं की भागीदारी भी कम ही रही है. इन पदों पर केवल 14.6 प्रतिशत महिलाएं ही हैं और केवल 8.9 फीसदी कंपनियां हैं, जहां शीर्ष प्रबंधक पदों पर महिलाएं हैं.’ रिपोर्ट के अनुसार, यह अंतर महिलाओं के वेतन में और शिक्षण दर में भी दिखाई देता है.
इस हालिया रिपोर्ट पर चिंता व्यक्त करते हुए कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी भारत की वर्तमान केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ यानी RSS की मानसिकता के अनुसार यह सरकार महिलाओं को अशक्त करने पर तुली है। राहुल ने ट्वीट कर कहा, ‘संघ की मानसिकता के अनुसार केंद्र सरकार महिलाओं को अशक्त करने में लगी है- ये भारत के लिए बहुत खतरनाक है.’