नकारात्मक वोटिंग हमेशा ‘निगेटिव नहीं’ होती

Approved by Srinivas on Tue, 04/09/2019 - 16:24

:: श्रीनिवास ::

निःसंदेह ’67 और ’77 का गैरकांग्रेसवाद किसी सैद्धांतिक और वैचारिक सहमति पर नहीं खड़ा था। उसे एक तरह से सिद्धांतविहीन अवसरवादी गंठजोड़ भी कह सकते हैं। लेकिन तत्कालीन स्थितियों में वह अपरिहार्य रणनीति थी।  हम सफल भी हुए। वह नकारात्मक वोटिंग ही थी, नगर सकारात्मक उद्देश्य के साथ।

 

चुनाव, यानी दो या दो से अधिक विकल्पों में से एक को चुनना। भले ही कोई विकल्प हमारे आदर्शों के अनुरूप न हो, पर चुनना पड़ता है। मगर बहुधा एक दुविधा जरूर होती है। जो किसी पार्टी के समर्थक या सदस्य हैं; या जात-धर्म के नाम पर मतदान करते हैं, उनको कोई दुविधा नहीं रहती। लेकिन हम जैसों को रहती है। कंडीडेट  देखें या पार्टी को या उस नेता या समूह को, जिसकी धुरी पर चुनाव हो रहा है, जिसकी सरकार बनेगी।। प्रत्याशी का घोषित विचार देखें या उसका आचरण?

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आडवाणी जी के लिए आंसू बहाने से पहले...

Approved by Srinivas on Mon, 04/08/2019 - 23:04

:: श्रीनिवास ::

बेशक इनके और मुरली मनोहर जोशी आदि के साथ अच्छा नहीं हुआ, लेकिन आडवाणी जी ने देश के साथ जो किया है, उस लिहाज से तो यह कुछ भी नहीं है. और नरेंद्र मोदी भी तो इनकी ही पाठशाला से निकले हैं. कहले हैं, पता नहीं इसमें सच कितना है, कि गुजरात दंगों के बाद अटल बिहारी वाजपेयी, मोदी से मुख्यमंत्री पद छोड़ने के लिए कहना चाहते थे, लेकिन तब आडवाणी मोदी के बचाव में आ गए थे.

 

भाजपा-संघ के कतिपय आलोचकों में अचानक एलके आडवाणी के प्रति सहानुभूति छलक उठी है! पता नहीं, यह ‘दुश्मन का दुश्मन दोस्त’ की नीति के तहत है; या उनको सचमुच श्री आडवाणी में वे गुण नजर आने लगे, जो कल तक नहीं दीखते थे? आगे बढ़ने से पहले स्पष्ट कर दूं कि मुझे आडवाणी जी से कोई सहानुभूति नहीं हो रही। उम्र के लिहाज से एक बुजुर्ग का कितना सम्मान किया जाना चाहिए, उतना उनका भी करता हूँ, बस। और निवेदन है कि उनके लिए आंसू बहाने से पहले उनके (कु) कृत्यों को भी याद कर लें। 

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सांपनाथ बनाम नागनाथ ही सही, एक को चुनना तो पड़ेगा

Approved by Srinivas on Sat, 04/06/2019 - 08:13

:: श्रीनिवास ::

बेशक भारत में लोकतंत्र की जड़ें इतनी कमजोर नहीं हैं कि मोदी की दोबारा ताजपोशी से लोकतंत्र नष्ट हो जायेगा, लेकिन यह सरकार प्रधानमंत्री की अगुवाई में जिस तरह धार्मिक उन्माद को बढ़ावा देती रही है, सत्ता पक्ष से जुड़े महत्वपूर्ण नेता, सांसद, यहाँ तक कि अनेक मंत्री भी, खुलेआम ‘राष्ट्रवाद’ के नाम पर संकीर्ण और आक्रामक हिंदुत्व की वकालत कर रहे हैं. जिस तरह सुप्रीम कोर्ट तक को परोक्ष रूप से धमकी दी जाती रही है, ‘आस्था’ को संविधान और कानून से ऊपर बताया जा रहा है, उससे यह आशंका प्रबल तो हुई ही है कि दोबारा मोदी के सत्तासीन होने पर ये मूलतः लोकतंत्रविरोधी प्रवृत्तियां विकराल और बेकाबू रूप ले सकती हैं.

