भारत में कोरोना कहर: मित्र ही नहीं 'शत्रु' देश ने भी हाथ बढ़ाया

:: न्‍यूज मेल डेस्‍क ::

देश में एक दिन में 3, 32, 730 नये कोरोना केस सामने आये हैं। मरीजों की बढ़ती संख्‍या और सीमित संसाधन को मद्देनजर अब तो अस्‍पतालों ने भी नये मरीजों की भर्ती के लिए सीधा 'ना' कहना शुरू कर दिया है। इस बीच अच्‍छी खबर यह है कि रूस ने ऑक्‍सीजन व रेमडेसिविर इंजेक्‍शन की तुरंत सप्‍लाई का ऑफर दिया है। फ्रांस और इजरायल की ओर से भी भरपूर मदद का आश्‍वसन आया है। अमेरिका से भी कई सांसदों ने भारत के पक्ष में बाइडन सरकार को पहल करने का अनुरोध किया है। लेकिन सबसे अच्‍छी खबर यह है कि अबतक दुश्‍मन की तरह चिन्हित किये जा रहे चीन भी भारत में सहयोग के लिए पहल की है।

खबर विस्‍तार से बताते हैं।। भारत में कोविड संक्रमित मरीजों के इलाज में ऑक्सीजन की कमी को देखते हुए रूस ने मेडिकल ऑक्सीजन और रेमडेसिवीर की आपूर्ति करने की पेशकश की है। बताया जा रहा है कि अगले 15 दिनों में रूस से इसका आयात भी शुरू किया जा सकता है। कई शहरों में एंटी वायरल दवा रेमडेसिवीर की शॉर्टेज भी देखी जा रही है। मॉस्को ने कहा है कि वह प्रति सप्ताह 300,000-400,000 रेमेडिसविर इंजेक्शन की आपूर्ति कर सकता है, जिसे और भी बढ़ाया जा सकता है। जल्द ही जहाजों के जरिए ऑक्सीजन की आपूर्ति भी शुरू कर दी जाएगी।

फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने अपने संदेश में कहा कि मैं कोविड-19 से जूढ रहे भारतीय लोगों को एकजुटता का संदेश देना चाहता हूं। फ्रांस इस संघर्ष में आपके साथ है। हम हर तरह की सहायता करने के लिए तैयार हैं।
इजरायल के आधिकारिक ट्विटर हैंडल के ट्वीट में कहा गया है कि हम कोरोना के खिलाफ अपने अच्छे दोस्त भारत के साथ खड़े हैं।
लद्दाख में एलएसी पर सीमा विवाद के बीच चीन ने गुरुवार को भारत को आवश्यक समर्थन और सहायता उपलब्ध कराने की पेशकश की। भारत में कोरोना वायरस संक्रमण के बढ़ते मामलों के बारे में पूछे गए सवाल के जवाब में विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने कहा कि कोविड-19 महामारी पूरी मानवता के लिए शत्रु है, जिससे निपटने के लिए अंतरराष्ट्रीय एकजुटता और पारस्परिक सहायता की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि चीन ने भारत में हाल ही में बिगड़े हालात और महामारी-रोधी चिकित्सा आपूर्ति की अस्थायी कमी का संज्ञान लिया है। महामारी को काबू करने के लिए चीन भारत को हरसंभव सहायता प्रदान करने को तैयार है।  हालांकि, भारत की तरफ से अभी किसी भी देश को सहायता के लिए औपचारिक सहमति नहीं दी गई है।

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