वास्‍तव में इंडिया 'इन्क्रेडिबल' तब बना जब समलैंगिकता पर फैसला आया : प्रणव सचदेव

नई दिल्ली: 'अगर तुम साथ हो', 'जिंदगी डॉट कॉम' जैसे टीवी शो में काम कर चुके अभिनेता प्रणव सचदेव का मानना है भारत उसी दिन इन्क्रेडिबल बना जिस दिन सर्वोच्च अदालत ने समलैंगिकता को अपराध की श्रेणी से बाहर रखने का ऐतिहासिक फैसला सुनाया। 

हाल ही में अपने नाटक 'मक्खीचूस' के मंचन के सिलसिले में नोएडा आए। यह नाटक फ्रांसीसी नाटककार मॉलियर की 'द माइजर' पर आधारित है। इसमें वह टोपनलाल बने अभिनेता असरानी की बेटे बने हैं। 

उन्होंेने नाटक को प्रासंगिक बताते हुए कहा, "इसका ट्रीटमेंट बहुत ह्यूमरस है, यह 1668 में लिखा गया था और आज भी प्रासंगिक है और फिर यह बात मन में आई कि इसे कैसे इंट्रेस्टिंग तरीके से कहा जाए तो इसमें लाइव म्यूजिक डाला गया और इसमें भरपूर कॉमेडी है, तो एक तरह से नाटक की प्रासंगिकता ने हमें प्रेरित किया कि हम यह नाटक करें।" 

हाल ही में सर्वोच्च अदालत ने ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए समलैंगिकता को अपराध की श्रेणी से बाहर कर दिया, इस बारे में अभिनेता ने आईएएनएस से कहा, "यह एक बहुत अच्छा फैसला है और जिस दिन यह फैसला आया सही मायने में इंडिया उसी दिन 'इन्क्रेडिबल' बना। इसके पहले तो हम सिर्फ 'इन्क्रेडिबल इंडिया', 'इन्क्रेडिबल इंडिया' कहते आ रहे थे। लेकिन यह समलैंगिकों के हक में सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले देने के बाद इन्क्रेडिबल बना।"

यह पूछे जाने पर कि अभिनय में कैसे आना हुआ तो अभिनेता ने आईएएनएस से कहा, "एक्टिंग वर्ल्ड में शुरुआत मेरी बहुत पहले हो गई। जब मैं पहली कक्षा में था तो एक टीवी शो किया था। उसके बाद से थिएटर का सिलसिला चला और फिर फिर मैंने तीन टेलीविजन शो किए। टॉम ऑल्टर और असरानीजी के साथ थिएटर किया, असरानीजी के साथ थिएटर किया। अभी विक्रम भट्ट जी के साथ हाल ही में मैंने तीन वेब शो किए हैं और एक और की मैं शूटिंग कर रहा हूं, तो एक्टिंग का ही सिलसिला है जो बहुत लंबे वक्त से चलता आ रहा है और पूरी कोशिश जारी है।" 

असरानी के साथ काम करने के अनुभव के बारे में प्रणव ने कहा, "वह एक दिग्गज अभिनेता हैं और उनका तो एक अलग प्रोफेशनलिज्म है। उनकी प्रिपरेशन लेवल जो है वह कमाल है और उससे मैच करना हम में से किसी के लिए भी मुश्किल है। मैंने उनसे जो सीखा वह उनका वर्क और कॉमिक टाइमिंग है जो नैचुरल और एफर्टलेस लगता है।" 

अभिनेता ने एलसीएम एंटरटेनमेंट प्रोडक्शन हाउस खोला है। इस बारे में उन्होंने कहा, "इस प्रोडक्शन हाउस को मैंने खोला क्योंकि मुझे लगा कि लाइन में खड़े होकर ऑडिशन देने से अच्छा है कि आप अपना कंटेट क्रिएट करो। अगर कोई और आपको बतौर कलाकार काम नहीं देता है तो आप खुद अपने लिए काम पैदा करो क्योंकि आपके साथ बहुत बार होता है कि आपके पास काम नहीं होता आप एक प्रोजेक्ट के बाद जब दूसरे में घुसने वाले होते हैं तो बीच का पीरियड बहुत वॉइड रहता है तो मुझे लगा कि क्यों न अपना कंटेट क्रिएट किया जाए और एलसीएम के पीछे यह सोच थी। एलसीएम से हम खूब सारा सेलिब्रिटी थिएटर कर रहे हैं। हम टेलीविजन और वेब के लिए भी डिवेलप कर रहे हैं और दिल्ली से हम इसे संचालित कर रहे हैं। चूंकि, यहां प्रतिभा बहुत है तो हमारी कोशिश है कि हम उसे सामने ले आ पाए।" 

