प्रज्ञा ठाकुर : भाजपा/संघ का असली/नया चेहरा?
जाहिर है कि मोदी जानते हैं कि उनके मुरीद हिंदू प्रज्ञा ठाकुर पर लगे आरोपों को सही मानकर भी उसके साथ रहेंगे; और ऐसी ‘वीरांगना’ को प्रत्याशी बना कर और ख़म ठोक कर उसका बचाव करनेवाला कोई ‘छप्पन इंच’ वाला ही तो हो सकता है. यानी आगे, अदालत का फैसला जो भी हो (वैसे भी यदि उनकी सरकार दोबारा बन जाती है, तो ऐसे मामलों को रफा दफा कर देने का अवसर तो रहेगा ही), विपक्ष कुछ भी कहे, धार्मिक उन्माद से ग्रस्त हिन्दू का वोट तो मिल ही जायेगा.
भोपाल से भाजपा प्रत्याशी प्रज्ञा ठाकुर ने दिवंगत हेमंत करकरे (अशोक चक्र से सम्मानित पुलिस अफसर) के खिलाफ जहर उगलने के बाद अपना वह बयान वापस लेकर उसके लिए क्षमा मांग ली है. (हालांकि उनके जहर उगलने, भड़काऊ और ऊटपटांग बातें - जैसे गोमूत्र से कैंसर का इलाज, चार वर्ष की उम्र में बाबरी ध्वंस में शामिल रहने का दावा - कहने का सिलसिला जारी है) जाहिर है, ऐसा करना उनकी मजबूरी ही रही होगी. मप्र के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के खिलाफ प्रज्ञा ठाकुर को खड़ा करने के पीछे भाजपा की जो रणनीतिक मंशा थी, वह तो पूरी हो चुकी. उनके जहरीले बयान का जो ‘सकारात्मक’ असर होना था, वह हो चुका.