कुणाल कामरा का शीर्ष न्‍यायालय पर जोक मारना कितना सही है?

:: न्‍यूज मेल डेस्‍क ::

कुणाल कामरा इन दिनों चर्चा में हैं। खासकर सोशल मीडिया में। बहुचर्चित अर्णब गोस्‍वामी की रिहाई के फैसले के बाद कुणाल ने सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले पर अपनी खास शैली में ट्विटर पर कई टिप्‍पणियां की थी। इन टिप्‍पणियों को सुप्रीम कोर्ट के सम्‍मान में आपत्तिजनक बताया गया। कई वकीलों और लॉ के स्‍टूडेन्‍ट्स ने कुणाल पर सुप्रीम कोर्ट के डिफार्मेशन का आरोप लगाते हुए याचिकाएं लगायीं। यहां तक कि सुप्रीम कोर्ट ds अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने डिफार्मेशन पर सुनवाई की स्‍वीकृति भी दे दी। अब इंतजार हो रहा है कि सुप्रीम कोर्ट के जजेज इसपर सुनवाई कब शुरू करते हैं, शुरू करते हैं कि नहीं। 

इस बीच कुणाल कामरा ने एक और बयान दे डाला है: न वकील करेंगे, न माफ़ी मांगेगे, न जुर्माना जुर्माना चुकायेंगे। कामरा कहते हैं कि वह अपने बयान पर काबिज हैं। उन्‍होंने तो यहां तक कह डाला कि कोर्ट उनके केस में वक़्त की बर्बादी करने की बजाय अन्‍य याचिकाओं जैसे, धारा 370, नोटबंदी की याचिका,  इलक्टोरल बॉन्ड,  आदि लंबित मामलों को निबटाये।

ऐसा नहीं है कि कुणाल कामरा पहली बार विवादों में आए हैं। इस वर्ष जनवरी के महीने में कुणाल कामरा पत्रकार अर्नब गोस्वामी से एक फ़्लाइट में उनकी सीट पर जाकर सवाल पूछते नज़र आए थे। यह वीडियो वायरल हो गया था। उस वीडियो में अर्नब गोस्वामी कुणाल को नज़रअंदाज़ करते हुए अपने लैपटॉप पर कुछ देखने में व्यस्त दिखते हैं। इस घटना के बाद कुणाल पर इंडिगो ने छह महीने का यात्रा प्रतिबंध लगा दिया था। कुणाल कामरा सोशल मीडिया पर काफ़ी मुखर होकर सरकार और सरकारी नीतियों की आलोचना करते रहते हैं।

कौन हैं कुणाल कामरा
मुंबई निवासी कुणाल कामरा स्टैंडअप कॉमेडियन के रूप में जाने जाते हैं। वैसे, उन्होंने अपने करियर की शुरुआत बतौर प्रोडक्शन असिस्टेंट की थी। वो एक विज्ञापन एजेंसी में प्रोडक्शन असिस्टेंट थे। विज्ञापन के क्षेत्र में क़रीब 11 साल काम करने के बाद कुणाल ने बतौर स्टैंड-अप कॉमेडियन अपना करियर शुरू किया। साल 2013 में उन्होंने अपना पहला कार्यक्रम पेश किया था। उनके पॉडकास्ट शो का नाम 'शट अप या कुणाल' है। 

अपने इस कार्यक्रम में कुणाल राजनीतिक हस्तियों, समाजिक कार्यकर्ताओं और मशहूर शख़्सियतों से चिट-चैट करते हैं। उन्‍होंने जावेद अख़्तर, असदुद्दीन ओवैसी, अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसोदिया, मिलिंद देवड़ा, रवीश कुमार और सचिन पायलट आदि का इंटरव्यू किया था। 

कुणाल को उनके पॉलीटिकल स्टैंड के लिए भी जाना जाता है। कई बार उनके स्टेटस विवादों में आ जाते हैं या फिर ट्रेंड बन जाते हैं।

इधर कुणाल कामरा के इस नए मामले में देश भर से उनके पक्ष विपक्ष में आवाजें उठने लगी हैं। पक्ष में बोलनेवालों को लगता है कि अब वक्‍त आ गया है कुणाल की आवाज में आवाज मिलायी जाए। इसपर बोलते हुए अब झिझक नहीं होती कि देश भर में एक बड़ा वर्ग केंद्र सरकार के काम काज से क्षुब्‍ध है। मीडिया से लेकर तमाम बड़े संस्‍थान केंद्र के सुर में सुर मिलाते ज्‍यादा दिखते हैं। यहां तक कि सुप्रीम कोर्ट की छवि पर भी सवाल उठने लगे हैं। आपको याद होगा स्‍वयं वहां के चार जजों ने जनता के बीच जाकर सुप्रीम कोर्ट के काम काज के तरीकों पर प्रेस कॉन्‍फ्रेन्‍स कर आवाज उठायी थी। कई अन्‍य घटनाएं जिसमें प्रशांत भूषण मामले में वहां के जज अरूण मिश्रा और रिटायरमेंट के बाद भाजपा की टिकट पर राज्‍यसभा पहुंचे रंजन गोगोई भी इसकी जद में हैं। ऐसे में अगर कुणाल कामरा जैसा हास्‍य कलाकार भी आवाज उठा रहा है तो पब्लिक किसके साथ खड़ी हो? क्‍यों नहीं आप भी अपने आसपास नजर दौड़ायें। तय करें कि आप किसके साथ हैं। आखिर एक सजग नागरिक का अधिकार है यह!

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