बिहार: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शपथ लेने के कुछ दिन पहले बिहार सरकार द्वारा आरएसएस सहित विभिन्न संगठनों की आंतरिक जांच कराने को लेकर एक खुफिया पत्र जारी किया गया था। खुफिया विभाग के इस पत्र में बिहार पुलिस की स्पेशल ब्रांच के सभी अधिकारियों से आरएसएस, बजरंग दल, विश्व हिन्दू परिषद समेत विभिन्न दलों के नेताओं के नाम, पता, पद और व्यवसाय की जानकारी देने को कहा गया था।
इस पत्र में प्रदेश के आरएसएस पदाधिकारियों और 17 सहायक संगठनों की विस्तृत जानकारी निकालने के आदेश दिए गए थे साथ ही एक सप्ताह के अंदर जवाब देने को कहा गया था। इस अति गोपनीय लेटर की कॉपी बिहार पुलिस के स्पेशल ब्रांच के एडीजी, आईजी और डीआईजी को भी भेजी गई थी।
जिन दलों के बारे में जानकारी मांगी गई थी उनमें आरएसएस के अलावा वीएचपी, बजरंग दल, हिंदू जागरण समिति, हिंदू राष्ट्र सेना, धर्म जागरण समिति, राष्ट्रीय सेविका समिति, दुर्गा वाहिनी स्वदेशी जागरण मंच, शिखा भारती, भारतीय किसान संघ, हिंदू महासभा, हिंदू युवा वाहिनी समेत 19 संगठन शामिल हैं।
लेटर वायरल होते ही सियासत भी शुरू हो चुकी है। RJD विधायक भाई वीरेंद्र ने NDA सरकार पर तंज कसते हुए कहा है कि इनलोगों की बेमेल की शादी है जो जल्द ही टूटेगी। इतना ही नही इन्होंने यह भी कहा कि नीतीश कुमार केंद्र के मंत्रिमंडल अपने पार्टी के सदस्यों को जगह नही मिलने का बदला ले रहे हैं।
इस मामले में बीजेपी विधायक संजय सरावगी ने सरकार के कदम का विरोध किया है। उन्होंने कहा कि आरएसएस एक ऐसा संगठन है जो देश के लिए काम करता है हालांकि उन्होंने ये भी कहा कि मैंने यह पत्र नहीं देखा है इसे देखने के बाद ही हकीकत जान पाउंगा।
बता दें कि आरएसएस को भारतीय जनता पार्टी का वैचारिक संरक्षक कहा जाता है। इसकी स्थापना 27 सितंबर 1925 को डॉ केशव हेडगेवार ने की थी। इस समय इसके सरसंघचालक मोहन भागवत हैं।