नई दिल्ली: राष्ट्रीय राजधानी के करोल बाग इलाके में स्थित पांच मंजिला अर्पित पैलेस होटल में मंगलवार तड़के लगी भीषण आग में कम से कम 17 लोगों की मौत हो गई है। हादसे में घायल कई लोगों की हालत गंभीर है। एक अधिकारी ने कहा, "मृतकों में कम से कम दो महिलाएं और एक बच्चा शामिल है, जो होटल में आग की लपटों और घने धुएं से बचकर बाहर नहीं आ सके।"
आग तड़के चार बजे के बाद लगी। होटल में रात को आपातकालीन दरवाजे बंद थे, इसलिए तीन लोगों ने खुद को बचाने के लिए इमारत से छलांग लगा दी।
पुलिस उपायुक्त मंदीप रंधावा ने आईएएनएस को बताया, "तड़के चार बजे आग लगने के बाद होटल से करीब 35 लोगों को बचाया गया। यहां दो दर्जन से ज्यादा दमकल गाड़ियों को काम पर लगाया गया।"
रंधावा ने बताया कि घायलों में कुछ लोगों की हालत गंभीर है, जबकि कई अन्य सामान्य दर्जे से लेकर मध्यम दर्जे तक आग से झुलस गए हैं।
आग लगने के बाद कई लोग इमारत से बाहर निकलने में सफल रहे, लेकिन अग्निशामकों के पहुंचने तक इसमें अधिकतर लोग फंसे रहे। दमकलकर्मियों ने 17 शवों समेत 50 से ज्यादा लोगों को इमारत से बाहर निकाला।
दोपहर तक आग पर काबू पा लिया गया था और अग्निशमनकर्मियों ने सभी कमरों और शौचालयों की तलाशी ली, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कोई फंसा तो नहीं है।
घायलों को राम मनोहर लोहिया अस्पताल, लेडी हार्डिग अस्पताल और सर गंगा राम अस्पताल ले जाया गया।
पुलिस ने घटना के संबंध में लापरवाही का मामला दर्ज किया है। होटल मालिक राकेश गोयल कथित रूप से फरार है।
अधिकारियों ने कहा कि इस 40 कमरे वाले होटल में कर्मचारियों को मिलाकर करीब 70 लोग थे।
दिल्ली अग्निशमन सेवा के अधिकारी जी.सी. मिश्रा ने कहा कि ज्यादातर लोगों की मौत दम घुटने से हुई। उन्होंने कहा कि मृतकों की संख्या बढ़ सकती है, क्योंकि कुछ घायलों की हालत गंभीर है।
होटल में बेसमेंट, भूतल के अलावा चार मंजिलें हैं। ज्यादातर नुकसान दूसरी और चौथी मंजिलों पर हुआ है।
एक अग्निशमन अधिकारी ने कहा कि होटल का गलियारा संकरा था और सीढ़ी पर लगे लकड़ी के पैनल और इलेक्ट्रिक वायर जलकर खाक हो गए। केवल बेसमेंट और भूतल आग से प्रभावित नहीं हुए।
मिश्रा ने कहा, "जब दमकल की गाड़ियां मौके पर पहुंचीं, तो आग की लपटें इमारत से बाहर निकल रही थीं। उस समय भी कई लोग गहरी नींद में सो रहे थे।"
पुलिस अधिकारी रंधावा के अनुसार, होटल ने रेस्त्रां और गेस्ट हाउस के लिए दिसंबर 2017 में अग्नि सुरक्षा का एनओसी प्राप्त किया था, जबकि भूतल पर कैफेटेरिया और बार अवैध रूप से चल रहे थे।
केंद्रीय पर्यटन मंत्री के.जी. अल्फोंस ने कहा कि आपातद्वार 'बहुत संकरे' थे और दिशा-निर्देश के अनुसार नहीं बनाए गए थे।
उन्होंने पत्रकारों से कहा, "इन्हें रात को बंद कर दिया गया था। हमारे पास मौजूद सूचना के अनुसार, इन दरवाजों को रात में बंद कर दिया जाता था और बाहर गार्ड बैठा करता था। लेकिन हम नहीं जानते कि गार्ड वहां था, या नहीं।"
हादसे में जिंदा बचे लोग घबराए, हताश, परेशान लोगों ने शिकायत की कि अग्निशमन उपकरण होटल में सहजता से उपलब्ध नहीं थे और लकड़ी के पैनलों ने आग की लपटों को तेजी से फैलने में मदद की।
एक शख्स ने कहा कि आग से बचकर निकलने के लिए कोई निकासी द्वार की व्यवस्था नहीं थी।
होटल पूरी तरह भरा था और इसमें कुछ विदेशी पर्यटक भी रुके हुए थे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस हादसे पर शोक जताया है।
उन्होंने ट्वीट किया, "दिल्ली के करोल बाग में आग की वजह से लोगों की मौत से बेहद दुखी हूं। मृतकों के परिवारों के प्रति अपनी संवेदना प्रकट करता हूं। घायलों के जल्द स्वस्थ होने की कामना करता हूं।"
दिल्ली सरकार ने मजिस्ट्रेट जांच के आदेश दिए हैं।
दिल्ली सरकार के आवास एवं शहरी विकास मंत्री सत्येंद्र जैन ने कहा कि होटल ने निर्माण मानदंडों का उल्लंघन किया था।
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि मालिक के पास होटल व बार चलाने का वैध लाइसेंस है या नहीं, इसकी जांच की जाएगी। उन्होंने इसके साथ ही मृतक के परिजनों के लिए पांच-पांच लाख रुपये सहायता राशि की भी घोषणा की।