‘Historic Injustice’ to Adivasis made permanent

:: Stan Swamy ::

Whereas previously SC affirmed indigenous people’s inalienable rights to their land, it now orders their eviction from their land unilaterally

There are three significant SC judgments on the indigenous Adivasi people’s rights over their land and natural resources:

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Ever rising court cases in India

:: M Y Siddiqui ::

 Indian judiciary is facing a huge backlog of cases. Combined pendency of cases in the Supreme Court of India and all the 24 High Courts across the country have increased from 3.93 million on December 31, 2015 to 4.3 million on January 31, 2019. Cases, during the period, have come down marginally by 3.8 per cent in the Supreme Court, while in the High Courts backlog of cases went up by 9.7 per cent (375,402). Allahabad High Court tops the list of pending cases with 726,000 cases followed by Rajasthan High Court with  449, 000 pending cases.

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Declining education quality under NDA Union Government!

:: M.Y.Siddiqui ::

With India becoming the world’s youngest country with an average age of 29, the demographic dividend can be reaped with right training and education of our youthful population to face the challenges of the 21st Century world, which leaves much to desire.

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राफ़ेल घोटाले पर फ्रांस का मीडिया चुप क्यों है

प्रशांत टंडन

बेहतर पत्रकारिता के मानदंडों पर यूरोप का मीडिया दुनिया में सबसे अव्वल रहा है. बोफोर्स कांड भी स्वीडन के एक अखबार ने वहां के एक पुलिस अधिकारी के हवाले से सबसे पहले छापा था जिस पर कुछ दिन बाद रेडियो स्वीडन ने खुलासा किया था कि कि बोफोर्स में किसी राजनीतिज्ञ को कमीशन मिला है. 

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सरना कोड : जुमला या हकीकत?

Gladson Dungdung

 

:: ग्लैडसन डुंगडुंग ::

ग्लैडसन डुंगडुंग आदिवासी एक्टिविस्ट, लेखक, शोधकर्ता, चिंतक एवं प्रखर वक्ता हैं। वे 'एंडलेस क्राई इन द रेड कॉरिडोर, मिशन सारंडा, हूज कंट्री इंज इट एनीवे, क्रासफायर, आदिवासी और वनाधिकार, विकास के कब्रगाह, झारखंड में अस्मिता संघर्श, उलगुलान का सौदा' जैसे दर्जनोंं पुस्तकों के लेखक हैं। वे योजना आयोग भारत सरकार के पैनल में सदस्य थे एवं समता रत्न पुरस्कार 2014 से सम्मनित हैं।

झारखंड विधानसभा के बजट सत्र में मुख्यमंत्री प्रश्नकाल के दौरान कांग्रेस विधायक सुखदेव भगत के द्वारा सरना कोड को लेकर पूछे गये सवाल का जवाब देते हुए झारखंड के मुख्यमंत्री रघुवर दास ने कहा कि राज्य सरकार सरना धरम कोड़ के लिए केन्द्र सरकार से अनुशंसा करने पर विचार कर रही है। इस मसले को भाजपा के समर्थक सरना धर्मालंबी ऐसे पेश कर रहे हैं जैसे उन्हें सरना धरम कोड मिल गया है। इसलिए इस मसले पर चिंतन करने की जरूरत है। ‘सरना-सनातन एक है‘ और ‘संताल-सनातन एक है’ का नारा बुलंद करने वाले संघ परिवार के किसी नेता के मुंह से इस तरह का विचार आना न सिर्फ आश्चर्यजनक लगता है बल्कि इसमें संदेह पैदा होता है और कर्इ

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ममता की दीदीगिरी

राजेंद्र कुमार

कोलकाता में सीबीआई के खिलाफ पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का धरना तीसरे दिन खत्म हो गया। इन तीन दिनों में विपक्ष के नेता उनसे मिलने के लिए पहुंचे। राहुल गांधी, शरद पवार सरीखे जो नेता उनसे मिलने नहीं आ सके, उन्होंने सीबीआई और केंद्र सरकार के खिलाफ छेड़े ममता के संघर्ष में साथ देने का वायदा किया। दूसरी ओर से बीजेपी भी लगातार इस दौरान ममता पर हमले करते रही। कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने ममता बनर्जी पर सारदा चिटफंड घोटाले के भ्रष्टाचारियों को बचाने का आरोप लगाया। बीजेपी के ऐसे हमलों का ममता बनर्जी पर कोई असर नहीं हुआ। और उन्होंने धरने पर बैठकर लोकसभा चुनाव से पहले बंगाल में चुनावी एज

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देश, खास कर बंगाल में, संविधान और उसकी गरिमा सुरक्षित है; अपने केसरी नाथ त्रिपाठी हैं न!.

