अपहृत कमान्‍डो को नक्‍सलियों ने छोड़ा, मध्‍यस्‍थों व पत्रकारों को सौंपा

:: न्‍यूज मेल डेस्‍क ::

अपहृत कोबरा कमान्‍डो राकेश्वर सिंह मनहास को नक्सलियों ने छोड़ दिया है। राकेश्‍वर को वृहस्‍पतिवार को सात पत्रकारों और तीन स्‍थानीय गणमान्‍य लोगों के दल के सुपूर्द कर दिया गया। यह दल नक्‍सलियों से मिला। इस दल में पद्मश्री धर्मपाल सैनी, गोंडवाना समाज के अध्यक्ष तेलम बोरैया समेत व हेमला सुखमती शामिल थे। बताया जा रहा है कि राज्‍य सरकार ने इन्‍हें मध्‍यस्‍थ के तौर पर भेजा था। साथ ही सैकड़ों की संख्‍या में ग्रामीण भी इन लोगों के साथ शामिल थे।  नक्सलियों के बुलावे पर जवान को रिहा कराने कुल 11 सदस्यीय टीम बस्तर के बीहड़ में वार्ता दल समेत पहुंची थी। राकेश्वर सिंह को छोड़े जाने की खबर के बाद उनके परिवार ने चैन की सांस ली। राकेश्वर सिंह की पत्नी ने कहा- "मैं उन लोगों को धन्यवाद करना चाहती हूं जिन्होंने उनके पति को सकुशल रिहाई सुनिश्चित कराया है। उनका ये यादगार लम्हा कभी नहीं भुलूंगी।"

रिहा हुए जवान को पहले स्‍थानीय थाना के हवाले किया गया। दोपहर बाद चार बजे वह उस सीआरपीएफ कैंप पहुंच गए जहां से वह 3 अप्रैल को ऐंटी-नक्सल ऑपरेशन के लिए निकले थे। नक्सलियों के साथ मुठभेड़ के दौरान सीआरपीएफ कोमान्‍डो राकेश्‍वर सिंह का अपहरण कर लिया गया था।

बतायें कि कल नक्सल समूह ने एक प्रेस नोट जारी किया था। जिसमें अपहृत जवान की सुरक्षा का आश्वासन दिया था। नक्सलियों ने माना था कि सुरक्षाकर्मियों के साथ मुठभेड़ में उनके चार साथियों की जान गई है। इससे पहले नक्सलियों ने छत्तीसगढ़ सरकार से वादा किया कि वे जवान को रिहा करेंगे और रिहाई के लिए सरकार से मध्यस्थों के नाम मांगे थे। नक्सलियों ने दावा किया था कि उनकी हिरासत में सीआरपीएफ जवान राकेश्वर सिंह मनहास सुरक्षित और स्वस्थ हैं।

इधर मामले पर छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा है कि नक्सलियों के खिलाफ अभियान जारी रहेगा और नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में शिविर लगाने का काम तेजी से पूरा होगा। मुख्यमंत्री ने कहा, “हमारे जवान लड़ाई में शहीद हो गए, लेकिन उन्होंने हिम्मत से लड़ाई लड़ी। मैं उनकी शहादत को नमन करता हूं।” उन्होंने कहा कि सुरक्षा बल अत्यधिक प्रेरित थे और नक्सलियों के खिलाफ लड़ाई जीतने के लिए दृढ़ थे।

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