 

चुनाव का बिगुल बज चुका है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार के किये-अनकिये का हिसाब करने का वक्त आ गया है. यानी संविधान से मिले मताधिकार का उपयोग करने का भी. आम तौर पर लोग सरकार के पांच साल के कामकाज के आधार पर उसे दोबारा चुनते हैं या नकारते हैं. यह और बात है कि भारतीय मतदाता अमूमन अन्य कारणों से ही किसी को चुनता और नकारता है. वैसे भी संसदीय लोकतान्त्रिक प्रणाली में जनता सीधे सरकार नहीं चुनती है, अपना क्षेत्रीय प्रतिनिधि (सासद या विधायक) चुनती है; और उनके बहुमत की सरकार बनती है. 

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राष्ट्रीयता पर गांधी ‘नैरेटिव’ : चुनाव-2019 ग्राउंड रिपोर्ट   

:: हेमंत ::

पत्रकार, लेखक, समाजकर्मी

 

 

क्या यह सम्भव है कि हम अपने देश को प्यार करें और उनसे घृणा न करें जो हमारे देश पर शासन करते हैं या जिनका शासन हम नहीं चाहते?  या कहें, जिनके शासन को हम हृदय से नापसंद करते हैं? 
आज भारत में नई पीढ़ी को इस समस्या का सामना करना पड़ रहा है, जो गुलाम भारत के लिए सवाल था। 

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Menace of anti-Romeo squads

:: M.Y.Siddiqui ::

Anti-Romeo squads, formed soon after the current NDA Government in Uttar Pradesh took over in March 2017, ostensibly to protect the honour of women, has come to be viewed as a big nuisance verging on state terror to police the moral standards of the country’s youth. It comes on the heels of such squads having worked for years in the BJP ruled Gujarat, where it failed miserably following massive resistance and disenchantment of people.

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पाकिस्तान पर हवाई कार्रवाई का श्रेय किसी को नहीं लेना चाहिए : गडकरी

:: ब्रजेंद्र नाथ सिंह ::

नई दिल्ली: केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी का कहना है कि पाकिस्तान के बालाकोट में आतंकियों के खिलाफ भारतीय वायुसेना की कार्रवाई को आम चुनाव से नहीं जोड़ा जाना चाहिए और न ही किसी को इसका इसका राजनीतिक लाभ या श्रेय लेना चाहिए। 

आईएएनएस के साथ साक्षात्कार में सड़क परिवहन व राजमार्ग, जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्री ने कहा कि वे न तो किसी पद के दावेदार हैं और न ही प्रधानमंत्री पद की दौड़ में शामिल हैं। 

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Medical education corruption in India

:: M. Y. Siddiqui ::

India is witnessing the criminalisation of medical education that begins with licensing of colleges by the Medical Council of India (MCI), regulator of medical education and medical profession. According to sources in the Ethics Committee of MCI, this criminal nexus includes MCI, promoters of private medical colleges, real estate lobbies, local politicians and serving or retired doctors from government medical colleges. Large amounts of money changes hands at every stage of the medical education chain.

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राजग बहुमत से थोड़ा दूर रहेगा, मगर सरकार बना लेगा

:: न्‍यूज मेल डेस्‍क ::

नई दिल्ली: राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) आम चुनाव में बहुमत से थोड़ा दूर रहेगा, लेकिन चुनाव बाद गठबंधन के जरिए आराम से सरकार बना लेगा। उत्तर प्रदेश में महागठबंधन न होने की स्थिति में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाला राजग 300 से अधिक सीटें हासिल करेगा। आईएएनएस के लिए सी-वोटर द्वारा किए गए ताजा राष्ट्रीय सर्वेक्षण के अनुसार, उत्तर प्रदेश की जंग अगले लोकसभा का रूपरंग निर्धारित करेगी। 

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भारतीय खेती को कॉर्पोरेट ने हाईजैक कर लिया है- पी साईनाथ

:: न्‍यूज मेल डेस्‍क ::

भोपाल: मध्य प्रदेश के भोपाल में आयोजित डॉ. अजय खरे स्मृति व्याख्यानमाला में "कृषि संकट: खाद्यान्न सुरक्षा एवं स्वास्थ्य" विषय पर बोलते हुए वरिष्ठ पत्रकार पी. साईनाथ ने कृषि संकट के लिए देश की आर्थिक नीतियों को जिम्मेदार बताया।

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Money making racket of caesarean child delivery!

:: M Y Siddiqui ::

 With the uterus scam setting example of medical doctors indulging in criminal acts, there is an equally serious pattern of rising caesarean sections having become a money making racket. From being emergency life saving procedures, doctors are peddling C-sections as a pain-free and convenient option that can be scheduled on a special day and at an auspicious time without revealing the risks like excessive blood loss, blood clots, heart attacks, difficulty in breastfeeding and increasing chances of repeat C-section births.

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