गिरिडीह : गर्मी ने अभी दस्तक दी भी नहीं है और गिरिडीह में जलसंकट की भयावह तस्वीर उभरकर सामने आई है। इस वर्ष समान्या वर्षापात नहीं होने से गिरिडीह सुखाड़ की चपेट में है। गिरिडीह शहर में अभी से ही जलापूर्ति चरमरा गई है। गिरिडीह में लगभग 20 हजार हॉलडिंग धारकों के घरों में खंडौली डैम, चेताडीह , महादेव तालाब से प्लांटों से जलापूर्ति होती है। गर्मी का मौसम अभी पूरी तरह से शुरु भी नहीं हुआ है कि तीनों जलस्तर में पानी घटाता जर रहा हैं। गिरिडीह नगर निगम के आयुक्त गणेश कुमार की माने तो जलस्तर खतरे के निशान से नीचे आ गया है। मार्च के प्रथम सप्ताह में यह सिथति है तो मई, जून में क्या होगा कहना मुश्किल है। गिरिडीह नगर निगम के आयुक्त गणेश प्रसाद ने गिरिडीह वासियो से अपील की है कि लोग पानी की बरबार्दी रोकने की अपील की है और कहा कि पानी की बरबादी नहीं रुकी तो विवश होकर नगर निगम प्रशासन को पानी की राशंनिग करनी पड सकती हैं। नदियों का सुखना वाकई चिन्ताजनक हैं। समय रहते लोग नहीं चेते तो सभी को गम्भीर परिणाम झेलना पड़ेगा। गौरतलब है कि तत्कालिन अजुर्न मुंडा सरकार के कार्यकाल में लगभग 30 करोड की अधिक राशि की लागत से गिरिडीह शहरी पयेजल परियोजना का जीणोद्वार किया गया था। बाद के सालों में इस परियोजना का चरणबद्व ढंग से विस्तार किया गया। नगर निगम के हॉलाड्रिग धारकों को स्वछच पयेजल मुहैया कराना के उघ्शेय से खंडौली डैम ए महादेव तालाव और चैता डी चान्याक में अघ्यघ्ाुनिक फिल्टर प्लंाट लगाये गये हैं। सभी प्लांटों में रख रखवा के लिए सलाना लाखों रुपये का खर्च आता है। नगर निगम प्रशासन द्वारा भी पयेजल क्नश धाराकों से प्रतिमाह 135 रुपया जल क्रय के रुप में वसूली की जाती हैं। लेमिन तीनों जल स्ताभें में लगातार घट रहे जल को लेकर जहंा नगर निगम प्रशासन ने चिन्ता व्याक्त कि है वहंी जानकारों का कहना है कि पानी का द्वरपिगयें नही रुक तो इस वर्ष मोनसून आने से पहले ही गिरिडीह के साव लाख आबादी को पयेजल की किल्लत हो सकती हैं।