दिल्ली विधानसभा चुनाव के बाद बिहार के विधानसभा चुनाव की तैयारियां शुरू हो गई हैं। शुक्रवार को चुनावी तैयारियों को लेकर पटना में महागठबंधन ने बैठक की। महागठबंधन के नेताओं ने राजद नेता तेजस्वी यादव को अपना नेता मानने से इनकार कर दिया है और शरद यादव को मुख्यमंत्री उम्मीदवार बनाने की मांग की है।
शुक्रवार को जो बैठक हुई, उसमें महागठबंधन के तीन दलों के नेता जीतन राम मांझी (HAM), उपेंद्र कुशवाहा (RLSP) और मुकेश साहनी (VIP) ने पटना में लोकतांत्रिक जनता दल प्रमुख और पूर्व केंद्रीय मंत्री शरद यादव को सीएम पद का उम्मीदवार बनाने की मांग की। इस बैठक के लिए कांग्रेस या आरजेडी के किसी नेता को न्योता नहीं दिया गया था।
सूत्रों के मुताबिक, उपेंद्र कुशवाहा और मुकेश साहनी ने आरजेडी नेता तेजस्वी यादव के महागठबंधन के नेता होने पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
दरअसल, महागठबंधन के कई नेता इस बात को लेकर नाराज हैं कि आरजेडी ने एकतरफा फैसला करते हुए तेजस्वी को महागठबंधन का नेता और मुख्यमंत्री उम्मीदवार घोषित कर रखा है। उनका कहना है कि तेजस्वी को मुख्यमंत्री का चेहरा बनाने को लेकर महागठबंधन के किसी भी दल से कोई विचार-विमर्श नहीं किया गया।
आज हुई इस बैठक के बाद आजतक से बात करते हुए जीतन राम मांझी ने कहा कि बैठक में जो भी निर्णय हुआ है उसकी जानकारी शनिवार को शरद यादव एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करके देंगे। जीतन राम मांझी ने कहा कि हमारी बैठक आगे भी जारी रहेगी।
इस बैठक से इतर आजतक से बातचीत करते हुए आरजेडी प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने कहा कि शरद यादव वरिष्ठ नेता हैं और वह तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री बनने का आशीर्वाद देंगे। मृत्युंजय तिवारी बोले कि महागठबंधन में मुख्यमंत्री का चेहरा तेजस्वी यादव ही हैं और इसको लेकर किसी भी दल को कोई कंफ्यूजन नहीं होना चाहिए।
गौरतलब है कि एक ओर महागठबंधन चुनाव की तैयारियों में जुट गया है तो दूसरी ओर RJD ने भी कैंपेन की रफ्तार बढ़ा दी है। लालू प्रसाद यादव के बेटे तेज प्रताप यादव ने बीते दिनों एक पोस्टर जारी किया था, जिसमें नए कैंपेन को दिखाया गया। RJD ने ‘तेज रफ्तार, तेजस्वी सरकार’ का कैंपेन शुरू किया है, जिसमें तेजस्वी के चेहरे का इस्तेमाल कर सरकार बनाने का दावा पेश किया जा रहा है।
अगर जेडीयू-बीजेपी के खेमे की बात करें तो अभी तक नीतीश कुमार की अगुवाई में एनडीए का चुनाव लड़ना तय माना जा रहा है। दिल्ली के विधानसभा चुनाव में भी अमित शाह और नीतीश कुमार ने मंच साझा किया था, जिसने गठबंधन में खटपट की सभी अटकलों को दूर किया था।
2015 विधानसभा चुनाव में राजद और जेडीयू ने एक साथ चुनाव लड़ा था और भाजपा को मात दी थी। लेकिन दो साल बाद ही नीतीश ने राजद का साथ छोड़ वापस बीजेपी का दामन थाम लिया था।