शादीशुदा युगल की निश्छल प्रेम कहानी है 'तमन्ना'

नई दिल्ली: दिल्ली में रह रहे दो परिवारों की कहानी 'तमन्ना' यूं तो एक प्रेम कहानी जैसी लगती है, लेकिन वास्तव में यह मेट्रो शहरों की भागमभाग वाली जिंदगी में प्यार, सहारा और खुशी की तमन्ना लिए हर उम्र के शख्स की भावना को शब्दों में गूंथती है। 

तेजेश्वर सिंह की किताब का शीर्षक 'तमन्ना' इसलिए है, क्योंकि इसका हीरो अर्जुन जिस लड़की को प्यार करता है, उसका नाम तमन्ना है। वह किसी भी सुंदर लड़की तरफ आकर्षित हो जाने वाला कोई नौजवान नहीं है और न ही उसका प्यार जिस्मानी है। वह तो एक शादी-शुदा आदमी है, जिसकी एक स्कूल जाने वाली बेटी और एक बेहद खूबसूरत पत्नी है। तमन्ना से उसकी मुलाकात एक दोस्त के जरिए होती है जिसे आज के दौर में म्यूचल फ्रेंड कहते हैं। 

पहली मुलाकात में ही तमन्ना अर्जुन के दिल में घर कर जाती है, वह हालांकि इस पर अधिक नहीं सोचता क्योंकि उसे बखूबी मालूम होता है कि वह शादी-शुदा है और तमन्ना खुद भी एक बच्चे की मां है। दरअसल अर्जुन आर्थिक तौर पर काफी बुरे समय से गुजर रहा होता है जिसकी भनक उसकी पत्नी को नहीं है। वह एक किताब 'द ग्रॉस इनजस्टिस' पर काम कर रहा होता है, जिसके बारे में वह अपनी पत्नी और मित्रों से बात करता है। तमन्ना और उसका पति संजय अर्जुन और उसकी पत्नी संगिनी के दोस्त बन जाते हैं..घरों पर आना-जाना शुरू हो जाता है और इसी बीच तमन्ना को अर्जुन की किताब के बारे में पता चलता है। कहानी की शुरुआत में तमन्ना के लिए अर्जुन की भावनाएं एकतरफा प्रतीत होती हैं और वह अर्जुन से बात करने में भी रुचि नहीं लेती है लेकिन किताब के जरिए अर्जुन और तमन्ना के बीच थोड़ी-बहुत बातचीज शुरू होती है। तमन्ना अर्जुन को उसके जिंदगी से सबसे बुरे दौर के वक्त मिलती है इसलिए उसकी बातें और प्रोत्साहन अर्जुन को नए बदलाव की ओर मोड़ता है। 

अगर यहां कहा जाए कि अर्जुन की किताब ने दोनों की कहानी को आगे बढ़ाया तो गलत नहीं होगा। इस तरह दोनों के बीच दोस्ती बढ़ती जाती है और अर्जुन का तमन्ना के प्रति एकतरफा प्यार भी बढ़ता जाता है। तमन्ना का पति संजय जो अर्जुन का दोस्त है उसे अर्जुन और उसके दो दोस्त बब्बू और हैपी को एक आंख नहीं भाता, इसकी वजह भी थी कि संजय एक बेहद धूर्त किस्म का व्यक्ति था जो बात-बात में हर किसी को नीचा दिखाता है.. उसने अर्जुन को भी नीचा दिखाने में कोई कसर नहीं छोड़ी लेकिन तमन्ना और अपने विवेकी व्यवहार की वजह से अर्जुन अक्सर उसे अनदेखा कर देता था। 

यहां जिक्र करना जरूरी होगा कि अर्जुन की पत्नी संगिनी अपने पति पर भरोसा करने वाली एक महान स्त्री है जो अर्जुन और तमन्ना के बीच होने वाली दोस्ती पर जरा भी शक नहीं करती बल्कि उसे प्रोत्साहित करती है। 

