वास्‍तुकला की अनूठी मिसाल है गिरिडीह का जलीय सूर्यमंदिर

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गिरिडीह: जगन्नाथ सूर्य मंदिर अब जलीय सूर्य मंदिर के नाम से विख्यात हो चुका है।  छठ  को लेकर आकर्षक साज सज्जा  की गई है।  साज सज्जा से मन्दिर की  छटा  निखरने लगी है। तालाब में बने छठ घाट की व्यापक साफ सफाई की गयी है, वहीं छठ व्रतियों की सुविधा के लिए मन्दिर से जुड़े समिति के सदस्य  पूरी तरह मुस्तैद हैं। मन्दिर की साज सज्जा की एक झलक पाने के लिए दूर दराज के श्रद्धालु यहां पहुंचने लगे हैं। गौर तलब है कि 1993 में मंदिर की आधारशिला रखी गयी थी(

आधारशिला (नीव) : 02 मई 1993 को इस मन्दिर की आधार शीला रखते समय स्थानीय लोगों ने यह सोचा भी नही था कि ऐसे मन्दिर की बुनियाद रख रहे है जो एक दिन झारखंड का गौरव कहलाएगा। वर्ष 2003 में इसकी प्राण प्रतिष्ठा की गई। तब तक यह अपना भव्य आकार ले चुका था। निरंतर चल रहे निर्माण कार्य का प्रतिफल है कि आज यह एक भव्य सूर्य मन्दिर के रूप में परिलक्षित हो रहा है।

सूर्यमंदिर निर्माण:
सूर्य मंदिर निर्माण में निर्माणकर्ता के रूप में विनोद शंकर दाराद  एक  स्थापित  अभिकर्ता ही नहीं वरण एक कुशल अनुभवी निर्माणकर्ता रहे है , जो निर्माण संबंधी बारीकियों को अच्छी तरह से समझने एवं कार्यान्वयन करने में अपने आप को दर्शाया है। इस सूर्य मंदिर में डाला छठ पर्व के अवसर पर ग्रामीणों द्वारा भगवान भास्कर को अर्ध्य दिया जाता है ।भीड़ भी अच्छी  होती है ।मेला का सदृश हो जाता है ।सूर्य की आराधना करने वाले श्रद्धालुओं से पूरा तालाब आक्षादित हो जाता है ।सर्वप्रथम ग्रामीण किशोरों के मन में यह इच्छा जागृत हुई की इस स्थान पर एक छोटा मंदिर बनवाना चाहिए। इस निमित्त चंदा जमा किया गया। गांव के लोगों को जब इसकी जानकारी हुई तो बुजुर्गों ने एक बैठक कर बच्चों के विचारों की सराहना करते हुए इस पुनीत कार्य में अपनी सहभागिता दी ।एक समिति का गठन करते हुई सूर्य मंदिर निर्माण कराने का संकल्प लिया गया ।विनोद शंकर दाराद ,रामेश्वर प्रसाद वर्मा, सुनील जी, अशोक पाठक जी ,डोमी सिंह, नवीन जी, उमेश  साव, अर्जुन प्रसाद दराद, रणजीत राम, रंजीत राम गुप्ता, सुरेंद्र साह श्याम सुंदर साव, दुलार सिंह ,चुरामन राम आदि ने मिलकर सूर्य भगवान का मूर्ति बनाकर पूजा शुरू किए ।बाद में यही मंदिरजलीय सूर्य मंदिर के नाम से विख्यात हुआ।

मंदिरमें छह क्षितिज बाह्य पंखुडिय़ां हैं मुख्य आकर्षण:

बतातेहैं, कि गर्भगृह में कुल 07 स्टिपनर है। जिसमें छह भुजाओं में तथा एक कमल नाल मन्दिर तलाब में खिले हुए कमल पुष्प जैसे लगते हैं। इसमें छह क्षितिज बाह्य पंखुड़िया तथा बीच का एक कलीभाग है। गर्भ गृह में सूर्य मन्दिर हैं। इसके अतिरिक्त छह मूर्ति हैं, जो पंखुडिय़ों पर विराजमान है। मन्दिर की ऊंचाई फ़र्श से 43 फीट 06 इंच है। 

जलीय सूर्य मंदिर वास्तुकला का उत्कृष्ट नमूना है
जमुआ देवघर रोड में जगन्नाथडीह( मिर्जागंज) के निकट निर्मित जलीय सूर्य मन्दिर वास्तुकला का अनुपम नमूना के रूप में अब बाहरी सैलानियों को भी बरबस लुभा रहा है। इस नायाब धरोहर को मूर्त रूप दिया है बिहार प्रांत के वास्तुकार त्रिलोकेश्वर प्रसाद अभियन्ता ने। मन्दिर का भूमि पूजन स्व बच्चू साव ने की थी। उस वक्त मुख्य कार्यकर्ता की भूमिका विनोद शंकर दाराद निभा रहे थे। सूर्य मन्दिर निर्माण समिति अध्यक्ष सदानन्द साव ने कहा कि जलीय सूर्य मन्दिर को अभी तक पर्यटन स्थल की मान्यता नही मिल पायी है। 
प्रयाश जारी है ।विकाश के कई कार्य हुए है ।

विवाहमंडप धर्मशाला का हुआ है निर्माण
जमुआविधायक केदार हाज़रा ने विवाह मंडप और धर्मशाला का निर्माण किया है। विधायक केदार हाजरा ने बताया कि उन्होंने इस मन्दिर को पर्यटन स्थल की मान्यता दिलाने के लिए प्रयासरत हैं। इसके लिए पर्यटन सचिव को पत्र लिखा गया है। कहा कि इस मन्दिर को पर्यटन स्थल का दर्जा दिलाकर और अधिक विकास किया जायेगा। प्रदेश भाजपा प्रकोष्ट पंचायती राज प्रदेश कार्यसमिति सदस्य पंकज साव ,  ने कहा कि यह सूर्य मन्दिर धार्मिक स्थल के रूप में विख्यात है। जलीय सूर्य मंदिर के  विकाश के लिए
निरन्तर प्रयासः जारी है ।छठ व्रत के अवसर पर यहाँ की आलौकिक छटा देखते ही बनती है।

छठ का पर्व अभी लगभग एक सप्ताह है, लेकिन स्थानीय ग्रामीण क्षेत्र में इसकी तैयारी में श्रद्धालु अभी से जुट गए हैं। व्रत करने वाली महिलाओं के घर के युवा तालाब के किनारे पूजा की बेदी बनाने में युद्धस्तर पर जुट गए हैं।

क्षेत्र में डाला छठ का पर्व बड़े ही जोर-शोर से मनाया जाता है। इस त्योहार में व्रत करने वाली महिलाओं के साथ ही उनके परिवार के सभी सदस्य इस पर्व की तैयारी में शामिल रहते हैं। इस त्योहार में फलों की महत्ता को देखते हुए कारोबारी हर प्रकार के फल मंगाकर अभी से अपनी दुकानों में स्टाक करना शुरू कर दिए हैं। वहीं व्रत करने वाली महिलाएं पूजा में प्रयुक्त होने वाली सामग्री व कपड़े को तैयार करने मे जुटे हैं तो उनके परिवार के सदस्य अपने नजदीकी तालाब के किनारे पूजा के लिए जगह आरक्षित करके बेदी बनाने मे जुटे हुए हैं।  

-कमलनयन 

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