गिरिडीह: 12 रबीउल अव्वल यानी इस्लाम धर्म के प्रवर्तक पैगम्बर हजरत मुहम्मद साहब की जयंती का इस्लाम धर्म मे खासा महत्व है। 12 रबीउल अव्वल का महत्व इस्लामिक त्योहारों में सबसे अधिक है। चूंकि हजरत मुहम्मद साहब के जन्म के बाद से दुनिया में इस्लाम का प्रचार प्रसार हुआ और दुनिया से बुराइयों के खात्मा शुरू हुआ। हजरत मुहम्मद इस्लाम धर्म के आखिरी पैगम्बर के रूप में दुनिया मे आये और उन्होंने इस्लाम धर्म को पूरी दुनिया मे फैलाया। बताया जाता है कि मुहम्मद साहब के जन्म के समय अरब एवं पूरी दुनिया में काफी बुराइयां फैली हुई थी, जिसे मुहम्मद साहब ने मिटाकर लोगों को नेक रास्ते पर चलने की हिदायत दी। उन्होंने एक अल्लाह की इबादत का पैगाम दिया और धीरे धीरे पूरी दुनिया मे इस्लाम फैलने लगा। इस्लामिक पवित्र ग्रंथ कुरान में मुहम्मद साहब को राहमतुल लिल आलमीन कहकर बुलाया गया है। यानी मुहम्मद सारे जहान के लिए रहमत बनकर आये हैं। वह किसी एक धर्म के मानने वालों या किसी खास वर्ग के लिए रहमत नही है, बल्कि संसार के हर इंसान के लिए रहमत हैं। उन्होंने दुनिया में लोगों को शांति और आपसी भाईचारे का संदेश दिया। उन्होंने एक दूसरे की मदद का पैगाम देते हुए आपस मे प्यार मोहब्बत को बढ़ावा देने की सबक दुनिया को दी।
12 रबीउल अव्वल को लेकर मुस्लिम धर्मावलंबियों में खासा उत्साह का माहौल देखा जाता है। मुस्लिम सम्प्रदाय के लोग अपने पैगम्बर की जयंती काफी धूम धाम से मनाते हैं, और इस अवसर पर चारो ओर जश्न का माहौल देखा जाता है। लोग एक दूसरे से मिलकर जश्ने विलादत की खुशियां बांटते हैं और खूब हर्ष व उल्लास के साथ मुहम्मद साहब की जयंती मनाते हैं। मुस्लिम धर्म गुरुओं के मुताबिक मुहम्मद साहब का जन्म सारी दुनिया के लिए बहुत खास है। उनका मानना है कि मुहम्मद साहब दुनिया मे इन्सानियत का पैगाम लेकर आये और उन्ही के बदौलत दुनिया मे इंसानियत जिंदा है।
12 रबीउल अव्वल को जश्ने ईद मिलादुन्नबी के नाम से भी जाना जाता है। इस अवसर पर मुस्लिम धर्मावलंबियों द्वारा कई धार्मिक अनुष्ठानों का आयोजन किया जाता है। मुहम्मद साहब की जयंती के अवसर पर भव्य जुलूसे मुहम्मदी निकाली जाती है और जगह जगह जलसा व मिलादुन्नबी का आयोजन किया जाता है। इस अवसर पर जलेबी व मिठाईयां बांटकर पैगम्बर मुहम्मद के जन्म की खुशियां मनाई जाती है। गिरिडीह में भी जश्ने ईद मिलादुन्नबी को लेकर मुस्लिम धर्मावलंबियों में काफी उत्साह का माहौल देखा जाता है। 12 रबीउल अव्वल के दिन सुबह शहर के विभिन्न इलाक़ो से जुलूसे मुहम्मदी निकाली जाती है। शहरी क्षेत्र में मुस्लिम समाज के लोगों द्वारा भव्य जुलूस निकाला जाता है, जो शहर के विभिन्न मार्गों का भ्रमण करने के बाद बरवाडीह स्थित कर्बला मैदान तक जाती है। इस दौरान पूरा शहर इस्लामी झंडे से पटा रहता है और पूरी फ़िज़ा मुहम्मद साहब की भक्ति में भाव विभोर रहती है। कर्बला मैदान पहुंचने के बाद यहाँ एक अजीमुश्शान जलसा का आयोजन किया जाता है। हजारों की संख्या में मुस्लिम समाज के लोग जुलूसे मुहम्मदी और जलसा में शिरकत करते हैं। कर्बला मैदान में आयोजित जलसे में गिरिडीह समेत अन्य शहरों के उलेमा व शायर शिरकत करते हैं और हजरत मुहम्मद साहब की जीवनी पर प्रकाश डालते हैं। शायरों द्वारा मुहम्मद साहब की शान में एक से बढ़कर एक नातिया कलाम पेश किया जाता है। जबकि उलमाए दीन लोगों को मुहम्मद साहब के उपदेशों को अपनाने और उसपर अमल करने की सीख देते हैं।
कुल मिलाकर 12 रबीउल अव्वल का जश्न मुस्लिम समाज द्वारा खूब उत्साह के साथ मनाया जाता है। इस अवसर पर लोग अपने घरों को रौशनी से सजाते हैं और गरीब गुरबों के बीच दान देते हैं। मुस्लिम धर्मावलंबी हजरत मुहम्मद की जयंती को सबसे बड़े त्योहार के रूप में मनाते हैं। -आविद अंजूम