ज्यों-ज्यों कहानी बढ़ती है अर्जुन की तमन्ना को लेकर दीवानगी भी परवान चढ़ती जाती है इस बीच वह तमन्ना के ख्यालों में रात-रात जागकर कविताएं भी लिखता है। उसकी इस मनोदशा से हैपी और बब्बू के अलावा पूरी दुनिया बेखबर होती है। वह तमन्ना से बेइंतहा मोहब्बत करने लगता है जिसके लिए वह धीरे-धीरे अपना सबकुछ दांव पर लगा देता है। तमन्ना के प्यार के चक्कर में वह संजय की उसके व्यवसाय में मदद करता है जिससे उसे और उसके दोस्तों को लाखों का घाटा हो जाता है बावजूद इसके अर्जुन को इससे बहुत फर्क नहीं पड़ता। अपने प्यार से दूर होने के ख्याल से भी अर्जुन की रूप कांप जाती थी। इसलिए दोस्तों की हिदायत के बावजूद वह संजय के हर आदेश का पालन करता रहता है। लेकिन कहते हैं न हर कहानी का अंत होता है वैसे इस कहानी में भी अर्जुन की तमन्ना को उसकी भावनाओं की खबर लग जाती है। 

अर्जुन अपने मुंह से तमन्ना को अपनी भावनाएं बता देता है लेकिन तमन्ना बेहद संजीदा होकर उसकी बात सुन और समझकर अलग हो जाती है। अर्जुन जो तमन्ना से दूर होने के ख्याल से भी कांप जाता था वह खुद तमन्ना की मुंह से यह बात सुनकर टूट जाता है उसकी तो जैसे दुनिया लुट जाती है। इस सदमें उसे नर्वस ब्रेकडाउन तक हो जाता है हालांकि उसे दोस्त उसे संभाल लेते हैं। 

तमन्ना दूर जा चुकी है और अर्जुन अस्पताल में है जिसकी उसकी पत्नी और बच्ची को खबर नहीं है। इसी बीच संगिनी को अर्जुन की कविताओं वाली डायरी मिल जाती है और वह तमन्ना के प्रति उसकी भावनाएं जानकर चकित हो जाती है। वह खूब रोती है और अपने आप से पूछती है उससे कहां गलती हो गई। लेकिन धीरे-धीरे उसे अहसास हो जाता है कि जिसे वह अर्जुन की गलती समझ रही है असल में वह एक क्षण था जहां उसे तमन्ना जैसी दोस्त का साथ मिला। उसके सारी शिकायतें दूर हो जाती हैं और वह समझ जाती है कि उसका पति कितना महान है उसने तमन्ना को कभी गलत नजर से नहीं देखा तो क्या हुआ कि उसने अपनी पत्नी से यह सब छुपाया..वह निश्छल है। 

इस तरह संगिनी और अर्जुन दोनों एक-दूसरे फिर मिल जाते हैं लेकिन इसके बाद उन्हें एक चिट्ठी मिलती है और उनके पैरों तले से जमीन खिसक जाती है..वह तमन्ना की चिट्ठी होती है जो अब इस दुनिया से जा चुकी है। यह चिट्ठी तमन्ना ने दो साल पहले लिखी होती है जिसमें वह अर्जुन के प्रति अपनी भावनाएं और उससे दूर होने का कारण बताती है। तमन्ना दोनों परिवारों के भले के लिए अर्जुन से दूर होती है लेकिन वह अगले जन्म में उससे मिलने का वादा करती है जैसा कि बॉलीवुड फिल्मों में होता है। 

कहानी का अंत दुखद है, लेकिन इसके हर पात्र ने अपनी भावनाओं से ज्यादा संबंधों और स्थिति पर तवज्जों दी है। यहां एक बात का जिक्र नहीं है कि अर्जुन की भावनाओं की तमन्ना को खबर लग जाती है लेकिन वह जताती नहीं जैसा कि आपने ऊपर पढ़ा होगा। लेकिन संजय को इससे वाकिफ होता है या नहीं, यह सवाल है।

मूल लेखक तेजेश्वर सिंह 

अनुवाद : चांदनी माथुर

प्रकाशक : फिंगर प्रिंट, 11/ए, दरियागंज, नई दिल्ली-2

मूल्य : 199 रुपये

-प्रज्ञा कश्यप

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