सौरभ शुक्ला की 'जब खुली किताब' से थियेटर में वापसी

मुंबई: अभिनेता सौरभ शुक्ला नाटक 'जब खुली किताब' से थियेटर में वापसी कर रहे हैं। 

सुभाष कपूर की 'जॉली एलएलबी', राजकुमार गुप्ता की 'रेड' और अनुराग बसु की 'बर्फी' जैसी फिल्मों में उनका अभिनय परिवारों को एक जगह बैठे रहने को मजबूर कर देता है।

उन्होंने कहा, "मैं टेलीविजन, रंगमंच और सिनेमा में 40 साल से अभिनय कर रहा हूं। आपने जिन भूमिकाओं का जिक्र किया, उनसे मुझे व्यापक तौर पर पहचान मिली, यह केवल आकस्मिक है। सुभाष, अनुराग और राज कुमार गुप्ता वे निर्देशक हैं जो मुझे स्वतंत्रता देते हैं। उन्हें मेरी क्षमताओं पर विश्वास है। यह हमेशा मदद करता है।" 

सौरभ किरदारों में बदलाव आसानी से ले आते हैं। इस पर सौरभ ने कहा, "मैं फिलहाल लखनऊ में 'ठाकुरगंज' नामक एक फिल्म की शूटिंग कर रहा हूं। मैं इसमें एक भ्रष्ट राजनेता के किरदार में हूं।" 

'जब खुली किताब' में सौरभ और अभिनेत्री इरावती हर्षे एक बुजुर्ग दंपति के किरदार में हैं जो अपने जीवन से जुड़े एक महत्वपूर्ण फैसले की कगार पर हैं।

'जब खुली किताब' के बारे में बात करते हुए सौरभ ने कहा, "हम एक ऐसे जोड़े के किरदार में हैं जो शादी के दशकों गुजर जाने के बाद तलाक लेने का फैसला करता है। रिश्ते का दिलचस्प पहलू यह है कि जब वे अपने अलग-अलग तरीकों से जाने का फैसला करते हैं तो उनके बीच के सभी धोखे और झूठ दूर होते जाते हैं।" 

वह कहते हैं, "मैंने इसे पटकथा के रूप में लिखा था। लेकिन यह फिल्म के रूप में नहीं ढल सकी। इसके पीछे आशंका थी कि एक बुजुर्ग दंपति के बीच के संबंध पर फिल्म कोई कमाल नहीं करेगा। इसके बाद मैंने फिर से पूरी कहानी पर काम किया।" 

सुभाष ने कहा, "लेकिन मैं उम्मीद करूंगा कि उद्यमी फिल्म निर्देशक व निर्माता इसे देखेंगे और इस फिल्म बनाने का विचार करेंगे, जिसके लिए इस कहानी को लिखा गया था। -सुभाष के. झा 

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