अरविंद कुरियन अब्राहम अधिवक्ता हैं और संविधान संबंधी कानूनों पर काम करते हैं। बीते साल राज्यसभा सांसद के बतौर मनोनीत होने के बाद पूर्व सीजेआई रंजन गोगोई ने कहा था कि संसद में उनकी उपस्थिति विधायिका के सामने न्यायपालिका के विचारों को पेश करने का अवसर होगी, हालांकि रिकॉर्ड दिखाते हैं कि इस एक साल में वे उंगली पर गिनी जा सकने वाली बार ही सदन में नज़र आए हैं।
सीजेआई के तौर पर हुई सभी आलोचनाओं को दरकिनार करते हुए गोगोई ने नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा उन्हें राज्यसभा के लिए नामित करने के प्रस्ताव को स्वीकार किया. इसे स्वीकार करके को लेकर स्पष्टीकरण देते हुए गोगोई ने कहा था : ‘संसद में मेरी उपस्थिति विधायिका के समक्ष न्यायपालिका के विचारों को पेश करने और का एक अवसर होगा.’
एक टीवी इंटरव्यू में उन्होंने कहा, ‘इस नामांकन के लिए मेरी स्वीकृति इस दृढ़ विश्वास से उपजी है कि जब राष्ट्रपति आपकी सेवाओं के लिए आग्रह करते हैं, तो उन्हें न नहीं कहा जा सकता.’
कुरियन लिखते हैं, मंत्रियों को अपने सवालों के लिए सरकार की मौजूदा नीतियों का बारीकी से विश्लेषण करना होता है, जिसके लिए कानून, अर्थशास्त्र, तकनीकी, विदेश निति जैसे कई और विषयों से जुड़ी जानकारी जुटाने का कौशल होना चाहिए। अपनी सुशिक्षित पृष्ठभूमि के बावजूद रंजन गोगोई ने राज्यसभा में एक भी प्रश्न नहीं किया.
इसके अलावा, जब सदन में कोई मंत्री किसी तारांकित सवाल का जवाब देते हैं, तब कोई भी सांसद पदासीन अधिकारी की अनुमति से पूरक प्रश्न पूछ सकते हैं. इस श्रेणी में भी गोगोई ने कोई सवाल नहीं किया है.
राज्यसभा की वेबसाइट के अनुसार 31 जनवरी 2020 से 3 अप्रैल 2020 तक बजट सत्र में 34 दिन सदन ने काम किया और गोगोई इस सत्र में केवल दो दिन- 19 और बीस मार्च- जब उन्होंने शपथ ली और इसके अगले दिन, सदन में उपस्थित थे. इसके बाद मानसून सत्र में 18 दिन सदन की कार्यवाही चली, लेकिन इसमें गोगोई एक भी दिन मौजूद नहीं थे.
वर्तमान बजट सत्र में 20 मार्च 2021 तक राज्यसभा में 33 दिन काम हुआ है, जहां गोगोई केवल एक दिन 12 फरवरी को उपस्थित रहे हैं. सरकार की ओर से राज्यसभा का नामांकन स्वीकार करते हुए जस्टिस गोगोई ने कहा था कि उनके लिए यह संसद को सेवाएं देने का अवसर होगा. तो सांसद गोगोई की ये सेवाएं क्या हैं?