मंदी में देश और हकीकत झुठलाती ऑनलाइन शॉपिंग कंपनियां

:: न्‍यूज मेल डेस्‍क ::

एक ओर जहां देश आर्थिक मंदी की बुरे दौर से गुजर रहा है वहीं चार दिन चली ई-कॉमर्स कंपनियों की बिक्री ने 26 हजार करोड़ रुपये का आंकड़ा पार कर लिया!.. केवल तीन दिन में इन कंपनियों 12.6 हजार करोड़ रुपये का सामान पूरे देश में बेच लिया था। कंपनियों ने केवल 750 करोड़ रुपये के प्रीमियम स्मार्टफोन पहले दिन बेच दिए थे। यह बिक्री का रिकॉर्ड कहता है कि देश में मंदी की बात करना बेमानी है, हालांकि यह पूरा सच नहीं है। खुद आरबीआई का सर्वे भी मंदी की और इशारा कर रहा है। 

ई-कॉमर्स कंपनियों पर जो सेल चल रही थी, उसमें जितने भी उत्पाद मिल रहे हैं वो लोगों की जरूरत का है। ऐसे में लोग टीवी, फ्रिज, मोबाइल फोन जैसी वस्तुओं को खरीद रहे हैं। वहीं मकान, कार जैसी वस्तुएं लोगों की ऐसी जरूरत नहीं है, जिनको नहीं लेने पर उनका काम नहीं चलेगा। 

इस बार की सेल में एक बात देखने को मिली कि कंपनियों के उत्पादों को छोटे शहरों में ज्यादा खरीदा गया। हिंदी और अन्य भारतीय भाषाओं में इंटरफेस शुरू करने के बाद कंपनियों को अनुमान से ज्यादा बिक्री देखने को मिली है। रिपोर्ट में यह बताया गया कि ग्राहकों ने फैशन उत्पादों की खरीदारी फ्लिपकार्ट से की, जबकि इलेक्ट्रॉनिक उत्पाद अमेजन से खरीदे। रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले साल की तरह ई-कॉमर्स क्षेत्र की कुल कमाई का 55 फीसदी मोबाइल से हुई।  इलेक्ट्रॉनिक्स, फैशन और फर्नीचर श्रेणी में भी तेजी देखी गई।

हालाकिं इन सबके बावजूद अर्थव्यवस्था पर आरबीआई की एक रिपोर्ट कुछ और इशारा करती है। केंद्रीय बैंक ने शुक्रवार को एक रिपोर्ट जारी कि है जिसमें खुद केंद्रीय बैंक ने देश के पांच हजार लोगों के बीच सर्वे किया है। इस सर्वे के मुताबिक वर्तमान स्थिति इंडेक्स सितंबर महीने में 89.4 तक पहुंच गया जो पिछले 6 सालों की तुलना में बेहद खराब है। इससे पहले साल 2013 में वर्तमान स्थिति इंडेक्स सबसे खराब दर्ज किया गया था। उस वक्त इंडेक्स गिरकर 88 पर पहुंच गया था।
इस सर्वे में आर्थिक हालत, रोजगार, मूल्य स्तर और आमदनी और खर्च को लेकर सवाल पूछे जाते हैं। जब वर्तमान स्थिति की दर 100 से ऊपर होती है तब उपभोक्ता आशावादी होते हैं और 100 से नीचे होने पर निराशावादी। सर्वे में यह बात सामने आई है कि नोटबंदी के बाद उपभोक्ताओं का विश्वास गिरा है। 

आरबीआई ने वित्त वर्ष 2019-20 के लिए जीडीपी का अनुमान 6.9 फीसदी से घटाकर 6.1 फीसदी कर दिया है। वहीं वित्त वर्ष 2020-21 के लिए जीडीपी का अनुमान 7.2 फीसदी कर दिया है। आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति (MPC) की समीक्षा बैठक में यह फैसला लिया गया। इससे केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के पांच ट्रिलियन यानी 50 खरब इकोनॉमी बनने की कवायद को झटका लग सकता है। 

पिछली बैठक में आरबीआई ने चालू वित्त वर्ष के लिए जीडीपी का अनुमान सात फीसदी से घटाकर 6.9 फीसदी किया था। डब्ल्यूटीओ ने इस साल के लिए ट्रेड ग्रोथ का अनुमान घटा दिया है। वर्ल्ड ट्रेड ऑर्गेनाइजेशन के अनुसार, इस वर्ष ट्रेड ग्रोथ आधा यानि 1.2 फीसदी रहेगा। 

