रांची: झारखंड में मातृत्व लाभ योजना का क्रियांवयन बदहाल स्थिति में है। एक सैम्पल सर्वे के अनुसार, केंद्र सरकार द्वारा 'प्रधानमंत्री मातृ वंदन योजना' के नाम से झारखंड में 2017 में शुरू हुई इस योजना के तहत अबतक मात्र 24 प्रतिशत महिलाओं को आंशिक राशि मिली है। जबकि पूरी राशि यानी पांच हजार रूपये (प्रति माता) मात्र आठ प्रतिशत महिलाओं को ही मिल पाया है। भोजन का अधिकार अभियान के तहत अर्थशास्त्री डॉ ज्यां द्रेज की देखरेख में युवा सामाजिक कार्यकर्त्ताओं व शोधकर्त्ताओं द्वारा झारखंड के पांच जिलों के छह ब्लॉक में किये गए सर्वेक्षण में यह जानकारी सामने आयी है।
बुधवार को रांची स्थित जेवियर समाज सेवा संस्थान परिसर में डॉ ज्यां द्रेज सहित सर्वेक्षण दल के सदस्यों ने संवाददाताओं से बातचीत करते हुए बताया कि गुमला जिला के बसिया व रायडीह, लातेहार के मनिका, बोकारो के पेटरवार, दुमका के शिकारीपारा एवं प. सिंहभूम के सोनुआ ब्लॉकों में 232 लाभार्थियों से बातचीत और जांच के बाद यह निष्कर्ष सामने आया है। बाद में इस बाबत पूरी आंकड़े सहित जानकारी देते हुए टीम की प्रमुख सदस्य सकीना धोराजीवाला ने बताया है कि योजना की कुल राशि पांच हजार रूपये तीन किस्त में देने का प्रावधान किया गया है। जबकि 76 प्रतिशत माताओं को यह लाभ अबतक मयस्सर नहीं हुआ है। मात्र 24 प्रतिशत को एक एक किस्त मिला जबकि मात्र 8 प्रतिशत ऐसी खुशनसीब माताएं हैं जिनको पूरी राशि मिल पायी है। बताते चलें कि मातृत्व लाभ योजना का आरंभिक स्वरूप भी झारखंड में बदल दिया गया। छह हजार की जगह मात्र पांच हजार में मामला तय कर दिया और वह भी घोषणा के चार वर्षों पर क्रियांवयन पर काम शुरू हुआ।
प्रेस कान्फ्रेन्स में अभियान दल के सदस्यों ने झारखंड में मातृत्व लाभ योजना के क्रियांवयन की तमाम खामियां भी गिनवायीं, जिसके तहत आवेदन फॉर्म भरने की प्रक्रिया में जटिलता से लेकर तकनीकी पेचीदगियों और त्रुटियों का ब्योरा शामिल है। क्रियांवयन की जिम्मेवारी आंगनबाड़ी कार्यकर्त्ताओं पर है जिन्हें सही तरीके से प्रशिक्षित भी नहीं किया गया है। राशि आबंटन में कटौती के सवाल पर अभियान दल ने बताया कि सरकार राज्य के बजट का मात्र 0.5 प्रतिशत (करीब 400 करोड़) सुव्यवस्थित तरीके से खर्च करे तो पूरे राज्य की माताओं को इस योजना का पूरा लाभ मिल पायेगा। इससे नवजातों एवं माताओं के मृत्यूदर में भारी कमी आ सकती है। अभियान दल ने पूरे मामले की जानकारी राज्यसरकार के संबंधित विभाग के सचिव को भी इस बाबत ज्ञापन भेज दिया है।