सोशल मीडिया स्टार बना अल सल्वाडोर का राष्ट्रपति

प्रकाश हिंदुस्तानी

अल सल्वाडोर में सोशल मीडिया के स्टार की जीत राष्ट्रपति चुनाव में होना सोशल मीडिया के बढ़ते महत्व को बताता है। हाल ही हुए राष्ट्रपति चुनाव में 37 वर्ष के नायिब बुकेले को बहुमत मिला है। बुकेले इसके पहले अल सल्वाडोर की राजधानी सेन अल्वाडोर के मेयर रह चुके है। चुनाव के पहले राउंड से ही बुकेले आगे चल रहे थे।

चुनाव में प्रचार के लिए बुकेले ने अपनी एक सोशल मीडिया टीम बनाई थी। यह टीम उनके बारे में लगातार लिखती रहती थी। यह बताया जाता था कि बुकेले ही है, जो भ्रष्टाचार से लड़ सकते है और कानून का राज कायम कर सकते है। सोशल मीडिया पर बुकेले के फॉलोअर्स की संख्या करीब 5 लाख है। चुनाव के दिनों में फेसबुक का उपयोग बढ़-चढ़कर किया गया। बुकेले के वीडियो वायरल किए गए। जब भी बुकेले भाषण देने जाते, तब सौ से अधिक युवाओं के भीड़ मंच पर बुकेले के पीछे खड़ी रहती। इसका लक्ष्य यह बताना होता कि बुकेले युवाओं के प्रतिनिधि है और वे हिंसा को रोककर युवाओं को रोजगार दे सकते हैं।

बुकेले की जीत अल सल्वाडोर के राजनीतिक इतिहास में एक बड़ी घटना मानी जा रही है। अल सल्वाडोर में 2 ही प्रमुख पार्टियां है और उन्हीं में से राष्ट्रपति का चुनाव होता है। अल सल्वाडोर लंबे समय तक गृह युद्ध के कारण अशांति का शिकार रहा है। अल सल्वाडोर के इतिहास में लंबे समय के बाद किसी छोटी पार्टी का नेता राष्ट्रपति बना है।

बुकेले ने अपना राजनैतिक जीवन दक्षिणपंथी पार्टी एफएमएलएन के साथ शुरू किया था। 1992 के बाद वहां केवल वामपंथी पार्टियां ही जीतती आई है। बुकेले की पार्टी गठबंधन की सरकार बनाएगी, क्योंकि वहां कई पार्टियां ने मिलकर वामपंथी सरकार के खिलाफ मोर्चा संभाला था। अल सल्वाडोर की राजनैतिक हालात बहुत खराब है, वहां भ्रष्टाचार चरम पर है। बुकेले ने वादा किया था कि अगर वे सरकार में आए, तो भ्रष्टाचार के विरोध में एक आयोग का गठन करेंगे।

अल सल्वाडोर की आर्थिक हालात इतनी खराब है कि वहां गरीब और ज्यादा गरीब होता जा रहा है। ऐसे में लोगों ने दोनों प्रमुख पार्टियों से निराश होकर बुकेले को राष्ट्रपति पद के लिए चुना है। एक राजनैतिक विश्लेषक के अनुसार बुकेले की जीत यह बात साबित करती है कि लोग बदलाव चाहते है। बुकेले के पास भी कोई बड़ा राजनैतिक एजेंडा नहीं है, लेकिन फिर भी बुकेले का जीतना यह साबित करता है कि लोग चुनाव में नई आशा देखते है। बुकेले के सामने खड़े होने वाले पूर्व मंत्री को तीसरे क्रम पर वोट मिले।

बुकेले ने लोगों से वादा किया है कि वे गृह युद्ध के बाद के हालात सुधारेंगे और लोगों की सुरक्षा के लिए कदम उठाएंगे। देशभर में चल रहे गैंगवार और अवैध वसूली करने वालों से भी सख्ती से निपटेंगे। अभी सल्वाडोर की यह हालात है कि केवल गुंडों के गिरोह ही सड़कों पर बेखौफ होकर घूम सकते है। अल सल्वाडोर की एक चौथाई आबादी देश के बाहर चली गई और यहां-वहां पनाह ले रही है। बुकेले ने अपने चुनाव अभियान को सोशल मीडिया पर बहुत प्रभावी तरीके से पेश किया।

बुकेले आगामी 1 जून 2019 को राष्ट्रपति पद की शपथ लेंगे। उनके पिता मुस्लिम हैं और मां ईसाई। इस बात को उनके विरोधी उम्मीदवारों ने बहुत उछाला। बुकेले खुद को ईसाई बताते रहे हैं। एक बार वे मस्जिद में भी जा चुके हैं, वहां नमाज पढ़ते हुए उनके फोटो अखबारों में प्रकाशित हुए थे। बुकेले ने बाद में सफाई दी कि उनके पिता भी ईसाई ही थे, लेकिन बाद में उन्होंने धर्म परिवर्तन कर लिया। 3 साल तक मेयर के पद पर सफलतापूर्वक काम करने वाले बुकेले ने मेयर के रूप में अच्छा काम किया था।

बुकेले को इस चुनाव में जीतने वोट मिले, उतने वोट उनकी दोनों विरोधी पार्टियों के उम्मीदवारों को भी नहीं मिले। चुनाव के दौरान व्यापक हिंसा हुई थी, जिसमें 285 लोग मारे गए थे। अल सल्वाडोर की आर्थिक हालात पिछले कई वर्षों से बदतर होती जा रही थी। पिछले वर्ष उसकी विकास दर 2.6 प्रतिशत थी, जो पिछले पांच वर्षों में सर्वाधिक थी। सल्वाडोर के लोगों की तनख्वाहें इतनी कम है कि वे अपना भोजन भी खरीद पाने में असमर्थ रहते है। पूरे देश की आबादी 66 लाख है, जिसमें से लगभग एक तिहाई आबादी गरीबी रेखा के नीचे है।

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