वर्णवाल ने झारखंड की फिल्म नीति के बारे में कहा कि इसके अनुसार झारखंड की स्थानीय भाषा में बनाए गए फिल्मों को कुल लागत का अधिकतम 50% अनुदान दिया जाएगा और हिंदी, बांग्ला, उड़िया और अन्य क्षेत्रीय भाषाओं में बनाए गए फिल्मों को कुल लागत का 25% अनुदान दिया जाएगा।
गोवा: मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव सह सूचना एवं जनसंपर्क विभाग के सचिव सुनील कुमार वर्णवाल ने कहा कि झारखंड की फिल्म नीति देश के प्रगतिशील फिल्म नीतियों में से एक है। उन्होंने कहा कि झारखंड 2015 में फिल्म नीति के अनावरण के बाद देश भर के कई राज्यों से फिल्म निर्माताओं ने झारखंड आकर फिल्म बनाने पर जोर दिया है। यहां क्षेत्रीय भाषाओं में भी कई फिल्म बनी है। वे आज पणजी, गोवा में भारत के 49वें अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोह में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित कर रहे थे। झारखंड को इस वर्ष आईएसएफआई में फोकस राज्य के रूप में चुना गया है। यह पहली बार है कि आईएसएफआई में किसी राज्य को फोकस राज्य के रूप में चुनने की प्रक्रिया शुरू की है।
सुनील वर्णवाल ने कहा कि झारखंड पूरे भारत में अपनी खनिज संपदा के लिए प्रसिद्ध है। उन्होंने कहा कि झारखंड राज्य से देश की खनिज संपदा का 40% प्राप्त होता है। झारखंड जैसे पहाड़ी स्थल, झरने, जल, बांध, वन्यजीव की समृद्ध क्षमता और कहीं नहीं है। राज्य में 30 प्रतिशत भौगोलिक क्षेत्र घने जंगलों से ढका हुआ है। राज्य सरकार फिल्म नीति के माध्यम से फिल्म उद्योग के क्षेत्र में कार्य कर रहे लोगों का ध्यान आकर्षित करने और उन्हें झारखंड के खजाने को देखने और दिखाने के लिए आमंत्रित कर रही है।
श्री वर्णवाल ने झारखंड की फिल्म नीति के बारे में कहा कि इसके अनुसार झारखंड की स्थानीय भाषा में बनाए गए फिल्मों को कुल लागत का अधिकतम 50% अनुदान दिया जाएगा और हिंदी, बांग्ला, उड़िया और अन्य क्षेत्रीय भाषाओं में बनाए गए फिल्मों को कुल लागत का 25% अनुदान दिया जाएगा। उन्होंने बताया कि फिल्म के कुल शूटिंग दिनों में से आधे से अधिक दिन यदि झारखंड में फिल्माये गये हो तो उसे एक करोड़ और कुल दिनों के दो तिहाई के लिए गोल 2 करोड़ रुपए तक की अनुदान दी जाएगी।
प्रधान सचिव ने कहा कि झारखंड में आगे की फिल्मों को और प्रोत्साहन मिलेगा। उन्होंने कहा कि झारखंड में बड़ी संख्या में स्थानीय कलाकार उपलब्ध है जो मौका देने पर राष्ट्रीय स्तर तक पहुंच सकते हैं। सत्यजीत रे जैसे महान फिल्म निर्माता भी झारखंड में आकर फिल्म बना चुके हैं। अन्य बंगाली निदेशकों ने भी राज्य की प्रकृति और सुंदरता का अपने फिल्मों में उपयोग किया है। सरकार का प्रयास है कि इस तरह की फिल्मों को फिल्म नीति द्वारा सुव्यवस्थित किया जाए, जिससे राज्य को फिल्म निर्माण के गंतव्य में बदला जा सके।
इस अवसर पर झारखण्ड सूचना एवं जनसंपर्क विभाग के अन्य पदाधिकारी भी उपस्थित थे।