भयभीत करनेवाले कुछ नये आंकड़े आनेवाले हैं भारत की अर्थव्‍यवस्‍था को लेकर

:: न्‍यूज मेल डेस्‍क ::

नई दिल्ली:  भारत की अर्थव्‍यवस्‍था बद से बदतर होती दिख रही है। जल्‍द ही कुछ ऐसे नए आंकड़े सामने आनेवाले हैं जो देश के लोगों के अंदर एक बार फिर से झुरझुरी पैदा कर सकते हैं। देश और दुनिया की तमाम एजेंसियां भारत की दूसरी तिमाही के आंकड़ों का अनुमान लगाया है वो पांच फीसदी से नीचे चला गया है। अब सवाल यह भी खड़ा हो गया है कि आखिर केंद्र सरकार इन आंकड़ों के साथ 2024 तक देश की 5 ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी कैसे बना पाएगी। देश की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कुछ दिन पहले कहा है कि अभी भारत गिरती अर्थव्यवस्था को आर्थिक मंदी से जोड़कर नहीं देखा जाना चाहिए। उन्होंने अपनी बात इस तर्क के साथ् मजबूत किया था कि देश की बड़ी कंपनियां बड़ा निवेश करने की तैयारी कर रही हैं। देश की वित्त मंत्री का यह बयान इसलिए था ताकि देश आर्थिक मंदी के डर से परेशान ना हो, लेकिन जो आंकड़े पहली तिमाही में आए थे और जो दूसरी तिमाही के आंकड़ों का जो अनुमान लगाया जा रहा है वो देश के लोगों को ज्यादा डरा सकते हैं।

यह स्थिति काफी भयावह है कि दूसरी तिमाही में जीडीपी दर का अनुमान 5 फीसदी से नीचे ही लगाया जा रहा है। पहले बात नेशनल काउंसिल ऑफ़ एप्लाइड इकोनॉमिक रिसर्च की करें तो दूसरी तिमाही के लिए भारत की आर्थिक विकास दर 4.9 फीसदी का अनुमान लगाया गया है। देश के सबसे बड़े सरकारी बैंक स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की ओर से दूसरी तिमाही के लिए सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर 4.2 फीसदी रहने का अनुमान लगाया गया है। कोटक महिंद्रा बैंक ने विकास दर के दूसरी तिमाही में 4.7 फीसदी रहने का अनुमान जताया है। वहीं क्रिसिल ने कहा कि मौजूदा दूसरी तिमाही में विकास दर पांच फीसदी रहने की बात कही है। वहीं एचडीएफसी बैंक ने भी इस तिमाही में विकास दर 4.8 फीसदी रहने की आशंका जताई है।

वहीं सालाना आधार पर भी भारत की विकास दर का अनुमान 6 या उससे फीसदी पर आ गया है। पहले बात आईएमएफ की करें तो संस्था ने भारत की मौजूदा वित्त वर्ष की अनुमानित विकास 6.1 फीसदी तय की है। इससे पहले इस संस्था 7 फीसदी के आसपास की हुई थी। वहीं खुद रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया भारत की अनुमानित विकास दर को कम कर दिया है। आईएमएफ की तरह से आरबीआई ने भी भारत की विकास दर 6.1 फीसदी अनुमानित की है। वल्र्ड बैंक ने भी भारत की विकास का अनुमानित आंकड़ा 6 फीसदी के आसपास बताया है। जबकि मूडीज की हाल की रिपोर्ट ने भारत की विकास दर को कम करते हुए 5.6 फीसदी कर दिया है। वहीं बात रेटिंग एजेंसी फिच की करें तो उसने भारत की अनुमानित विकास दर 5.5 फीसदी रहने की बात कही है।

भले ही सरकार इसे आर्थिक मंदी ना मानकर चल रही हो, लेकिन संकेत घोर मंदी के हैं। दुनिया की तमाम एजेंसियां इस बात को स्वीकार कर रही हैं। जानकारों की मानें तो वैश्विक मांग के बीच घरेलू डिमांड में काफी कमी आई है। जिसका देश की जीडीपी स्पीड पर पड़ रहा है। मौजूदा साल में आरबीआई विकास दर को रफ्तार देने के लिए 5 बार ब्याज दरों में कटौती कर चुका है। वहीं 20 अरब डॉलर के टैक्स की बली भी चढ़ा चुका है। इसके बाद भी देश की अर्थव्यवस्था ने रफ्तार नहीं पकड़ी है। अनुमान है कि इस बार भी आरबीआई ब्याज दरों में 35 से 50 आधार अंकों के बीच कटौती कर सकती है। आपको बता दें कि सरकार 29 नवंबर को दूसरी तिमाही के आंकड़े जारी करने वाली है।

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