छत्तीसगढ़ के सुकमा-बीजापुर मुठभेड़ के बाद एक जवान के अपहरण का दावा करने वाले नक्सलियों ने अब उस जवान की तस्वीर भी जारी की है। एक प्रेस नोट जारी कर नक्सली नेता विकल्प ने स्वीकार किया था कि एक जवान बंदी के रूप में उनके कब्जे में है। नक्सलियों ने जवान की तस्वीर मीडिया में जारी की है। तस्वीर एक जंगली इलाके की है, जहां अस्थायी झोपड़ी में जवान वर्दी में बैठा हुआ दिखाई दे रहा है। इधर अपहृत CRPF के कमांडो राकेश्वर सिंह मन्हास का परिवार लगातार सरकार से उन्हें नक्सलियों के कब्जे से छुड़ाने की मांग कर रहा है। इस दौरान आज जम्मू के स्थानीय लोग और मन्हास के परिवार द्वारा जम्मू-अखनूर हाईवे जाम किया गया। उनकी पत्नी और पांच साल की बेटी बेसब्री से राकेश्वर सिंह के घर लौटने की राह देख रही हैं। उनकी मांग है कि सरकार जल्द से जल्द उन्हें नक्सलियों के चंगुल से छुड़ाए।
नक्सलियों ने सरकार के नाम एक चिठ्ठी लिखी है। दो पेज की इस चिठ्ठी में नक्सलियों ने सरकार से मांग की है कि वे पहले किसी मध्यस्थ का चुनाव करे ताकि उनके साथ बातचीत आगे की जाए। चिठ्ठी के अुनसार मध्यस्थता करने वाले के नाम की घोषणा के बाद वहे बंधक बनाये CRPF कमान्डो राकेश्वर सिंह मन्हास को रिहा कर देंगे। चिट्ठी में कहा गया है कि वे बातचीत के विरोध में नहीं हैं, पर इसके लिए माहौल बनाना सरकार का काम है। जवान की रिहाई तब तक नहीं होगी, जब तक सरकार मध्यस्थ नहीं नियुक्त कर देती। तब तक वह 'जनताना सरकार' (नक्सलियों) के पास सुरक्षित रहेगा।
नक्सलियों में एक अहम जानकारी देते हुए बताया है कि मारे गये जवानों के पास से बरामद 14 हथियार और 2 हजार से ज्यादा कारतूस उनके पास है। साथ ही उन्होंने माना है कि चार नक्सली उस हमले में मारे गए। नक्सलियों ने बाकायदा एक प्रेस रिलीज जारी करके ये बात बताई है। ये प्रेस नोट नक्सलियों की दण्डकारण्य स्पेशल ज़ोनल कमेटी के प्रवक्ता विकल्प ने जारी किया है। इससे पहले पुलिस ने दावा किया था कि मुठभेड़ में कम से कम 12 नक्सली मारे गए हैं। नक्सलियों ने जारी पर्चे में कहा है कि ओडी सन्नू, पदाम लखमा, कोवासी बुधरू और नूपा सुरेश मुठभेड़ में मारे गए हैं। इनसे से सन्नू का शव उनको नहीं मिला है। इधर छत्तीसगढ़ सीएम भूपेश बघेल ने आज कोरोना संक्रमण के संबंध में कैबिनेट मीटिंग बुलाई है। इस दौरान नक्सलियों से बातचीत के लिए मध्यस्थों के नाम पर भी चर्चा के संकेत हैं।
उधर, बस्तर क्षेत्र में आदिवासियों के लिए काम करने वाली समाजिक कार्यकर्ता सोनी सोरी ने नक्सलियों से अपील की है कि वह जवान राकेश्वर सिंह को रिहा कर दें। सोरी ने कहा है कि अगर नक्सली जवान को रिहा करने में देरी करते हैं तब वह बुधवार को मुठभेड़ स्थल की ओर जाएंगी तथा माओवादियों से बात करने की कोशिश करेंगी, जिससे जवान को रिहा कराया जा सके।
केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल के ‘कोबरा’ कमांडो राकेश्वर सिंह मन्हास का परिवार शनिवार को छत्तीसगढ़ में हुए नक्सली हमले और उनके अगवा होने की खबर सुनने के बाद से गहरे सदमे में है। परिजनों ने कहा कि मन्हास की पांच साल की बेटी श्रग्वी अपने पिता को मुक्त करने की गुहार लगा रही है। उनकी पत्नी मीनू ने संवाददाताओं से कहा, ‘हमें न्यूज चैनल से हमले की जानकारी मिली और पता चला कि वह लापता हैं। सरकार और सीआरपीएफ में से किसी ने हमें घटना की जानकारी नहीं दी।’ उन्होंने जम्मू स्थित सीआरपीएफ मुख्यालय से मन्हास के बारे में जानकारी प्राप्त करने की कोशिश की तो बताया गया कि वह घरवालों से कोई भी जानकारी साझा नहीं कर सकते। उन्होंने कहा कि तस्वीर साफ होने के बाद ही वे कुछ बताएंगे। राकेश्वर की पत्नी मीनू ने कहा- ' अगर जवान अपनी छुट्टी खत्म होने के एक दिन बाद ड्यूटी पर रिपोर्ट करता है तो उसके खिलाफ एक्शन लिया जाता है। यहां एक जवान तीन तारीख से लापता है और सरकार ने कोई एक्शन नहीं लिया। हम चाहते हैं कि सरकार मध्यस्थ ढूंढे और उन्हें रिहा करवाए।’