प्रणव खुद को खुशकिस्मत मानते हैं कि उन्हें मनोरंजन की दुनिया में ज्यादा संघर्ष नहीं करना पड़ा उन्होंने कहा, "मेरे मामले में थोड़ा सा मैं लकी भी रहा। लेकिन, मुझे काम से काम मिला मैंने एक प्रोजेक्ट किया उसकी वजह से मुझे दूसरा प्रोजेक्ट मिला तो मुझे मुंबई की खाक नहीं छाननी पड़ी और आशा करता हूं कि ऐसे ही यह सिलसिला, कारवां चलता रहे क्योंकि हमेशा ऐसा हुआ है कि एक प्रोजेक्ट किया और एक से जंप लेकर दूसरे प्रोजेक्ट में गए और दूसरे से तीसरे में गए तो इस तरीके से ही बात आगे बढ़ती रही।" 

मनोरंजन उद्योग में कास्टिंग काउच की मौजूदगी पर प्रणव ने आईएएनएस से कहा, "कास्टिंग काउच बहुत ही संवेदनशील मुद्दा है और अभी तक मेरे साथ नहीं हुआ तो मैं कहूं कि वो है या नहीं है तो दोनों बातें गलत होंगी क्योंकि मुझे मालूम नहीं, क्योंकि मेरे साथ नहीं हुआ लेकिन मेरे कुछ दोस्त हैं जो टेलीविजन इंडस्ट्री में और फिल्म इंडस्ट्री में काम कर रहे हैं, वे लोग बोलते हैं कि ये एक्जिस्ट करता है, लेकिन फिर बतौर कलाकार आपको थोड़ा सा समझदार होना पड़ता है कि हां आपको किस तरीके से पेश आना है और जब कोई ऐसी चीज हो तो आपको कैसे एक्शन लेना है, क्योंकि बहुत लोग एक्शन नहीं लेते हैं, वे डर जाते हैं, घबरा जाते हैं और ये नैचुरल भी है लेकिन मेरा कुछ भी कहना गलत होगा क्योंकि मैंने अभी तक इसका सामना नहीं किया है।" 

प्रणव ने कहा कि हमेशा काम करते रहना ही आपके काम आता है। उन्होंने कहा, "मैं नॉनस्टाप काम कर रहा हूं और थिएटर कर रहा हूं और थिएटर नहीं करने पर टेलीविजन कर रहा होता हूं, वेब कर रहा हूं तो मुझे ऐसा लगता है कि मेरे लिए पर्सनली क्या वर्क करता है कि हमेशा काम करते रहो कुछ भी काम हो। आजकल माहौल ऐसा बन गया है कि हर किसी के घर पर कैमरा है फोन है तो अगर कोई आपको काम नहीं देता तो आप घर बैठे अपना स्टफ, कंटेंट क्रिएट कर सकते हैं।" 

अभिनेता की पसंदीदा विधा कॉमेडी है। उन्होंने कहा, "यह मेरा पंसदीदा जॉनर है मैं इसे बहुत इंज्वाय करता हूं तो जो कंटेट मैं देखता हूं वो भी ज्यादातर कॉमेडी ही देखता हूं।"

किसी खास किरदार निभाने की ख्वाहिश पूछने पर उन्होंने कहा कि मुझे लगता था कि मुझे रोमांटिक हीरो का किरदार निभाने की ख्वाहिश रही है, 90 के दशक में जब हम बड़े हो रहे थे, तो मुझे लगता था कि मुझे हीरो बनना है लेकिन अभी इंडस्ट्री में एक बदलाव आया है, पहले नॉर्मल लोग हीरो बनना चाहते थे और अभी जो स्टार हैं वो ऑनस्क्रीन भी रियल लोग बनना चाह रहे हैं मैं विक्रम भट्ट की सीरीज 'अनफ्रेंड' में एक किरदार कर रहा हूं। इसमें सीरियल किलर बना हूं तो इसे भी मैंने बहुत इंज्वाय किया।" 

फिल्मों में महिला और पुरुष कलाकारों को मिलने वाले मेहनताना में असमानता के सवाल पर प्रणव ने कहा को लेकर उन्होंने कहा, "मेहनताना देने में महिला या पुरुष के आधार पर असमानता नहीं होनी चाहिए। अगर एक इंसान उतना ही काम कर रहा है तो उसे उतना पैसा ही मिलना चाहिए। लेकिन इसके अंदर एक और मैथमैटिक्स आता है..बॉक्स ऑफिस वगैरह का। ये सभी एक गेम है हालांकि, मैं उस दुनिया से उतना ज्यादा वाकिफ नहीं हूं, लेकिन जो सुना है, वह यह हैं कि आप जितना टिकट बेच पाते है लोग उतना आप पर दांव खेलते हैं।"

फिल्मों में आने के बारे में प्रणव ने कहा कि फिल्मों में आने को लेकर कोशिश जारी है और उम्मीद करता हूं कि जल्द ही कोशिश कामयाब होगी। -विभा वर्मा 

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