इससे पहले अप्रैल में डब्ल्यूटीओ ने अनुमान लगाया था कि इस साल ट्रेड में 2.6 फीसदी की वृद्धि होगी। सिर्फ ट्रेड ग्रोथ ही नहीं, संस्था ने वैश्विक आर्थिक विकास का अनुमान भी घटा दिया है। अब यह 2.3 फीसदी हो गया है, जबकि पहले यह 2.6 फीसदी था। 

डब्ल्यूटीओ ने चेतावनी दी है कि व्यापार युद्ध के कारण जीवन स्तर गिर सकता है और कईं नौकरियों पर खतरा मंडरा सकता है। व्यापार युद्ध के कारण ट्रेड ग्रोथ काफी प्रभावित होगी। इसलिए यह युद्ध जल्द ही खत्म करना होगा। तभी स्थिति में सुधार आएगा। 

एक रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि देश में 6300 करोड़ डॉलर के आवासीय प्रोजेक्ट अटके हुए हैं, जो कि देश की अर्थव्यवस्था के लिए सिरदर्द साबित हो सकते हैं। एनारॉक प्रोपर्टी कंसल्टेंट की एक रिपोर्ट में इस बात की जानकारी दी गई है। 

अशोक लीलैंड ने अक्तूबर के पूरे महीने में दो से लेकर के 15 दिन के लिए शटडाउन रखने का निर्णय लिया है। सितंबर माह में कंपनी के वाहनों की बिक्री में 57 फीसदी गिरावट देखने को मिली। कंपनी के सितंबर माह में कुल 7,851 वाहन बिके। पिछले साल इसी माह में यह बिक्री 18078 थी। जिन वाहनों की बिक्री में सबसे ज्यादा गिरावट देखने को मिली है उनमें मध्यम से लेकर के भारी वाहन शामिल हैं। 

जापान की टोयोटा मोटर कापोर्रेशन की भारतीय सब्सिडियरी कंपनी टोयोटा किर्लोस्कर मोटर चौथी ऐसा कंपनी बन गई है जिसने अपने कर्मचारियो के लिए वीआरएस यानी स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना शुरू की है। इससे पहले जनरल मोटर्स, हीरो मोटोकॉर्प, अशोक लीलैंड ने दो महीने पहले वीआरएस शुरू करने के एलान किया था।

नियादी क्षेत्र के आठ उद्योगों का उत्पादन इस वर्ष अगस्त में सालाना आधार पर 0.5 फीसदी नीचे रहा। सोमवार को जारी सरकारी आंकड़ों के अनुसार चालू वित्त वर्ष में अप्रैल-अगस्त अवधि में बुनियादी उद्योगों की उत्पादन वृद्धि दर 2.4 फीसदी है। पिछले वित्त वर्ष की इसी अवधि में इसी अवधि में इनकी वृद्धि दर 5.7 फीसदी थी। यह पिछले 45 माह के सबसे निचले स्तर पर है। 

आठ प्रमुख उद्योगों में कोयला, कच्चा तेल, प्राकृतिक गैस, रिफाइनरी उत्पाद, उवर्रक, इस्पात, सीमेंट और बिजली शामिल है। पिछले साल अगस्त में इन क्षेत्रों का उत्पादन सालाना आधार पर 4.7 फीसदी ऊंचा रहा था।

देश की सेवा क्षेत्र की गतिविधियां सितंबर महीने में डेढ़ साल में सबसे सुस्त रही हैं। कमजोर मांग, प्रतिस्पर्धा का दबाव और चुनौतीपूर्ण बाजार परिस्थितियों के कारण सितंबर में सेवा क्षेत्र की गतिविधियों में गिरावट रही और पीएमआई 50 से नीचे आ गया, जो फरवरी 2018 के बाद से सबसे निचला स्तर है। 

आईएसएच मार्किट इंडिया के मासिक सर्वेक्षण में सामने आया है कि सितंबर में मांग सुस्त होने के कारण पीएमआई सूचकांक गिरकर 48.7 अंक पर आ गया। इससे पिछले महीने अगस्त में पीएमआई 52.4 अंक था। यह सर्वेक्षण सेवा क्षेत्र की कंपनियों के बीच किया जाता है।

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