लोकसभा की 91 सीटों के लिए पहले चरण में हुए मध्यम मतदान अगर कोई संकेत हैं तो भाजपा को चिंतित होना चाहिए। 2014 के चुनावों में मोदी लहर में भाजपा ने 32 सीटों पर जीत हासिल की थी। उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और महाराष्ट्र के हिंदी भाषी राज्यों में कम मतदान होने से भाजपा के कोर ग्रुप की चिंता बढ़ गई है। असम में लगभग 10 प्रतिशत मतदान कम होने से भाजपा की राज्य की सभी 5 सीटें जीतने की महत्वाकांक्षा खतरे में पड़ गई है।
उत्तर प्रदेश में भाजपा को सशक्त सपा, बसपा, रालोद, गठबंधन का सभी 8 सीटों पर कड़ा मुकाबला सहन करना पड़ा। 2014 में भाजपा ने ये सभी 8 सीटें जीती थीं। इस बार भाजपा के 5 से अधिक सीटें जीतने की सम्भावना नहीं। 3 सीटें गठबंधन को मिलेंगी क्योंकि कांग्रेस ने इन 8 सीटों में से 4 में बहुत चतुराई से समर्थन दिया है और इन क्षेत्रों में ऐसे उम्मीदवारों को खड़ा किया है जिनसे गठबंधन के उम्मीदवारों को अप्रत्यक्ष रूप से मदद मिली।
उदाहरण के तौर पर गाजियाबाद में कांग्रेस ने एक ब्राह्मण डॉली शर्मा को मैदान में उतारा, जो जनरल वी.के. सिंह की वोटों को काटेंगी जबकि गौतमबुद्ध नगर में कांग्रेस ने एक ठाकुर अरविंद सिंह चौहान को उतारा है जो भाजपा के महेश शर्मा को नुक्सान पहुंचाएंगे। इसी तरह कैराना में कांग्रेस का जाट उम्मीदवार भाजपा के उम्मीदवार को हराने में मदद करेगा। इसी तरह मेरठ में भाजपा के राजेन्द्र अग्रवाल को कांग्रेस के बनिया उम्मीदवार हरेन्द्र अग्रवाल बुरी तरह प्रभावित करेंगे। कांग्रेस ने बागपत और मुजफ्फरनगर में अपने उम्मीदवार खड़े नहीं किए जहां से जयंत चौधरी और अजित सिंह चुनाव लड़ रहे हैं लेकिन दो शेष सीटों पर कांग्रेस ने मजबूत उम्मीदवार खड़े किए हैं। सहारनपुर में इमरान मसूद और बिजनौर में नसीमुद्दीन सिद्दीकी को उतारा है। यहां मतों में विभाजन से भाजपा को मदद मिल सकती है मगर उत्तर प्रदेश में भगवा पार्टी को काफी नुक्सान होगा।
विपक्ष के मजबूत गठबंधन के कारण भाजपा के महाराष्ट्र के भंडारा-गोंडिया और गढ़चिरौली की 2 सीटें हारने की सम्भावना है। इसी तरह यह इस बार अविभाजित आंध्र प्रदेश में 2 सीटें हारेगी। भाजपा के असम, मेघालय और अंडेमान-निकोबार में भी एक-एक सीट हारने की सम्भावना है। पार्टी के त्रिपुरा में एक और ओडिशा में 2 सीटें जीतने की सम्भावना है इसलिए भाजपा को लाभ की बजाय अधिक नुक्सान होने की सम्भावना है। 2014 में कांग्रेस ने 91 सीटों में से 7 सीटें जीती थीं। इस बार कांग्रेस को इस चरण में लाभ होने की बजाय एक सीट हारने की सम्भावना है। कांग्रेस अविभाजित दोनों सीटें हारेगी। इसके साथ ही मिजोरम और मणिपुर में भी एक-एक सीट हारेगी। (समाचार माध्यमों की समीक्षा पर आधारित)