Approved by Srinivas on Tue, 02/05/2019 - 15:45

:: श्रीनिवास ::

श्री त्रिपाठी अभी पश्चिम बंगाल के राज्यपाल हैं। उन्होंने बंगाल की स्थिति  पर केंद्र को अपनी रिपोर्ट भेज दी है। सभी जानते हैं कि राज्यपाल अमूमन केंद्र की इच्छा के अनुरूप ही रिपोर्ट भेजते हैं। लेकिन फिलहाल यह मामला सुप्रीम कोर्ट की निगाह में है, मीडिया के फोकस में है। इसलिए बावजूद इसके कि भाजपा प, बंगाल में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग कर रही है, उसके समर्थकों को भी यह जरूरी लगता है, केंद्र तत्काल कोई बड़ा फैसला लेने का जोखिम शायद नहीं उठाएगा।

अरे, केसरी नाथ त्रिपाठी को नहीं जानते! पश्चिम बंगाल के महामहिम, यानी राज्यपाल हैं। मगर इनका यह परिचय नाकाफी है। ये संविधान विशेषज्ञ हैं। उत्तर प्रदेश के विधानसभा अध्यक्ष रहते हुए आपने जो किया, उस कारण वे आज भी एक मिसाल और ‘दलीय भावना से ऊपर’ रहनेवाले विधानसभा अध्यक्षों के लिए प्रेरणास्रोत बने हुए हैं। यूं तो संविधान और लोकतंत्र की गरिमा बढ़ाने के मामले में कांग्रेसी विधानसभा अध्यक्षों और राज्यपालों के कारनामों के सूची भी बहुत लम्बी है, मगर श्री त्रिपाठी ने भी इस क्षेत्र में कीर्तिमान तो रच ही  दिया।  

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ममता एक तीर से दो निशाने लगा रही हैं

राजेंद्र तिवारी

ममता बनर्जी बहुत चतुर राजनीतिक हैं और आगे बढ़कर मोर्चा लेने की हिम्मत रखती हैं। उनका राजनीतिक ग्राफ देखेंगे तो यही पाएंगे। रविवार को ममता ने सीबीआई के जरिये सीधे मोदी-शाह पर दांव आजमाया है। पिछले एक हफ्ते का राजनीतिक घटनाक्रम देखें। शनिवार को नॉर्थ चौबीस परगना व दुर्गापुर में प्रधानमंत्री की रैलियां थीं। रविवार को कोलकाता में वामदलों की रैली थी और पटना में कांग्रेस की। रविवार की दोनों रैलियां बेहतर रहीं। बंगाल में वामदलों का मजबूत होना ममता के लिए बड़ा खतरा है। क्योंकि वामदल मजबूत हुए तो यकायक ममता के लिए बड़ी चुनौती खड़ी हो जाएगी। वहीं, बंगाल में कमजोर टर्फ पर खेल रही भाजपा यदि मुकाबले में

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क्या राहुल गांधी सोशल मीडिया की लड़ाई जीत रहे हैं?

:: गोकुल भगवती ::

राहुल गांधी के जिस ट्वीट को 12,000 बार से ज्यादा रिट्विट किया गया, उसमें उन्होंने लिखा है, "आपकी पांच सालों की अक्षमता और अहंकार ने हमारे किसानों के जीवन को नष्ट कर दिया है। उन्हें प्रतिदिन 17 रुपये देना उनका और उनके काम का अपमान है।"

नई दिल्ली: भारतीय राजनीति में प्राय: उनका 'पप्पू' कह कर मजाक उड़ाया जाता है। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी अपनी छवि बदलने की पुरजोर कोशिश में जुटे हैं और अपने 84.1 लाख फॉलोअरों के लिए व्यंग्य से भरे ट्वीट्स के माध्यम से वह एक हाजिर जवाब नेता के रूप में उभरे हैं। 

जो भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को आगामी चुनावों में कुछ नुकसान पहुंचा सकते हैं, क्योंकि पिछले विधानसभा चुनावों में भी उनके ट्विट्स ने उनके विरोधियों को नुकसान पहुंचाया था। 

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कोलकाता में आधी रात का ड्रामा! : मोदी को ममता की चुनौती

Approved by Srinivas on Mon, 02/04/2019 - 13:56

:: श्रीनिवास ::

ताजा खबर यह है कि सुप्रीम कोर्ट ने बंगाल के हंगामे पर तत्काल सुनवाई करने से इनकार कर दिया। जबकि सीबीआई यह आरोप लगाते हुए अदालत गयी थी कि उसके काम में बाधा डाल कर, उसके अधिकारियों को हिरासत में लेकर पश्चिम बंगाल सरकार ने सुप्रीम कोर्ट की अवमानना की है, क्योंकि वह (सीबीआई) सर्वोच्च अदालत के आदेश/निर्देश पर ही काम कर रही थी। फिर भी सुप्रीम कोर्ट का तत्काल सुनवाई से इनकार करना क्या बताता है? यही तो कि उसे सीबीआई के आरोप, कि सम्बद्ध अधिकारी सबूतों को नष्ट कर रहे हैं, पर पूरा भरोसा नहीं हुआ। कोर्ट ने कहा है कि आप इस बात के सबूत दीजिये; यदि वे पुख्ता हुए तो हम सख्त कार्रवाई करेंगे।

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