गांधी को ये क्या मारेंगे? मगर..

Approved by Srinivas on Sun, 02/03/2019 - 22:55

श्रीनिवास का आलेख
(संदर्भ : गांधी के पुतले को गोली मारने की घटना).

ऐसा लगता है कि गांधी को सही मानने और संघ की आलोचना करनेवाले हम सब विफल रहे हैं. क्या ऐसा नहीं लगता कि धर्मांधता और बहुसंख्यकवाद का विरोध और समरसता, समानता, बहुलतावाद पर हमारे तर्क आम आदमी के गले नहीं उतर रहे; या हम अपनी बात ढंग से नहीं रख पा रहे; या इन मूल्यों के प्रति हमारी निष्ठा कमजोर है, कि हमारी करनी और कथनी में फर्क है?

महात्मा गांधी के पुतले को किसी ने गोली मार दी, यह शर्मनाक और दुखद जितना भी हो, मूलतः यह समस्या या चिंता की बात नहीं है. यह कृत्य कानूनन अपराध है या नहीं और ऐसा करनेवालों के खिलाफ पुलिस क्या कार्रवाई कर रही है; या विभिन्न दलों के नेता-सांसद इस पर आदि क्या बोल रहे हैं, मेरी समझ से यह भी हमारे लिए कोई विशेष गंभीर और चर्चा का विषय नहीं होना चाहिए.
 

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हां, जॉर्ज भी कभी समाजवादी हुआ करते थे!

Approved by Srinivas on Wed, 01/30/2019 - 07:57

जैसे सावरकर भी एक समय स्वतंत्रता संग्राम के क्रांतिकारी युवा हुआ करते थे.
जैसे मोहम्मद अली जिन्ना लम्बे अरसे तक मॉडरेट, सेकुलर और देशभक्त हुआ करते थे.

और मैं इन सबका उस हद तक सम्मान करता हूँ, जिस हद तक इनमें नकारात्मक बदलाव नहीं आया था.

मगर अंग्रेजों से माफी मांग कर सेलुलर जेल से निकलने वाले; उसके बाद आजीवन ‘हिन्दू राष्ट्र’ की वकालत करते रहे; यहाँ तक कि गांधी की हत्या में कथित रूप से संदिग्ध भूमिका निभानेवाले विनायक दामोदर सावरकर के प्रति सम्मान का वही भाव नहीं है, न हो सकता है.

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जाँर्ज का जाना - सत्ता के समंदर में संघर्ष की लहरें पैदा करने वाला अब नहीं रहा

Approved by admin on Tue, 01/29/2019 - 14:56

भारतीय राजनीति को जाँर्ज ने 60 के दशक से प्रभावित करना शुरू किया और आज भारतीय राजनीति जिस मुकाम पर है, उसका श्रेय जाँर्ज को ही जाता है। उनको याद कर रहे हैं त्रिभुवन, राजीव नयन बहुगुणा और जयशंकर गुप्त...

त्रिभुवन

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प्रियंका के आगमन से चुनाव-पूर्व त्रिकोणीय हलचल

नई दिल्ली (सईद नकवी): प्रियंका गांधी का जो चेहरा मुझे याद है, वह उनकी मां और भाई के चुनाव क्षेत्र रायबरेली और अमेठी में उनके लिए अप्रैल-मई 2014 के दौरान चुनाव प्रचार के वक्त का है। 

चुनाव अभियान की अनोखी बात यह थी कि परिवार के इन दोनों संसदीय क्षेत्रों की जिम्मेदारी संभाल रहे कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के प्रतिनिधि किशोरी लाल शर्मा को अगर वर्षो से नहीं तो सप्ताहों और महीनों से प्रियंका गांधी के आने का इंतजार रहता था। 

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Save Girl Child Educate Girl Child Scheme yet to takeoff!

    In an unprecedentedly bizarre way, the Union NDA Government has spent more than 56 percent of the cumulative funds allocated for the Beti Bachao Beti Padhao (Save Girl Child Educate Girl Child) scheme, launched with big fanfare by the Prime Minister in 2014-’15, on paid advertisement and publicity . The scheme intends to correct the skewed child sex-ratio to ensure parity between men and women and other issues of empowerment of women.

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प्रियंका का राजनीति में अवतरण, यानी चाय के प्याले में तूफ़ान!

Approved by Srinivas on Fri, 01/25/2019 - 08:30

सक्रिय राजनीति में प्रियंका गांधी औपचारिक रूप से का आना, कांग्रेस में कोई पद पा जाना क्या इतनी बड़ी घटना है, जैसी मीडिया में इस बात को लेकर मची हलचल से लगता है? अंगरेजी की एक कहावत का हिन्दी अनुवाद है- चाय के प्याले में तूफ़ान. इस घटना को लेकर कुछ वैसा ही परिदृश्य है. कांग्रेस के करीबी संगठनों ने जहाँ इसका स्वागत किया, वहीं कांग्रेस विरोधी दलों को तंज कसने का मौका मिल गया. भाजपा के मुताबिक तो इससे साबित हो गया कि राहुल फेल हो गए और कांग्रेस परिवारवादी पार्टी है. मानो इसके पहले तक कांग्रेस वंशवादी नहीं थी!

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तुम्हारा नेता कौन?

Approved by Srinivas on Thu, 01/24/2019 - 08:17

हमारा नेता तो मोदी है, तुम्हारा? भाजपाई इस सवाल को विपक्षी दलों पर यूं दागते हैं, मानो इसका कोई जवाब हो ही नहीं हो सकता; और न ही विपक्ष के पास नरेंद्र मोदी का कोई विकल्प है. ‘मुरीद’ पत्रकार भी यह सवाल कुछ इसी अंदाज में दोहराते रहते हैं. आज भास्कर में छपे शेखर गुप्ता के लेख का भी शीर्षक हो : बिना दूल्हे के शिवाजी की बारात है विपक्ष

अब जरा भारतीय राजनीति के हालिया इतिहास में इस सवाल को देखते हैं-

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प्रियंका के आगमन से बदल सकता है उत्तर प्रदेश का चुनावी गणित!

नई दिल्ली: कहा जा रहा है कि समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने बहुजन समाज पार्टी (बसपा) अध्यक्ष मायावती के साथ गठबंधन कर उत्तर प्रदेश का चुनावी गणित दुरुस्त कर दी है, मगर भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के गठबंधन से बाहर रहने से ऐसा लग रहा था कि भारतीय जनता पार्टी के लिए अभी भी संभावना बची हुई है। 

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Worsening unemployment in India

Job market is worsening in India. Government employment is shrinking and employability of our youth waning in view of the country reeling under shortages of quantitative quality higher education with worsening employment in the informal sector of economy, knocked down completely by ill-conceived disastrous demonetisation and impractical hasty implementation of the well thought out Goods and Services Tax.

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मप्र : कर्जमाफी से किसानों में जगी 'उऋण' होने की आस

भोपाल: मध्य प्रदेश की कांग्रेस सरकार की 'जय किसान फसल ऋण माफी योजना' की शुरुआत हुए एक सप्ताह हो चुका है। सरकार का दावा है कि रविवार तक कुल छह दिनों में 19 लाख 54 हजार 219 किसानों ने कर्जमाफी के आवेदन जमा करवा दिए हैं। विपक्षी भाजपा इसे किसानों के साथ छल बता रही है। लेकिन सवाल यह उठता है कि कर्जमाफी की इस कसरत से किसान कितने आशान्वित हैं? 

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