RTI के 56% आवेदन खारिज कर दिये गए 2019-20 में, विश्‍लेषण कहता है मामला संदिग्‍ध!

:: न्‍यूज मेल डेस्‍क ::

RTI यानी सूचना के अधिकार के तहत 2019-20 में 56% आवेदन खारिज किये गए। आयोग की मानें तो आवेदनों के खारिज किये जाने का आधार निजी सूचना की मांग और सुरक्षा व खुफिया एजेंसियों को RTI के से छूट कारण हैं। जबकि विशेषज्ञ RTI कार्यकर्ता ने जो गहराई से विश्‍लेषण कर रहे हैं उनका कहना है कि कुछ कानूनी धाराओं के तहत ही RTI से छूट प्राप्‍त है। वे धारायें हैं 8,9, 11 और 24. जबकि इस वार्षिक रिपोर्ट के विश्‍लेषण से पता चलता है कि कुछ अन्‍य 'श्रेणियों' के तहत भी बड़ी संख्‍या में आवेदनों को खारिज किया गया है। यह जानकारी देते हुए कॉमनवेल्थ ह्यूमन राइट्स इनीशिएटिव के वेंकटेश नायक ने बताया कि 2019-20 में सरकारी प्राधिकारियों द्वारा 62,123 आवेदन खारिज किए गए, जिनमें 38,064 आरटीआई कानून के छूट उपबंध के तहत, जबकि 24,059 ‘अन्य’ कारण के तहत अस्वीकार कर दिेए गए। नायक ने कहा कि जन प्राधिकारों ने आवेदनों को खारिज करने के लिए ‘अन्य’ की संदिग्ध श्रेणी का इस्तेमाल किया, जबकि आयोग ने अपनी वार्षिक रिपोर्ट में उसकी वैधता पर सवाल उठाए बगैर ही उसे शामिल कर लिया।

समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, उन्होंने कहा, ‘आरटीआई अधिनियम की धारा 7 (1) के अनुसार, एक सार्वजनिक सूचना अधिकारी केवल धारा 8 और 9 के तहत निर्दिष्ट कारणों के लिए एक आरटीआई आवेदन को अस्वीकार कर सकता है. इसके लिए धारा 11 और 24 की सूची भी जोड़ी जा सकती है, जो विशिष्ट परिस्थितियों में सूचना तक पहुंच से इनकार करने का वैध आधार भी बनाती है. आरटीआई अधिनियम के तहत अस्वीकृति के लिए कोई अन्य कारण या बहाना स्वीकार्य नहीं है.’

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